Minister came out from the backdoor, opposition party MLAs came in her defense | मंत्री के बचाव में विरोधी दल के विधायक: ‘पुराने सरकार’ ने सांसद को संकट से उबारा; ‘बस स्टैंड’ के बहाने पावर पॉलिटिक्स – Bhopal News

सूबे की सत्ता में नेतृत्व परिवर्तन भले हो गया हो, लेकिन लंबे समय पॉलिटिकल पावर की पारी खेलने वाले ‘पुराने सरकार’ अब भी असरदार हैं। हाल ही में हुए इलेक्शन में मालवा क्षेत्र के एक कैंडिडेट को कुछ विधानसभाओं में स्थिति कमजोर लग रही थी। लिहाजा ‘पुराने सर
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भीषण गर्मी में बिना टेंट के सभाएं हुईं। इन सभाओं में आई महिलाओं की भीड़ को देखकर सांसद जी ने राहत की सांस ली। सांसद जी को पहले तो टिकट हासिल करने में पसीने छूट गए। फिर चुनावी भंवर में अपनों से थोड़ा रिस्क डरा रहा था। खैर अब चुनाव जीतने के बाद कह रहे हैं महिलाओं में ‘पुराने सरकार’ की इमेज अब भी असरदार है।
विधायक का हृदय परिवर्तन तो नहीं हो रहा
केंद्र सरकार में मंत्री बनी मध्यप्रदेश की महिला सांसद बेटी पढ़ाओ का स्लोगन ठीक ढंग से नहीं लिख पाईं। फिर क्या था, विरोधी दल को मौका मिल गया। बयानों के तीर से हमले शुरू हो गए। भाजपा की ओर से पलटवार भी हुआ, लेकिन मंत्री ने चुप्पी साधे रखी।
इस घटनाक्रम के अगले ही दिन वे पार्टी ऑफिस पहुंचीं। संगठन के एक बडे़ पदाधिकारी से उनकी मुलाकात हुई। करीब 20 मिनट की चर्चा के बाद मंत्री जी बाहर आईं तो उन्हें ऑफिस के मेन गेट के बजाए बैक डोर से निकाला गया, क्योंकि मीडिया के कैमरे सवालों के माइक के साथ तैयार थे।
खैर, इस घटनाक्रम के बीच विरोधी दल के एक युवा विधायक की ओर से मंत्री के पक्ष में आया बयान मंत्री महोदया के लिए राहत की बात जैसा था। लेकिन विधायक ने अपनी पार्टी के लोगों को चौंका दिया।
उन्होंने – सोशल मीडिया पर लिखा है कि समाज की बेटी है। हम भी उतने पढ़े-लिखे नहीं हैं। हमसे भी गलतियां हो जाती हैं। बस इरादे नेक होना चाहिए। विधायक जी की टिप्पणी से लोग पूछ रहे हैं कि कहीं उनका हृदय परिवर्तन तो नहीं हो रहा?
सागर में सत्ताधारी दल में पावर की पॉलिटिक्स
एमपी के बुंदेलखंड की राजधानी कहे जाने वाले सागर में विपक्ष सुप्तावस्था में हैं। पक्ष-विपक्ष जैसी जो भी स्थिति है वो सत्ताधारी दल के ही अंदर है। मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों के बीच पावर की पॉलिटिक्स यहां पब्लिक को परेशानी में डाल रही है।
सागर में नए बस स्टैंड का निर्माण हुआ तो एक नेता जी ने बसों का संचालन पुराने स्टैंड से बंद कराकर नए बस स्टैंड से शुरू करा दिया। इससे पब्लिक और बस ऑपरेटर्स में नाराजगी बढ़ गई। जब पब्लिक की शिकायतें सबसे सीनियर विधायक तक पहुंची तो उन्होंने सूबे के मुखिया को पत्र लिखकर ये कह दिया कि नए बस स्टैंड से बसों का संचालन शुरू करने में जनप्रतिनिधियों की राय नहीं ली गई।
उन्होंने इंदौर, भोपाल का उदाहरण भी दिया। जहां बसें नए बस स्टैंड से संचालित होती हैं, लेकिन, पुराने बस स्टैंड पर भी स्टॉपेज रखे गए हैं। वैसी ही व्यवस्था सागर में होना चाहिए। उनकी बात को सरकार कितना तवज्जो देती है, यह अलग बात है, लेकिन इससे यह जाहिर तो हो गया कि तनातनी बरकरार है।

