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कंपनी से ही बेवफाई! बिना काम के ही महिला को मिलती रही 20 साल तक सैलरी, फिर…

नई दिल्ली: सैलरी का इंतजार हर किसी को होता है. काम करने के बाद महीने के अंत में जब सैलरी आती है तो लोग काम का सारा स्ट्रेस भूल जाते हैं. लेकिन ऐसा कोई नहीं होगा जिसकी चाहत बिना काम के सैलरी लेना हो. हालांकि इस तरह का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक फ्रांसीसी महिला ने दूरसंचार दिग्गज कंपनी ऑरेंज पर हैरान कर देने वाला मुकदमा दायर किया है.

दरअसल महिला ने कंपनी पर आरोप लगाया कि कंपनी ने उसे कोई काम नहीं दिया. इस दौरान कंपनी उसे सैलरी देती रही. लॉरेंस वैन वासेनहोवे का दावा है कि विकलांगता के कारण ट्रांसफर का अनुरोध करने के बाद कंपनी ने उसे प्रभावी रूप से किसी भी प्लान में शामिल करना बंद कर दिया.

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क्या है पूरा मामल
आंशिक पक्षाघात और मिर्गी से पीड़ित वासेनहोवे को कथित तौर पर 1993 में ऑरेंज के पूर्ववर्ती फ्रांस टेलीकॉम द्वारा काम पर रखा गया था. वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हैं. शुरुआत में, उन्होंने अपनी सीमाओं के अनुरूप भूमिकाएं निभाईं, सचिव और मानव संसाधन के रूप में काम किया. हालांकि, 2002 में, उन्होंने फ्रांस के भीतर एक अलग क्षेत्र में ट्रांसफर का अनुरोध किया.

वैन वासेनहोवे के वकीलों के अनुसार, उनके ट्रांसफर अनुरोध को मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन नया कार्यस्थल उनकी ज़रूरतों के हिसाब से नहीं बनाया गया था. हालांकि, एक उपयुक्त विकल्प देने के बजाय, ऑरेंज ने कथित तौर पर उन्हें कोई भी काम सौंपना बंद कर दिया.

अगले दो दशकों तक अपना पूरा वेतन पाने के बावजूद, वैन वासेनहोवे का दावा है कि इस स्थिति के कारण उन्हें “नैतिक उत्पीड़न” का सामना करना पड़ा. उनका तर्क है कि बिना किसी कार्य कर्तव्यों के भुगतान किए जाने के कारण उन्हें अलग-थलग कर दिया गया और पेशेवर उद्देश्य खो दिया गया.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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