अजब गजब

कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा, मगर 2 बार क्यों है महिंद्रा? एक का ताल्लुक पाकिस्तान से

नई दिल्ली. आपने सड़कों पर थार (Thar) को टहलते तो देखा ही होगा. इस रौबदार गाड़ी को बनाया है महिंद्रा (Mahindra) ने. एक्सयूवी समेत महिंद्रा की कई और गाड़ियां भी खूब चली हैं. कंपनी का पूरा नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) है. क्या आपने मन में कभी यह सवाल नहीं उठा कि नाम में दो बार महिंद्रा क्यों आता है? एक से भी तो काम चल सकता है, फिर दो बार महिंद्रा क्यों? इस बारे में ज्यादातर लोगों को कोई जानकारी नहीं है, परंतु इसके पीछे लम्बी कहानी है. कहानी इतनी दिलचस्प है कि जानकर मज़ा आ जाए.

भारत की आजादी से 2 साल पहले इस कंपनी का जन्म हुआ था. नाम रखा गया एम एंड एम (M&M). इसमें एक M का मतलब महिंद्रा था, तो दूसरे M का मतलब मुहम्मद था. आनंद महिंद्रा के दादा केसी महिंद्रा (KC Mahindra) और मलिक गुलाम मुहम्मद (Malik Ghulam Muhammad) ने मिलकर इस कंपनी को बनाया था. कंपनी का शुरुआती काम स्टील का था. 2 साल में एक तरफ कंपनी बढ़ रही थी तो दूसरी तरफ भारत भी आजादी की दिशा में अग्रसर था. फिर 15 अगस्त 1947 का वह दिन भी आया, जब भारत अंग्रेजों से आजाद तो हुआ, मगर उससे एक दिन पहले ही 2 हिस्सों में बंट गया. एक हिस्से में भारत तो दूसरे में पाकिस्तान.

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पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री बने गुलाम मुहम्मद
मलिक गुलाम मुहम्मद उस समय देश की जानी-मानी हस्तियों में से एक थे. उन्हें फाइनेंस की काफी अच्छी समझ थी. जब भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटे तो गुलाम मुहम्मद ने पाकिस्तान में जाना मुनासिब समझा. इसके पीछे एक बड़ी वजह भी थी. दरअसल, पाकिस्तान के वजीर-ए-आला मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने मलिक गुलाम मुहम्मद को देश का वित्त मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसके चलते वे इनकार नहीं कर पाए और पाकिस्तान का हिस्सा हो गए.

इसी से जुड़ी एक और रोचक जानकारी यह है कि जिन्ना ने गुलाम मुहम्मद से पहले विप्रो (Wipro) के फाउंडर अज़ीम प्रेमजी (Azim Premji) के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी (Mohammad Hashim Premji) से संपर्क साधा था. जिन्ना उन्हें पाकिस्तान का फाइनेंस मिनिस्टर बनाना चाहते थे. मगर दूरदृष्टा हाशिम प्रेमजी ने इनकार कर दिया और भारत में ही रहने का फैसला लिया. जिन्ना के सामने दूसरा नाम गुलाम मुहम्मद का था, जिन्होंने जिन्ना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.

दूसरा महिंद्रा कौन?
M&M का एक M पाकिस्तान जा चुका था. केसी महिंद्रा चाहते तो एक M हटाकर कंपनी का नाम केवल महिंद्रा भी कर सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया. ऐसा न करने का एक बड़ा कारण था कि M&M नाम से असेसरीज़ छप चुकी थीं. कंपनी की ब्रांडिंग के पूरे सामान पर M&M छपा हुआ था, जिसकी ठीक-ठाक लागत आई थी. ऐसे में उन्हें रिप्लेस करने के लागत बढ़ती, जिसे केसी त्यागी स्वीकारना नहीं चाहते थे.

चूंकि गुलाम मुहम्मद का साथ छूट चुका था, और केसी महिंद्रा को एक और साथी की जरूरत थी. ऐसे में उन्होंने अपने छोटे भाई जेसी महिंद्रा को अपने साथ ले लिया और कंपनी नाम M&M ही रहने दिया गया. M&M में अब मुहम्मद की जगह एक और महिंद्रा जुड़ गया.

Tags: Anand mahindra, Mahindra and mahindra, Mahindra Thar, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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