मध्यप्रदेश

Farmers are angry due to reduction in moong limit | सरकार के लिए गले की हड्‌डी बनी मूंग खरीदी: किसान बोले-व्यापारियों को लूट की खुली छूट दी, सरकार का तर्क-निर्यात नहीं कर पाते – narmadapuram (hoshangabad) News

देशभर में मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में सबसे ज्यादा मूंग पैदा की जाती है।

नर्मदापुरम के किसान संदीप पटेल के साढ़े पांच हेक्टेयर खेत में 90 क्विंटल मूंग की पैदावार हुई है। मध्यप्रदेश सरकार के नए निर्णय से वे समर्थन मूल्य 8,558 रुपए के भाव पर 44 क्विंटल ही बेच पाएंगे। बाकी मूंग उन्हें मंडी में 6,500 से 7,600 रुपए के भाव पर बे

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दरअसल, मूंग पैदा करने वाले किसान समर्थन मूल्य पर प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल खरीदी की लिमिट तय करने से नाराज हैं, जबकि सरकार खुद मानती है कि प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल तक उत्पादन हुआ है। इधर, लिमिट तय करने के पीछे सरकार के अपना तर्क है, जो किसानों को मंजूर नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार की नीति के कारण पूरी फसल समर्थन मूल्य पर बेचना संभव नहीं है। इससे नुकसान होना तय है।

दैनिक भास्कर ने पूरे मामले की पड़ताल की। पढ़िए रिपोर्ट…

सरकार ने ही प्रोत्साहित किया, बढ़ता गया रकबा

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा सबसे ज्यादा ग्रीष्मकालीन मूंग उत्पादक राज्य हैं। देशभर में मध्यप्रदेश में नर्मदापुरम जिले में सबसे ज्यादा मूंग पैदा की जाती है। तत्कालीन शिवराज सरकार ने मूंग उत्पादन को प्रोत्साहित किया। नतीजा, पिछले चार साल में मूंग का रकबा 50 फीसदी बढ़ गया।

इस साल 2.85 लाख हेक्टेयर जमीन में 4 लाख 87 लाख मीट्रिक टन मूंग का उत्पादन हुआ है। आमतौर पर हर साल यहां 4 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा ही उत्पादन होता है। इसमें से करीब 1.60 से 1.90 लाख हेक्टेयर मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। बाकी मूंग को किसान मंडियों में बेचते हैं।

मध्यप्रदेश की बात करें तो साल 2023 में करीब 10 लाख 79 हजार हेक्टेयर जमीन में मूंग लगाने का लक्ष्य रखा गया। इसमें उत्पादन करीब 15 लाख मीट्रिक टन हुआ। वहीं, साल 2024 में 11 लाख 58 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मूंग लगाने का लक्ष्य है।

अब जानिए, मूंग की खेती कितनी महत्वपूर्ण

गर्मियों की मूंग किसान के लिए अतिरिक्त आय बढ़ाने का माध्यम है। किसान रबी और खरीफ फसल की लगाता था। गर्मी के दो-तीन महीने खेत खाली रहते थे। गर्मी में नहरों से सिंचाई के लिए पानी मिलने से मूंग का उत्पादन बढ़ाना शुरू किया। इसे तीसरी फसल भी कहा जाता है। किसानों का मानना है कि रबी और खरीफ की किसी एक फसल में नुकसान होता है, तो मूंग की फसल से उसकी भरपाई हो जाती है।

सरकार का वह आदेश, जिससे किसानों में गुस्सा

24 जून 2024 को प्रदेश सरकार ने मूंग खरीदी के लिए नई उपार्जन नीति जारी की। इसके मुताबिक, मूंग खरीदी पर समर्थन मूल्य 8000 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 8,558 रुपए किया गया। साथ ही, तीन लिमिट लगा दी। पहली- कोई भी किसान 8 क्विंटल से ज्यादा मूंग समर्थन मूल्य पर नहीं बेच सकता। दूसरी- एक खाते से एक दिन में 25 क्विंटल मूंग नहीं बेच सकता। तीसरी- एक खाते से कुल 100 क्विंटल मूंग से ज्यादा नहीं खरीदी जाएगी।

पिछले साल यानी 2023 तक प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल मूंग खरीदी का नियम था। इसे आधी करके 8 क्विंटल कर दिया गया है। वहीं, एक दिन में 25 क्विंटल खरीदी के बजाय यह लिमिट 40 क्विंटल थी। वहीं, अधिकतम खरीदी की भी लिमिट नहीं थी।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि मूंग की खेती सरकार की प्रायोरिटी में नहीं है। कारण- फिलहाल इसका व्यापक उपयोग नहीं है।