कार्यक्रम का आइडिया किसका था?
केंद्र सरकार में एमपी से एक राज्यसभा सांसद को मिलाकर छह सांसद मंत्री बने हैं। इनमें छह बार के सांसद और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पहली मर्तबा केंद्र में मंत्री बने। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराज दिल्ली दरबार की पहली पंक्ति में छठवें नंबर पर बैठे दिखे तो समर्थकों में जोश आ गया।
शिवराज के भोपाल आने पर पूरे शहर में करीब 60 जगहों पर स्वागत की तैयारी शुरू हो गई, लेकिन एक दिन पहले पार्टी की ओर से यह मैसेज मिला कि शिवराज सहित सभी मंत्री ट्रेन से आएंगे। हालांकि इसकी आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई। दो मंत्रियों ने तो भोपाल आने का प्रोग्राम ही नहीं बनाया। बाकी बचे चार में से अकेले शिवराज ही ट्रेन से भोपाल आए।
रेलवे स्टेशन से स्वागत का सिलसिला शुरू हुआ और कुछ देर बाद ये खबर आई कि पार्टी के एक सीनियर लीडर की पत्नी का निधन हो गया है। लिहाजा मंत्रियों का स्वागत समारोह कैंसिल किया जा रहा है। अब मंत्रीगण कार्यालय परिसर में लगी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करेंगे। दफ्तर करीब आने से कुछ दूर पहले ही रोड शो खत्म कर वे पार्टी ऑफिस पहुंचे। अब पार्टी में ही लोग पूछ रहे हैं कि एक लीडर के स्वागत कार्यक्रम को पार्टी का प्रोग्राम बनाने का आइडिया किसका था?

पोस्टिंग से पहले ही दफ्तर देखने पहुंच गए साहब
अब जबकि चुनाव खत्म हो गए तो चुनाव आयोग के अधीन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पदस्थ अपर सचिव और सचिव स्तर के अफसरों के काम भी इस दफ्तर में कम हो गए। ऐसे में मुख्य धारा में आने के लिए यहां पदस्थ अफसरों ने नए ठिकानों की तलाश शुरू कर दी है।
ये अधिकारी इस समय राजधानी के उन दफ्तरों के पते और हालात की जानकारी जुटाने में लग गए हैं, जहां उन्हें नई पदस्थापना के रूप में जगह मिल सकती है। इसी के चलते यहां पदस्थ कई सीनियर अफसर अरेरा हिल्स स्थित विभागाध्यक्ष कार्यालयों में विजिट भी कर चुके हैं। उधर कुछ अधिकारी फील्ड में पोस्टिंग की जमावट में भी जुट गए हैं।

मंत्री स्टाफ में जगह न मिलने की छटपटाहट
लोकसभा चुनाव खत्म होने पर मंत्री स्टाफ में पोस्टिंग पाने के इच्छुक कई अधिकारियों की हाल ही में बैरंग लौटने की स्थिति बन गई है। दरअसल सीएम सचिवालय ने मंत्री की ओर से अपने स्टाफ में इनकी पोस्टिंग के लिए भेजी गई फाइल को नकार दिया है।
इसकी वजह पहले से ही मंत्री स्टाफ में काम करना और अच्छी छवि नहीं होना बताया गया। यह सब होने के बाद भी ये अधिकारी अभी हार नहीं मान रहे हैं। आपको बता दें कि इनमें से एक अफसर वही हैं जिन्हें इसी माह अपने विरुद्ध लगने वाले आरोपों से बचाव के लिए थाने की शरण लेनी पड़ी थी। बाद में एक महिला की गिरफ्तारी भी हुई थी।
कब बनेंगे IFS, तारीख पर तारीख
वर्ष 2022 बैच की आईएफएस की डीपीसी को शायद किसी की नजर लग गई है। दरअसल राज्य वन सेवा के अफसरों को अखिल भारतीय सेवा के पद पर पदोन्नत होने के लिए पिछले तीन माह से इंतजार पर इंतजार करना पड़ रहा है।
छह से अधिक बार डीपीसी के लिए तारीख तय हुई पर डीपीसी के लिए बैठक नहीं हो सकी। अब इन 13 राज्य वन सेवा के अफसरों को और अधिक इंतजार करना पड़ सकता है। इस देरी के बीच अब वन महकमा 2023 बैच की डीपीसी के लिए 11 पदों का प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहा है। ऐसा हुआ तो अब दिसंबर तक मामला खींच सकता है।
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