मध्यप्रदेश

The final hearing on daughter’s liver donation will be held in the High Court today | इंदौर; बेटी पिता को लिवर डोनेट कर पाएगी या नहीं?: हाईकोर्ट में आज फैसला संभव; बेटी के फिटनेस टेस्ट रिपोर्ट का भी होगा खुलासा – Indore News

इंदौर के बेटमा की नाबालिग बेटी प्रीति पिता को लिवर दे सकती है या नहीं इसी सुनवाई आज इंदौर हाई कोर्ट में होने की संभावना है। डॉक्टरों की जांच कमेटी ने प्रीति का मेडिकल परीक्षण (फिटनेस टेस्ट) कर लिया है। रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंप दी है। रिपोर्ट में डॉक्

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बता दें कि 13 जून को इंदौर हाईकोर्ट में बेटी के पिता को लिवर डोनेट करने की गुहार लगाई गई थी। तब से लगातार कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

पिछली सुनवाई 20 जून को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने एमवायएच अधीक्षक को कमेटी गठित कर तीन दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि यदि बेटी लिवर डोनेट करती है तो उसे भविष्य में कोई परेशानी तो नहीं आएगी। वो लिवर देने के लिए फिट है या नहीं। उसकी जान को कोई खतरा तो नहीं है।

कोर्ट के डायरेक्शन के बाद कमेटी गठित की गई। 21 जून को डोनर बेटी का मेडिकल परीक्षण भी हो गया। जिसके बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। सोमवार को सुनवाई में रिपोर्ट पर से भी पर्दा उठ जाएगा।

राज्य शासन को भी अनुमति के लिए फाइल भेजी गई है। वहां से अब तक कोई जवाब नहीं आया है। सरकार की ऑथोराइजेशन कमेटी से अनुमति मिलने पर ट्रांसप्लांट हो सकेगा।

पिता के लिए अगले 5 से 7 दिन बहुत महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यदि जल्द से जल्द लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा है। बीच में पिता की तबीयत खराब होने पर उन्हें दोबारा आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था।

यह है मामला

दरअसल, इंदौर के शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है। हालत क्रिटिकल है। डोनर नहीं मिला, ऐसे में नाबालिग बेटी प्रीति ने कहा था कि वह पिता को लिवर देंगी। हालांकि, उनकी उम्र 18 साल से दो महीने कम है। नाबालिग होने से डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट से मना कर दिया था। बेटी प्रीति ने हाई कोर्ट इंदौर में 13 जून को याचिका दायर की। इसमें लिवर डोनेट करने की अनुमति मांगी।

मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा

डॉक्टर का कहना है कि लिवर ट्रांसप्लांट करने का भी एक समय होता है। समय निकलने के बाद ट्रांसप्लांट की सक्सेस रेट कम हो जाता है। अगर मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया। पेशेंट बीमार होकर वेंटिलेटर पर आ गया। डायलिसिस पर आ गया। तब लिवर ट्रांसप्लांट करना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि लिवर ट्रांसप्लांट में सिर्फ लिवर बदला जाएगा।

लेकिन एक से ज्यादा बॉडी ऑर्गन (शरीर के अंग) फेल हो गए तो कैसे मैनेज होगा।

यह केस क्रिटिकल क्यों हुआ कि हाई कोर्ट पहुंच गया?

पिता को कोई डोनर नहीं मिलने पर नबालिग बेटी ने लिवर डोनेट करने की इच्छा जाहिर की। लेकिन डॉक्टरों ने बेटी के नाबालिग होने के चलते ट्रांसप्लांट करने से इंकार कर दिया। इस पर बेटी ने वकील के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर कर पिता को लिवर डोनेट करने की अनुमति मांगी। चूंकि डॉक्टर पहले ही पिता की स्थिति को लेकर चेतावनी दे चुके हैं कि यदि जल्द से जल्द लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया तो मल्टी ऑर्गन फेलियर का खतरा है।

अगर मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया तो पेशेंट बीमार होकर वेंटिलेटर पर आ जाएगा। डायलिसिस पर आएगा। तब लिवर ट्रांसप्लांट करना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि टाइमली लिवर ट्रांसप्लांट में तो सिर्फ लिवर बदलना पड़ता है। लेकिन ऑर्गन फेलियर की कंडीशन में एक से ज्यादा ऑर्गन (शरीर के अंग) फेल हुए तो कैसे मैनेज होगा? अभी भी पेशेंट आईसीयू में है। सुधार है, लेकिन जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट जरूरी है।’ इन कारणों से बेटी ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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