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Golden Tower: Spent the night on the street | गोल्डन टॉवर : रात भर सड़क पर गुजारी रात: लोग बोले-30 साल के लिए लोन लिया था, 20 लाख रुपए बकाया है, अब कहां जाएं – Gwalior News

गोल्डन टॉवर, जिसके आसपास पुलिस ने बैरीकेड्स लगाकर लोगों को जाने से रोक दिया है। झुक चुकी है बिल्डिंग।

ग्वालियर के थाटीपुर नेहरू कॉलोनी में आठ साल पहले बनी पांच मंजिला मल्टी गोल्डन टॉवर का मंगलवार रात पिलर टूट गया था। बिल्डिंग के एक तरफ झुक जाने से तत्काल मल्टी के 27 फ्लैट आधी रात को खाली कराए गए। दहशत में लोग बाहर निकाले गए। बिल्डिंग खाली करा ली गई ह

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मंगलवार-बुधवार दरमियानी रात फ्लैट में रहने वाले लोग सड़कों पर बैठे रहे। बुधवार सुबह दैनिक भास्कर ने ग्राउंड रिपोर्ट की है। गोल्डन टॉवर में जिनके फ्लैट थे उनकी हालत बेहद खराब है। 80 फीसदी लोगो ने फ्लैट फाइनेंस कराए थे। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि सिर्फ आठ साल में ही बिल्डिंग जर्जर हो जाएगी। किसी का 20 लाख तो किसी का 16 लाख रुपए लोन बकाया है। यहां के लोग अजीब धुविधा में हैं कि अब क्या करें।

अभी नगर निगम के अमले ने पांच मंजिला इमारत को जैक लगाकर साध रखा है

ऐसे समझिए पूरा मामला
शहर के थाटीपुर स्थित नेहरू कॉलोनी में गोल्डन टॉवर के नाम से पांच मंजिला इमारत है। जिसमें 27 फ्लैट हैं और सभी फ्लैट में लोग रह भी रहे थे। शहर की प्राइम लोकेशन होने पर यहां के लोगों ने ऊंचे दाम पर फ्लैट खरीदे थे। मंगलवार रात करीब 11 बजे गोल्डर टॉवर में उस समय हंगामा मच गया, जब मल्टी की पार्किंग में लोग पहुंचे तो उसका एक पिलर टूट चुका था। मल्टी एक तरफ को झुकने लगी थी। यह देखते ही वहां दहशत फेल गई। लोग फ्लैट से निकलकर सड़क की तरफ भागने लगे थे।

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने तत्काल नगर निगम, रेस्क्यू दलों को सूचना दी। रात को नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह स्पॉट पर पहुंच गए थे। पुलिस व रेस्क्यू दलों की मदद से तत्काल बचाव कार्य शुरू कर दिए। सबसे पहले सभी 27 फ्लैट खाली कराए गए। लोग जिस हालत में थे उसी हालत में उनको बाहर निकाला। इसके बाद जहां पिलर टूटा था वहां जैक लगाकर स्थिति को संभाला गया। पुलिस व रेस्क्यू दलों की टीमों ने तत्काल मल्टी के सभी 27 फ्लैट खाली करा लिए हैं। लोगों को साफ चेतावनी दी है कि यह मल्टी अभी सुरक्षित नहीं है, इसलिए यहां कोई नहीं रह सकता है। प्रशासन ने मल्टी गोल्डन टॉवर के बाहर चेतावनी बोर्ड लगा दिया है कि यह मल्टी रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, इसलिए यहां अभी कोई भी नहीं रह सकता है।