वे कारण, जिनसे सरकार ने प्रायोरिटी से हटाई मूंग

  • सर्दी में आने वाली मूंग अच्छी क्वालिटी की होती है, जबकि गर्मी की मूंग की क्वालिटी बेहतर नहीं होती।
  • सरकार का मानना है कि खरीदी केंद्रों में मूंग खरीदी के लिए माकूल व्यवस्था नहीं होती।
  • केंद्र सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रही है। पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा है।
  • खरीदी के बाद मूंग का स्टाॅक मध्यप्रदेश में ही पड़ा रहता है यानी इसे निर्यात नहीं कर पाते।
  • गर्मी के दिनों में मूंग की फसल के लिए किसान पेस्टीसाइड का उपयोग करते हैं।
नर्मदापुरम में किसान संघ ने मंगलवार को सरकार की सदबुद्धि के लिए यज्ञ किया।

नर्मदापुरम में किसान संघ ने मंगलवार को सरकार की सदबुद्धि के लिए यज्ञ किया।

किसान संघ भी लिमिट तय करने के विरोध में

मूंग खरीदी को लेकर हरदा, नर्मदापुरम समेत दूसरे जिलों में सीएम डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन दिए गए हैं। नर्मदापुरम में मंगलवार को किसान संघ ने सरकार की सदबुद्धि के लिए यज्ञ किया।

किसान संघ भी इस निर्णय के विरोध में है। किसान लाला पटेल ने कहा, ‘इसी साल 70 से 80 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ है। 5 हेक्टेयर का पंजीयन कराया है। ऐसे में मात्र 40 क्विंटल की मूंग बिक पाएगी। बाकी मूंग को मंडियों में सस्ते दामों पर ही बेचना पड़ेगा।’

आरोप- व्यापारियों को खुली लूट और कमाई की छूट दी

भारतीय किसान संघ के संभागीय अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान का कहना है, ‘मप्र सरकार ने किसानों से व्यापारियों को खुली लूट और अतिरिक्त कमाई का अवसर दिया है। सरकार का यह रवैया किसान विरोधी है। इसके विरोध में आंदोलन किया जाएगा।’

दीवान बताते हैं कि जिन किसानों ने पांच हेक्टेयर और ज्यादा के पंजीयन कराए हैं, उन्हें मूंग बेचने के लिए बार-बार स्लॉट बुक कर केंद्र पहुंचना पड़ेगा या केंद्र पर ही रात बितानी पड़ेगी, जिससे डबल भाड़ा का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।

नर्मदापुरम जिले में कृषि विभाग के उपसंचालक जेआर हेडाऊ का कहना है कि मंगलवार शाम 6 बजे तक 10 हजार मीट्रिक टन खरीदी हो चुकी है।

दिग्विजय ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज पर साधा निशाना

किसानाें के आक्रोश के बाद मूंग खरीदी पर राजनीति भी होने लगी है। पूर्व सीएम व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने 28 जून को ‘X’ पर पोस्ट किया, ‘केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह, आप अभी तक मोदी परिवार में हैं जबकि बाकी सब मोदी परिवार से निकल चुके हैं। आपके चुनाव क्षेत्र व नर्मदा घाटी में बड़े पैमाने पर मूंग की फसल होती है। आपके कृषि मंत्री रहते हुए किसानों की पूरी तरह से फसल क्यों नहीं खरीदी जा रही है? यह भी पता लगाएं कि मूंग की फसल आने के पूर्व विदेशों में आयात क्यों की जा रही है?’

कृषि मंत्री कंषाना बोले- कोई किसान दुखी नहीं

इस मामले में दैनिक भास्कर ने कृषि मंत्री एंदल सिंह कंषाना से बात की। पहले उन्होंने कहा कि कोई भी किसान फैसले से दुखी नहीं है। इसके बाद उन्होंने वाटसऐप पर प्रश्न भेजने के लिए कहा। दैनिक भास्कर ने तीन प्रश्न भेजे। पहला- सरकार ने मूंग खरीदी के लिए नई नीति बनाई है। इसकी जरूरत क्यों पड़ी? दूसरा- 25 क्विंटल एक दिन में खरीदी का भी नियम है। ज्यादा उत्पादन वाले किसानों को परेशानी होगी। तीसरा प्रश्न पूछा कि एक खाते से 100 क्विंटल मूंग खरीदी की लिमिट है। ज्यादा उत्पादन वाले किसानों का क्या होगा?

इसके बाद न तो उनका कॉल रिसीव हुआ और न ही प्रश्नों का जवाब आया।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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