अजब गजब

NEET-UG मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिए IIT दिल्ली को आदेश, ‘गठित करें कमेटी और…’

Image Source : FILE PHOTO
सुप्रीम कोर्ट

NEET-UG 2024 एग्जाम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। बता दें कि कोर्ट में नीट विवाद को लेकर 40 से ज्यादा याचिकाएं डाली गईं हैं। सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने IIT दिल्ली को भी एक निर्देश दे दिया है। कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली को मंगलवार तक परीक्षा में एक प्रश्न के सही उत्तर पर राय बनाने के लिए संबंधित विषय के एक टीम गठित करने को कहा।

 

IIT दिल्ली को मिले यह निर्देश

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर भी संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि किसी विशेष प्रश्न के उत्तर के लिए अंक देने या न देने का फाइनल मेरिट सूची पर असर पड़ता है। कोर्ट ने IIT दिल्ली के निदेशक को निर्देशित किया कि मंगलवार दोपहर 12 बजे तक परीक्षा में एक प्रश्न के सही उत्तर पर राय बनाने के लिए संबंधित विषय के 3 एक्सपर्ट्स की एक टीम गठित करें। बता दें कि कुछ छात्रों ने प्रश्न के दो विकल्पों के लिए नंबर देने के NTA के फैसले को चुनौती दी। इस कारण कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली को यह निर्देश दिया है। वहीं, कोर्ट ने कहा कि पेपर लीक और गड़बड़ी के आरोपों वाले मामले में कल 23 जुलाई को सुनवाई जारी रहेगी।

ग्रेस मार्क्स देने पर सीजेआई ने की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान प्रश्न को लेकर ग्रेस मार्क्स देने पर सीजेआई ने टिप्पणी की। NEET सुनवाई के दौरान ही एक वकील ने कहा कि एक प्रश्न के लिए दिए गए ग्रेस मार्क्स के कारण 44 छात्रों को पूरे नंबर मिले हैं। इस पर CJI ने कहा कि नवीनतम NCERT संस्करण के मुताबिक, विकल्प 4 सही उत्तर है, फिर विकल्प 2 का उत्तर देने वालों को पूरे अंक नहीं दिए जा सकते। वहां, मुझे लगता है कि उनके पास एक बिंदु हो सकता है। इस तर्क का संभावित उत्तर कि यदि आप उत्तर नहीं जानते हैं, तो धारणा यह है कि आपको उत्तर नहीं पता है।

सॉलिसिटर जनरल ने दिया ये जवाब

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं इस कोर्ट को इस पर संतुष्ट करने की कोशिश करूंगा। जिस पर CJI ने कहा कि लेकिन तर्क यह है कि कोई नंबर न दें, बल्कि केवल विकल्प 4 का चयन करने वालों को पूरे अंक दें, लेकिन विकल्प 2 का भी उत्तर देने वालों को अंक देकर, आप टॉपर्स की संख्या बढ़ा रहे हैं। एनटीए आखिरकार दोनों विकल्पों को अंक देने के निष्कर्ष पर क्यों पहुंचा?

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि क्योंकि दोनों संभावित उत्तर थे। जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह संभव नहीं है। फिर  CJI ने कहा कि विकल्प 2 को अंक देकर आप अपने ही नियम के खिलाफ जा रहे हैं क्या पुराने संस्करण का पालन नहीं किया जा सकता?

Latest Education News




Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!