मध्यप्रदेश

ऐसा पहली बार जब विस में रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद बढ़ाया आयोग का कार्यकाल | एमपी के 5लाख कर्मचारियों के वेतन बढ़ने की उम्मीदें टूटीं: ऐसा पहली बार जब विस में रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद बढ़ाया आयोग का कार्यकाल – Madhya Pradesh News

वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित कर्मचारी आयोग का कार्यकाल एक साल तक बढ़ा दिया गया है।

मध्यप्रदेश के साढ़े सात लाख कर्मचारियों में से 5 लाख की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए गठित कर्मचारी आयोग का सरकार ने कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया है। यह पहला मौका है जब बडे़ कर्मचारी वर्ग को प्रभावित करने के लिए गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को स

.

आयोग का कार्यकाल 11 दिसंबर 2023 से 12 दिसंबर 2024 तक होगा। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार ने मनचाही रिपोर्ट हासिल करने के लिए आयोग का कार्यकाल बढ़ाया है।

वित्त मंत्री ने कहा था- रिपोर्ट मिल गई है

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा कह चुके हैं कि आयोग की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है, जिसका परीक्षण कर लागू करवाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में प्रत्येक संवर्ग के अधिकतम वेतनमान के बराबर वेतन करने की सिफारिश की गई थी। इससे 5 लाख कर्मचारियों को 12 हजार से 60 हजार तक फायदा होने की उम्मीद थी।

अब सिफारिशें होंगी, उसे देखेंगे

वित्त प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने बताया, पिछली रिपोर्ट पर कुछ नहीं कहना है। कर्मचारी आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया गया है। अब जो भी सिफारिशें आएंगी उनका परीक्षण किया जाएगा।

मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक का कहना है कि पिछली रिपोर्ट में जो विसंगतियां छूटी हैं, उन सबको भी शामिल कर विचार होना चाहिए। लिपिकों की वेतन विसंगति सबसे पुरानी है।

आयोग छह महीने में दोबारा संशोधित रिपोर्ट जारी करेगा

कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर करने के लिए जीपी सिंघल की अध्यक्षता में गठित आयोग की रिपोर्ट सौंपे जाने की खबर दैनिक भास्कर में 12 जुलाई को प्र​काशित की गई थी। इसके बाद कर्मचारियों ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी इसकी पुष्टि की थी कि रिपोर्ट मिल गई है। अब नए प्रस्ताव के अनुसार आयोग छह महीने में दोबारा संशोधित रिपोर्ट जारी करेगा। उसी के अनुसार वेतन निर्धारण होगा।

52 विभागों के लिपिकों के वेतन में भी विसंगति

प्रदेश के समस्त 52 विभागों में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं जिनकी वेतन विसंगतियां बनी हुई हैं। लिपिकों के वेतन की विसंगति 1984 से चली आ रही है। तृतीय श्रेणी में लिपिकों का वेतन सबसे ज्यादा था। लिपिकों का वेतन पटवारी, सहायक शिक्षक, ग्राम सेवक, ग्राम सहायक, पशु क्षेत्र चिकित्सा अधिकारी संवर्ग से ज्यादा था। लेकिन धीरे-धीरे नीचे वाले सभी संवर्गों के वेतन बढ़ते गए और उनके पदनाम भी बदल गए।

आज की स्थिति में लिपिक तृतीय श्रेणी के संवर्गों में वेतन में निम्न स्तर पर है। लिपिक और चतुर्थ श्रेणी की ग्रेड-पे में केवल 100 रुपए का अंतर है। राजस्थान में लिपिकों का वेतनमान बढ़ाया जा चुका है। वहीं, सहायक ग्रेड-3 की ग्रेड-पे 1900 रुपए है, जबकि डाटा एंट्री आपरेटर की 2400 रुपए। पटवारी की ग्रेड-पे 2100 रुपए है।

पशु चिकित्सकों के वेतन में भी अंतर

ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का इलाज करने वाले पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों का वेतनमान बढ़ा दिया गया है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की 11 योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले एएनएम और एमपीडब्ल्यू का वेतनमान नहीं बढ़ाया गया है। जिन संवर्गों में इंस्पेक्टर लगता है, वे उनका वेतनमान अन्य इंस्पेक्टर के समान चाहते हैं।

शिक्षा विभाग में वरिष्ठ को जोड़ा नहीं गया

2018 में शिक्षा कर्मी, गुरुजी इत्यादि संवर्गों का संविलियन अध्यापक संवर्ग में कर दिया गया है, लेकिन उन्हें संविलियन दिनांक से वरिष्ठता दी गई, इस वजह से उनकी उनकी पेंशनेबल सर्विस बहुत कम हो गई। उनकी 15 से 20 साल की पूर्व सेवा को वरिष्ठता से जोड़ा ही नहीं गया।

प्रदेश के समस्त नियमित और गैर नियमित अस्थायी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु 62 वर्ष कर दी गई है, लेकिन होमगार्ड के जवानों की सेवानिवृत्ति की आयु अभी भी 60 वर्ष है।


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!