मध्यप्रदेश

The biggest train robbery is registered in the name of Pardis | पारदियों के नाम दर्ज है सबसे बड़ी ट्रेन डकैती: चलती ट्रेन की छत काटकर उड़ाए थे 5.78 करोड़; डकैती खोलने ली गई थी NASA की मदद – Guna News

गुना के पारदियों के नाम आजाद भारत की सबसे बड़ी ट्रेन डकैती दर्ज है। आधा दर्जन बदमाशों ने तमिलनाडु में ट्रेन की छत काटकर बोगी में थी तिजोरियों में से RBI के 5.78 करोड़ रुपए चुरा लिए थे। चोरी का पता तब चला जब ट्रेन यार्ड में खड़ी हुई। हालांकि, चोरी के

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साल था 2016 और तारीख थी 8 अगस्त। तमिलनाडु के सलेम से चेन्नई जाने के लिए एग्मोर एक्सप्रेस अपने नियत स्थान से निकली। इस ट्रेन की एक रिजर्व बोगी में आरबीआई के 342 करोड़ रुपये रखे हुए थे। लेकिन जब तक ट्रेन सलेम से विरधाचलम का सफर पूर करती तब तक लुटेरे डाका डाल चुके थे। सफर पूरा करने के बाद ट्रेन यार्ड में पहुंची और जब आरबीआई अधिकारियों ने डिब्बा खोला तो घुप्प अंधेरे के बीच एक बड़ा सा छेद नजर आ रहा था। अंदर जाकर देखा तो नोटों ने भरे कुछ बॉक्स खुले पड़े मिले।

यह सब देखकर आरबीआई और रेलवे के अधिकारियों के होश उड़ गए। शुरुआत में किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि किस गैंग ने इतनी बड़ी वारदात कैसे अंजाम दी। लेकिन जांच होने के बाद एमपी के मोहन सिंह पारदी और उनके गैंग के सात लोगों को दो सालों बाद अरेस्ट किया गया था। तब उन्होंने इस डकैती का राज खोला था। दरअसल, इग्मोर एक्सप्रेस रात को 9 बजे सलेम से रवाना हुई थी। सलेम से ट्रेन छूटने के दौरान नोटों से भरी बोगी इंजन के बाद लगी हुई थी।

डकैती गैंग को पता था कि विरधाचलम के आगे इलेक्ट्रानिक इंजन की जगह डीजल इंजन लगा दिया जाता है, क्योंकि यह ट्रैक इलेक्ट्रिक नहीं है। ऐसे में इंजन बदली के बाद बोगी सबसे पीछे हो गई। मोहर सिंह पारदी की गैंग को यह भी पता था कि चिन्नासालेम और विरधाचलम रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन 45 मिनट से ज्यादा समय तक बिना रुके चलती है। साथ ही समय भी रात का होता है। इसीलिए लुटेरों ने ट्रेन की बोगी के ऊपर बैठकर सफर करने का प्लान बनाया था।

फिर योजना के मुताबिक ट्रेन की बोगी बदलते ही गैंग के कुछ सदस्य डिब्बे पर जा चढ़े और कटर से छत को काट दिया। इसके बाद एक शख्स अंदर उतरा और उसने डिब्बों से नोटों की गड्डी निकालकर लुंगी में बांधी और अपने दूसरे साथी को थमा दी। इसके बाद वह चुपचाप किसी जगह पर उतर कर फरार हो गए। उन्होंने इन डिब्बों से 5.78 करोड़ रूपये चुराए थे। इस मामले में सीआईडी को जांच सौंपी गई थी।

इस तरह समझिए पूरा घटनाक्रमप्लानिंग बनाकर मोहर सिंह पारदी और उसके 7 साथी तमिलनाडु पहुंचे। उन्हें इसकी जानकारी थी कि RBI का पैसा सेलम-चेन्नई एक्सप्रेस के जरिए भेजा जाता है। गैंग ने 8 दिन लगातार ट्रेन में सफर कर रेकी की। चिन्नासालेम और विरधाचलम रेलवे स्टेशन के बीच डाका डालने की प्लानिंग तय की। दरअसल, इन दोनों स्टेशन के बीच ट्रेन 45 मिनट से ज्यादा समय तक चलती है। इस ट्रैक पर रात भी हो जाती है।

घटना वाले दिन मोहर और उसकी गैंग ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा कर रहे थे। चिन्नासालेम तक ट्रेन इलेक्ट्रिक इंजन, फिर यहां से आगे तक डीजल इंजन पर चलती है। मौका लगते ही बैटरी वाले कटर से बोगी की छत काट दी। एक डकैत बोगी में अंदर चला गया। लकड़ी के बॉक्स काटकर नोटों के बंडल निकाल लिए। अंडर गॉरमेंट में बंडल लपेटकर छत पर बैठे साथियों को दे दिए। आगे चलकर रेलवे लाइन किनारे उनके और साथी इंतजार कर रहे थे। उन्हें बंडल फेंककर दे दिए गए। इसके बाद ट्रेन की छत पर चढ़े दूसरे डकैत कूद कर फरार हो गए।

डकैती का पता यार्ड में चला। ट्रेन रुकी तो सुरक्षागार्ड बोगी चेक करने आए। घटना के दूसरे दिन सुबह 11 बजे जब RBI के अधिकारी कैश लेने पहुंचे तो कोच की छत में 2 वर्ग फीट का एक छेद दिखा। छत का कटा हुआ हिस्सा फ्लोर पर पड़ा था। कुछ नोट फ्लोर पर बिखरे थे। 4 बॉक्स खुले पड़े थे। एक पूरा खाली था और एक आधा।

RPF ने रिपोर्ट दर्ज कर GRP से मदद मांगी। रेलवे अफसरों को शक था कि लूट में किसी ऐसे शख्स का हाथ होगा, जिसे लोडिंग पैटर्न और ट्रेन रूट के बारे में मालूम हो। महीनों तक जब लुटेरों का पता नहीं चला, तो जांच CID को दी गई। CID ने अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA से मदद ली। NASA के जरिए पता लगा कि डकैती किस एरिया में पड़ी। इसके बाद CID ने इस एरिया के घटना वाले दिन एक्टिव मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। जिन नंबर पर शक गया, सभी मध्य प्रदेश की आईडी पर थे। पूरे 730 दिन बाद यानी 30 अगस्त, 2018 को पता लगा कि ट्रेन रॉबरी किसने की थी। डकैत ज्यादातर रकम नदी में बहा चुके थे। बस यहीं से मध्य प्रदेश में दबिश देकर एक-एक कर 8 लोग पकड़ लिए गए।

उस समय क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीबीसीआईडी) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, “मोहन सिंह पारदी व उसके गैंग के सात लोगों को लूट के मामले में मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार मोहन सिंह और उनके गिरोह के सदस्य 2016 में तमिलनाडु आए थे और इसके बाद उन्होंने रेकी के दौरान रेलवे स्टेशन, ट्रेन पटरियों के पास, पुलों के नीचे कई दिन बिताए थे।

पुलिस ने 12 अक्टूबर 2018 को मध्य प्रदेश से दो संदिग्धों दिनेश(38),और रोहन पारदी(29) को गिरफ्तार करके मामला सुलझाया था। इसके बाद मोहर सिंह, रूसी पारदी, कालिया पारदी, महेश पारदी, बृजमोहन पारदी को पकड़ा गया।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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