सोनोग्राफी मशीन न होने से मरीजों को चुकानी पड़ रही मोटी रकम
नौगांव। अभिषेक पटेरिया

नौगांव करीब एक लाख की आबादी वाला नगर नौगांव एकमात्र सिविल अस्पताल के भरोसे रहता है लेकिन अस्पताल में जरूरी सुविधाओं की कमी के चलते गरीब मरीजों को मोटी रकम चुका कर जांच कराना पड़ रही है इस समस्या के समाधान के लिए आज तक जनहित के नाम पर राजनीति करने वाले किसी भी दल के नेता ने स्थानीय सिविल अस्पताल में जरूरी जांचों में से एक सोनोग्राफी मशीन लगवाने की ओर ध्यान नहीं दिया और ना ही जिले के सीएचएमओ ने प्रधानमंत्री मातत्वृ दिवस अभियान के तहत जरूरी सुविधाओं की जरूरत पर गौर किया है जिसका नतीजा है कि प्रसव पीड़ित माताओं के अलावा समान जांच के मरीजों को निजी अस्पतालों या फिर छतरपुर की ओर रुख करना पड़ रहा है जिससे मरीजों को निशुल्कता की जगह मोटी रकम चुकाना पड़ रही है जबकि गंभीर हालत में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली माताओं को बिना सोनोग्राफी जांच के ही प्रसव कराने की मजबूरी बनी हुई है लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन के साथ-साथ जनहित के सौदागरों ने कभी भी इस समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किए जबकि उपचार के लिए सोनोग्राफी जरूरी है जिसमें अधिकांश पेट की समस्याओं और प्रसव पीड़ित माताएं शामिल होती हैं जिसके लिए डॉक्टर सोनोग्राफी को प्राथमिकता देते हैं और अंतिम सोनोग्राफी रिपोर्ट के सहारे लेबर रूम में डॉक्टरों द्वारा प्रसव कराया जाता है लेकिन सोनोग्राफी मशीन न होने से डॉक्टरों की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं इतना ही नहीं प्रसव पीड़ित माताओं को सोनोग्राफी के लिए बस या निजी वाहनों से छतरपुर जाना खतरनाक हैं रास्ते में गड्ढे के झटके या फिर जर्क पेट में पल रहे नवजात के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है इसके बावजूद अस्पताल की ओर से खतरा मोल उठाने में नहीं चूक रहे सबसे अधिक परेशानी गरीब तबके के मरीजों को झेलनी पड़ती है जबकि अन्य अस्पतालों की तरह सी एच एम ओ चाहे तो प्राइवेट सेंटर से अनुबंध कर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं लेकिन इस ओर कोई भी सामाजिक संस्था ध्यान नहीं दे रही है जो सिर्फ फोटो शूट कर समाज सेवा की वाहवाही लूट रहे हैं हालात यह है कि कर्ज लेकर मरीजों के तीमारदार जांच कराने को मजबूर प्रधानमंत्री की मंशा की अनदेखी प्रत्येक माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है ताकि गर्भवती को इस दिन बकायदा जॉच से लेकर इलाज मुफ्त में होना चाहिए जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने सी एच एम ओ को आदेश दिए है कि वे पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान को सफल बनाने के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच व इलाज मैं दिलचस्पी ले और इलाज मुफ्त में कराएं हैरत की बात तो यह है कि इस अभियान की जानकारी स्थानीय अस्पताल के स्टाफ को है और ना ही सत्ता दल के ईमानदार कर्मठ नेताओं को है जिन्हें अपने ही पीएम की योजना की जानकारी न हो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है बरहाल अभी भी समय है इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कोई तो आगे आए तभी जनहित के लोगों को दुआएं मिलेंगे