बिल्डिंग में रहने वालों ने रात भर सड़कों पर गुजारी है।

बिल्डिंग में रहने वालों ने रात भर सड़कों पर गुजारी है।

रात भर सड़क पर गुजारी रात
गोल्डन टॉवर में जिनके फ्लैट थे उन्होंने आनन फानन में घर खाली कर दिया। कोई जरुरत का सामान भी बाहर नहीं निकाल सका था। लोगों ने रात भर घर के बाहर सड़क पर ही रात गुजारी। जिनके छोटे-छोटे बच्चे थे वह रात भर परेशान होते रहे। सुबह लगा कि बिल्डर आएगा, नगर निगम कुछ करेगा, लेकिन बिल्डर के मोबाइल स्विच्ड ऑफ हैं। अब गोल्डन टॉवर में रहने वाले लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें।

पुलिस ने बेरीकेड्स लगाकर फोर्स किया तैनात
मल्टी में कोई न जाए इसके लिए मल्टी के दोनों तरफ बेरीकेड्स लगाकर पुलिस जवान तैनात कर दिए हैं। पुलिस वहां जाने वालों को रोक रही है। कुछ समय के लिए पुलिस को वहां तमाशा देखने वालों को भी खदेड़ना पड़ा है, लेकिन बिल्डिंग में जिसके फ्लैट हैं वह सभी आसपास की घूम रहे हैं। उनका कीमती सामान भी घरों में कैद है। ऐसे में मजबूरी है कि वह पहरा भी दे रहे हैं। बिल्डिंग को सूनी नहीं छोड़ सकते।

रात को इस तरह लोगों को बाहर निकाला गया था

रात को इस तरह लोगों को बाहर निकाला गया था

30 साल का लोन लिया था, 20 लाख अभी बकाया है
गोल्डन टाॅवर निवासी नितिन श्रीवास्तव ने बताया कि वह AC ऑफिस में कर्मचारी हैं। उन्होंने साल 2016 के आखिरी में यहां फ्लैट खरीदा था। उन्होंने LIC से 30 साल के लिए 35 लाख रुपए फाइनेंस कराए थे। अभी आठ साल निकल गए हैं, लेकिन 20 लाख रुपए अभी भी फाइनेंस का बकाया है। आठ साल में हमारे अपने घर का सपना टूट गया है। अब बिल्डिंग को रहने योग्य न बताकर प्रशासन ने सूचना लगा दी है, जबकि बिल्डिंग मालिक के फोन ही नहीं लग रहे हैं। मैं, मेरी पत्नी और दो बच्चों ने रात भर सड़क पर गुजारी है। आनन फानन में फ्लैट पर ताला डालकर भाग आए थे। जरुरत का सामान नहीं है। अब आगे क्या होगा इसका पता नहीं है।

मल्टी का निर्माण घटिया था, अभी लोन का 20 लाख बकाया है
गोल्डन टॉवर में रहने वाली शशि प्रभा का कहना है कि उन्होंने भी बिल्डर मोहन बांदिल से यह यह फ्लैट साल 2016 में खरीदा था। उन्होंने बैंक से 30 लाख रुपए में फ्लैट फाइनेंस कराया था। उनका भी लगभग 20 लाख रुपए अभी बकाया है। फाइनेंस का इंश्योरेंस है। पर बिल्डिंग का कोई इंश्योरेंस नहीं था। रात को जब जब ब्लास्ट हुआ और शोर हुआ कि बिल्डिंग गिरने वाली है तो हमें लगा कि जल्द से जल्द कैसे भी नीचे पहुंचे। बिल्डिंग में जो जिस स्थिति में था वह वही स्थिति में नीचे आ गया। कोई भी अपना जरुरी सामान ले नहीं पाया।

प्रशासन से नहीं आया आश्वासन
स्थानीय लाेगों का कहना है कि बिल्डिंग को जिस तरह खाली कराया गया था ऐसा लगा था कि सुबह प्रशासन हरकत में आएगा और कोई एक्शन लेगा। अभी तक प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया है। न ही कोई ठोस आश्वासन मिला है। बिल्डर के फोन बंद है। बिल्डिंग में मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। कब तक रहने लायक होती है यह देखने वाली बात होगी।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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