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‘हिंदू को छोड़, मुस्लिम के शाकाहारी होटल में जाता था’, नेमप्लेट विवाद पर सुनवाई के दौरान जस्टिस भट्टी ने बताई वजह

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नेमप्लेट विवाद पर जस्टिस भट्टी ने केरल की दो दुकानों की कहानी सुनाई।

यूपी की योगी सरकार ने आदेश दिया था कि कांवड़ रूट पर जितने भी होटल ढाबे और ठेले हैं वो सब अपनी दुकानों पर अपना नाम और मोबाइल नंबर- मोटे-मोटे अक्षरों में लिखेंगे। योगी ने ये आदेश कांवड़ियों की आस्था को लेकर दिया था लेकिन विपक्ष ने इसे हिंदू मुसलमान का मुद्दा बना दिया। आज सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका को लेकर गर्मागर्म बहस हुई जिसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने नेमप्लेट वाले रूल पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को नाम बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। होटल चलाने वालों को भोजन के प्रकार यानी वो शाकाहारी है या मांसाहारी सिर्फ इसकी जानकारी देनी होगी। पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसका आदेश संविधान और कानूनी प्रक्रियाओं के खिलाफ है। दुकानों पर नेमप्लेट लगवाने वाला आदेश भेदभाव पैदा करने वाला है।

जस्टिस भट्टी ने सुनाई केरल की 2 दुकानों की कहानी

वहीं, आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसवी भट्टी ने भोजनालयों में साफ-सफाई की पैरवी करते हुए कहा कि केरल में तैनाती के वक्त वह एक मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे शाकाहारी भोजनालय में अक्सर जाते थे क्योंकि वहां अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाता था। जस्टिस भट्टी ने अपना यह अनुभव तब साझा किया जब उन्होंने जस्टिस ऋषिकेश रॉय के साथ मिलकर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी।

मुस्लिम भोजनालय में क्यों जाते थे जस्टिस भट्टी?

जस्टिस भट्टी ने कहा, ‘‘जब मैं केरल में था तो मेरा अपना अनुभव और ज्ञान है। मैं खुलकर नहीं बता सकता क्योंकि मैं इस अदालत का मौजूदा न्यायाधीश हूं। शहर का नाम बताए बगैर, वहां एक शाकाहारी होटल था जिसे एक हिंदू संचालित करता था। एक और शाकाहारी होटल था जिसे एक मुस्लिम संचालित करता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उस राज्य का न्यायाधीश रहने के दौरान, मैं शाकाहारी भोजन के लिए उस मुस्लिम व्यक्ति द्वारा संचालित होटल में जाता था। जहां तक खाद्य मानकों और सुरक्षा की बात है तो वह सब कुछ प्रदर्शित करता था। वह दुबई से लौटा था। वह सुरक्षा, स्वच्छता व साफ-सफाई के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कर रहा था इसलिए मैं उस होटल में जाना पसंद करता था।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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