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सुरंग में फंसने के बावजूद गब्‍बर सिंह नेगी बने साथियों की हिम्‍मत, जानें इन शब्‍दों से बढ़ाया मनोबल

नई दिल्ली. उत्‍तराखंड की सुरंग से सुरक्षित मुक्‍त कराए गए 41 मजदूरों के कारण पूरे देश में खुशी का माहौल है. ये मजदूर 17 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे थे. इनके बचाव अभियान में कई एजेंसियां साथ मिलकर काम कर रही थीं. यह एक ऐसी परिस्थिति थी जिसने अधिकांश को संकल्प की परीक्षा लेने पर मजबूर कर दिया था. अगर सुरंग के बाहर के लोगों पर बचाव ऑपरेशन का दबाव था. वहीं, सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों का मनोबल बढ़ाने, स्‍वस्‍थ रहने और हिम्‍मत बढ़ाने की कोशिश की गई. इसमें से एक शख्‍स हैं- गब्‍बर सिंह नेगी.

सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों में से एक गब्‍बर सिंह नेगी ने कहा कि जमीन में 200 फीट अंदर 400 घंटों से अधिक समय तक रहना कठिन था. यहां साथी मजदूरों को शांत रखना और उनका मनोबल बनाए रखना बड़ी चुनौती थी. मैंने अपने साथियों को योग और ध्‍यान सिखाया और उन्‍हें शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय बनाए रखा. अपने साथी मजदूरों को यह कहकर हिम्‍मत दी कि ‘हम सब सुरक्षित बाहर निकल जाएंगे और आप सब पहले और सबके बाद मैं बाहर आऊंगा.

मैं सुरंग से सबसे बाद में बाहर निकलने वाला व्‍यक्ति होऊंगा
गब्‍बर सिंह के भाई जयमाल सिंह नेगी ने कहा कि सभी मजदूरों को सुरक्षित रखा और पूरे समय यह बात दोहराई कि ‘मैं तुम्‍हारा सीनियर हूं, इसलिए मैं सुरंग से सबसे बाद में बाहर निकलने वाला व्‍यक्ति होऊंगा…’ उन्‍होंने कहा कि गब्‍बर सिंह सहित सभी मजदूरों की गहन मेडिकल जांच हुई है और यह देखा गया है कि कहीं किसी को कोई चोट तो नहीं आई है. ये सभी अब आपदा से बहुत दूर सकुशल और अपनों के बीच हैं. सभी मजदूरों के परिवार भी बहुत खुश हैं. उन्‍होंने कहा कि इसका कोई बड़ा कारण संभावित विनाशकारी स्थिति को नियंत्रण में रखने में गब्बर नेगी का प्रयास ही है.

पूरे देश ने मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए की प्रार्थना
जयमाल सिंह ने कहा कि ‘मैं बहुत खुश हूं… परिवार बहुत खुश है. न केवल परिवार बल्कि पूरा देश खुश है… पूरे देश ने उनके लिए प्रार्थना की. जब वे बाहर आए और हमने देखा कि वे सभी सुरक्षित हैं, तो हमने मिठाइयां और मालाएं बांटीं.’ उन्‍होंने कहा कि मैं हादसे की खबर मिलते ही यहां आ गया था और करीब दो सप्ताह से यहीं हूं. उन्‍होंने एनडीटीवी को बताया कि मैं उनसे रोजाना बात करता रहा. पहले तो जमीन में डाले गए पाइपों के जरिए और फिर फोन से. मैंने अपने भाई गब्‍बर को योग करने की सलाह दी थी. तब उन्होंने बताया था कि ‘हां, हम सब यह कर रहे हैं.’

Tags: Rescue operation, Uttarakhand news, Uttarkashi News


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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