मध्यप्रदेश

Marriages do not take place in the village on the issue of murder or cow slaughter, in 10 years there are 12 such villages, where 975 families had to go outside for marriages | बुंदेलखंड की प्रथा.. परग: हत्या-गौहत्या पर गांव में नहीं होती शादियां, 10  साल में ऐसे 12 गांव, जहां 975 परिवारों को बाहर जाकर करनी पड़ीं शादियां – Sagar News

गोविंद सिंह राजपूत,   खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री 

परग… बुंदेलखंड की प्रथा, जिसके चलते गांव में न तो सात फेरे होते हैं, न दुल्हन की विदाई होती है और न ही दूल्हा घोड़ी चढ़ पाता है। किसी व्यक्ति या गौवंश की हत्या होते ही गांव में परग लगना मान लेते हैं। उसके बाद गांव में बारात आने और निकलने पर रोक लग जा

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तुलसी-सालिगराम विवाह कराए। सामर्थ्य के हिसाब से कन्या, ग्राम भोज कराए। उसके बाद भी जब तक उसके परिवार में बेटी का विवाह नहीं हो जाता तब तक गांव में किसी अन्य के सात फेरे नहीं हो सकते। गांव से बाहर जाकर विवाह कर सकते हैं।

ललोई के बलू आदिवासी ने बेटी ज्योति का विवाह पथरिया चिंताई जाकर किया।

12 साल पूर्व हत्या के बाद से नहीं गूंजी शहनाई

गांव: ललोई

  • आबादी – 1970
  • परिवार – 418
  • परग प्रथा कब से – 12 साल

ऐसे लगी – गांव में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।

असर – गांव के बुजुर्ग परमलाल साहू बताते हैं कि मेरी नातिन की शादी 22 किलोमीटर दूर बांदरी से करना पड़ी थी। जो संपन्न लोग हैं वे तो बाहर जाकर भी अच्छे से विवाह कर लेते हैं लेकिन गरीब लोगों के लिए बाहर जाकर विवाह करने से खर्च बढ़ जाता है। मेहमानों के लिए इंतजाम भी सही ढंग से नहीं कर पाते। परंतु परग के कारण ऐसा करना ही पड़ता है।

11 साल में 250 बेटियों के बाहर हुए विवाह

गांव: रोंड़ा

  • आबादी – 2736
  • परिवार – 603
  • परग प्रथा कब तक- 12 साल

ऐसे लगी थी – विवाद में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।

असर – 11 साल में 250 बेटियों के विवाह अन्य जगह जाकर लोगों को करना पड़े। गांव के ही प्रहलाद मिश्रा ने पहल करते हुए 6 साल पूर्व अपनी बड़ी बेटी का विवाह गांव से ही कराया। ग्रामीणों ने उन्हें रोका और डराया कि ऐसा करने से अपशगुन होगा। उनकी पत्नी मीना मिश्रा बताती हैं कि हमारी बेटी के दो बच्चे हैं। अच्छा ससुराल मिला है। अब तक गांव में 150 विवाह हो चुके हैं।

व्यक्तिगत और शासन के स्तर पर पहल करेंगे

इस तरह की कुप्रथा अगर समाज में है तो उसे निश्चित तौर पर समाप्त होना चाहिए। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है। इसके लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर उन ग्रामीणों को समझाने के लिए भी तैयार हूं जहां यह कुप्रथा चल रही है। प्रशासन के स्तर पर भी अभियान चलाया जाएगा जिसके माध्यम से लोगों को कुप्रथा के प्रति जागरूक किया जाएगा।
-गोविंद सिंह राजपूत, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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