Busy roads, densely populated areas are dangerous due to open DP-transformers, maintenance budget is crores, still no improvement | खतरनाक स्थिति: व्यस्त सड़कें, सघन आबादी में खुले डीपी-ट्रांसफॉर्मर से खतरा, मेंटेनेंस का करोड़ों का बजट, फिर भी सुधार नहीं – Indore News

शहर में सघन आबादी क्षेत्रों, आवासीय कॉलोनियों, सडक के किनारों पर बिजली के ट्रांसफॉर्मर लगे हैं। इनसे लगी डीपी या कट आउट की पेटियां खुली पड़ी हैं। इनके आसपास सुरक्षा ग्रिल या जालियां भी नहीं हैं। पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी का इन पर ध्यान नहीं हैं। इनक
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शहर में यह हालात एक दो जगह नहीं है, बल्कि 13 हजार से ज्यादा स्थानों में पर लगी डीपी में 20 से 30 फीसदी के यही हाल हैं। डर इस बात का है कि इन खतरनाक डीपी के आसपास दुकानें हैं, लोगों की आवाजाही होती है और बड़ी संख्या में वाहन पार्क होते हैं। बिजली कंपनी इन खुली डीपी को बंद करने के लिए गेट तो लगा नहीं पाई, इतना भी नहीं किया कि इनके आसपास खतरे के बोर्ड लगा दें, ताकि लोग सावधान रहें। कई स्थानों पर तो पेड़ के शाखाओं, पत्तों में ये डीपी छुप गई हैं। खुद कंपनी के कर्मचारी मानते हैं कि इस वजह से भी कई बार ट्रिपिंग की स्थिति बनती है।
शहर में शायद ही कोई इलाका होगा, जहां अचानक बिजली ट्रिपिंग नहीं हो रही हो। अनेक स्थानों पर आवाजाही में खतरा बन रहे ट्रांसफॉर्मर और बेतरतीब विद्युत लाइनें नगर निगम और बिजली कंपनी के बीच समन्वय नहीं होने से खतरनाक स्थिति में पहुंच गई हैं।
इन इलाकों में लापरवाही
लापरवाही के उदाहरण रिंग रोड, तिलक नगर, चंदननगर, बीआरटीएस पर विजय नगर, एलआईजी, इंडस्ट्री हाउस, रेसकोर्स रोड, रणजीत हनुमान मंदिर, बंबई बाजार, जूनी इदौर, एमआर- 5, निपानिया, लसूड़िया मोरी, तलावली चांदा, तीन इमली, सांवेर रोड, पालदा, बाणगंगा सहित अनेक क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। यह लापरवाही स्मार्ट मीटर के नाम पर उपभोक्ता वसूली में स्मार्ट बनने और आधुनिक नेटवर्क का दावा कर रही कंपनी के आधुनिकीकरण और मेंटेनेंस की पोल भी खोल रही है।
3 बिंदुओं से समझें लापरवाही
1. जालियां नहीं लगी- सघन इलाकों में ट्रांसफॉर्मर के आसपास जाली लगाकर सुरक्षा की जाना चाहिए, लेकिन अधिकांश डीपी खुली हैं। जाली के लिए जगह की कमी का तर्क दिया जाता हैं।
2. पेड़ों से टकरा रही लाइनें- शहर में अनेक स्थानों पर ट्रांसफॉर्मर और डीपी के आसपास पेड़ होने से टहनियां लाइनों में उलझी हुई हैं। अनेक स्थानों पर बेल की हरियाली से घिरे हैं।
3. खतरा है, ये बोर्ड भी नहीं– बिजली लाइनों, ट्रांसफॉर्मर व डीपी के आसपास ‘यहां खतरा है, इसके बोर्ड लगाना चाहिए, वह भी नहीं लगे हैं।
50 से ज्यादा स्थानों पर ट्रैफिक में बाधा
शहर में एक नहीं 50 से ज्यादा स्थानों पर ट्रांसफॉर्मर और इनकी डीपी ट्रैफिक में बाधा बनी हुई हैं। कंपनी अफसरों का कहना हैं, नगर निगम से सूचना और आवेदन मिलने पर इनको शिफ्ट करते हैं। कंपनी अपने स्तर पर नहीं हटाती।
समाधान – – आरएस गोयल, पूर्व मुख्य अभियंता
- डीपी और ट्रांसफॉर्मर का जोन स्तर पर लगातार मेंटेनेंस जरूरी हैं।
- डीपी के दरवाजे लगाकर रखें और कटआउट का उपयोग करें। खुले तार या फ्यूज नहीं लगाएं।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग करें। जिसके तहत एमसीबी लगाएं, जिससे मेंटेनेंस में भी आसानी होगी। लाइन लॉस कम होगा तो उपभोक्ता पर आर्थिंक भार भी कम होगा।
जहां जरूरत लगती है, डीपी हटाते हैं: बिजली कंपनी
^शहर में बिजली वितरण नेटवर्क का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। ट्रांसफॉर्मर और डीपी का ध्यान रखा जाता है। जहां इनको हटाने की मांग आती हैं, निगम के साथ मिलकर शिफ्ट करते हैं। कहीं बाधा है तो इनको भी हटाएंगे।
– मनोज शर्मा, मुख्य अभियंता, बिजली कंपनी
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