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कबाड़ से बने हथियार ने पूरे यूरोप को टेंशन में डाला, जानें कैसे बिना दिखे वार कर जाती है पुतिन की ‘शैडो फ्लीट’

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यह ‘शैडो फ्लीट’ (Shadow Fleet) एक गुप्त समुद्री जहाजी बेड़ा है, जिसमें सैकड़ों कबाड़ हो चुके जहाजों को रखा गया है. पश्चिम देशों के प्रतिबंधों की काट के लिए खड़ी की गई इस शैडो फ्लीट ने पूरे यूरोप को टेंशन दे दी …और पढ़ें

यह ‘शैडो फ्लीट’ एक गुप्त समुद्री जहाजी बेड़ा है, जो रूस के बड़े काम आ रहा. (प्रतीकात्मक तस्वीर- AI)

हाइलाइट्स

  • रूस की ‘शैडो फ्लीट’ पर बाल्टिक सागर में केबल काटने का आरोप है.
  • फिनलैंड पुलिस ने टैंकर ‘ईगल एस’ को छोड़ा, लेकिन जांच जारी.
  • शैडो फ्लीट में कबाड़ हो चुके जहाज शामिल हैं, जो रूस के बड़े काम आ रहे.

यूरोपीय देश फिनलैंड में इन दिनों एक तेल टैंकर की खूब चर्चा है. इस टैंकर को रूस की तथाकथित ‘शैडो फ्लीट’ का हिस्सा माना रहा है, जिसने पूरे यूरोप ही धड़कन बढ़ा दी है. आरोप है कि इस टैंकर ने बाल्टिक सागर में पानी के नीचे मौजूद केबलों को काट डाला. यह घटना दिसंबर की है, जिसके बाद से फिनलैंड पुलिस ने इस टैंकर को जब्त कर लिया था. हालांकि अब पुलिस ने इसे छोड़ दिया है.

‘ईगल एस’ नाम का यह तेल टैंकर कुक आइलैंड्स में रजिस्टर्ड है और उस पर आरोप है कि 25 दिसंबर को इसने जानबूझकर अपने लंगर को बाल्टिक सागर की सतह पर कई किलोमीटर तक घसीटा, जिससे बिजली का एक केबल और चार टेलिकॉम केबल्स को नुकसान हुआ.

इस मामले की तफ्तीश फिनलैंड की राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (NBI) को सौंपी गई, जिसने टैंकर पर फॉरेंसिक जांच की गई. पुलिस ने अपने बयान में कहा कि जांच आगे बढ़ने के बाद अब टैंकर को जब्त करने का कोई आधार नहीं है. हालांकि, टैंकर के आठ क्रू मेंबर्स पर संदेह बना हुआ है, जिनमें से तीन लोगों के अब भी फिनलैंड से बाहर जाने पर प्रतिबंध हैं. पुलिस ने कहा कि मामले की जांच अभी जारी है और इसे अप्रैल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा.

क्या होती है शैडो फ्लीट?
‘शैडो फ्लीट’ (Shadow Fleet) एक गुप्त समुद्री जहाजी बेड़ा है. आरोप है कि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने और अपने तेल निर्यात को जारी रखने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहा है. यह बेड़ा रूस की आर्थिक संजीवनी बना हुआ है, क्योंकि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के तेल और गैस निर्यात पर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं.

कैसे काम करती है यह शैडो फ्लीट?
इस बेड़े में सैकड़ों जहाज शामिल हैं, जिनकी मालिकाना जानकारी छिपाई जाती है या फर्जी दस्तावेजों से उनका स्वामित्व दिखाया जाता है. आमतौर पर ये जहाज कमजोर रेगुलेशन वाले देशों (जैसे कुक आइलैंड्स, पनामा, लाइबेरिया, माल्टा, आदि) में रजिस्टर कराए जाते हैं. इन जहाजों पर मौजूद AIS (Automatic Identification System) ट्रांसपोंडर को बंद कर दिया जाता है, जिससे इनका ट्रैकिंग सिस्टम निष्क्रिय हो जाता है और ये रडार से गायब हो जाते हैं. ये जहाज खुले समुद्र में दूसरे जहाजों से तेल लेते हैं और फिर उसे अलग-अलग देशों में बेच देते हैं, जिससे तेल की असली उत्पत्ति छिपाई जा सके. अक्सर यह प्रक्रिया अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के समुद्री इलाकों में की जाती है.

रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक, रूस अपनी शैडो फ्लीट में 30-40 साल पुराने जहाजों का इस्तेमाल करता है, जिन्हें पश्चिमी कंपनियां आमतौर पर स्क्रैप करने के लिए छोड़ देती हैं. इस कारण कई जहाज खराब हाल में होते हैं और इससे तेल रिसाव का खतरा बना रहता है.

बाल्टिक सागर में पिछले साल कई महत्वपूर्ण समुद्री केबलों को क्षति पहुंचाई गई थी, जिसे विशेषज्ञ रूस की तरफ से पश्चिमी देशों के खिलाफ छेड़े गए ‘हाइब्रिड वॉर’ का हिस्सा मानते हैं. फिनलैंड और स्वीडन ने 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद NATO की सदस्यता ली थी, जिसके बाद हाल के महीनों में बाल्टिक सागर में सैन्य निगरानी बढ़ा दी गई है.

बाल्टिक सागर: ऊर्जा, संचार और गैस पाइपलाइनों का जटिल जाल
बाल्टिक सागर के आसपास स्थित नौ देशों के बीच बिजली, संचार और गैस पाइपलाइनें जुड़ी हुई हैं. इनमें से कुछ प्रमुख कनेक्शन हैं: 152 किलोमीटर लंबी बाल्टिक कनेक्टर गैस पाइपलाइन, जो फिनलैंड और एस्टोनिया को जोड़ती है, स्वीडन और जर्मनी की पावर ग्रिड को जोड़ने वाली हाई-वोल्टेज बाल्टिक केबल, और 1173 किलोमीटर लंबी C-Lion1 दूरसंचार केबल, जो फिनलैंड से जर्मनी तक फैली हुई है.

क्यों अहम हैं समुद्री केबल?
समुद्र के नीचे बिछाई गई ये केबल और पाइपलाइन वैश्विक अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करती हैं, घरों को गर्म रखने और अरबों लोगों को जोड़ने में मदद करती हैं. टेली जियोग्राफी के अनुसार, दुनियाभर में 13 लाख किलोमीटर से अधिक फाइबर ऑप्टिक केबलें बिछी हुई हैं, जो चंद्रमा तक जाकर वापस लौटने के लिए भी पर्याप्त होंगी. ये केबल आमतौर पर एक बगीचे की नली के आकार की होती हैं, लेकिन दुनिया के 97% संचार, जिनमें प्रतिदिन ट्रिलियनों डॉलर के वित्तीय लेनदेन शामिल होते हैं, इन्हीं के जरिए संचालित होते हैं.

बाल्टिक सागर में समुद्री केबलों पर बढ़ते हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है, और NATO इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को लगातार बढ़ा रहा है.

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कबाड़ से बने हथियार ने यूरोप को दिया टेंशन, जानें क्या है पुतिन की शैडो फ्लीट


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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