Discussion of practice board in Indore | इंदौर में अभ्यास मंडल की परिचर्चा: पहले पेपर आउट होते थे, अब लीक हो रहे हैं, शिक्षा का व्यवसाय बनना कलंक – Indore News

सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध अभ्यास मंडल ने एक परिचर्चा आयोजित की। इसका विषय था – उच्च शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षा में आ रही विसंगतियां एवं विद्यार्थियो का भविष्य। इस ज्वलन्त मुद्दे पर विभिन्न शिक्षाविदों, एडवोकेट, समाजसेवी और छात्रों ने बेबाकी
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शिक्षाविद् एवं पर्यावरणविद डाॅ. एसएल गर्ग ने कहा कि जब कोई अयोग्य व्यक्ति गलत साधनों और संसाधनों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ता हैं तो बड़ी तकलीफ होती है। जब तक बुराइयों का पलडा भारी रहेगा, तब तक समाज में तमाम तरह की विसंगतियां बढ़ती ही रहेंगी, जिसमें परीक्षा का लीक होना आदि शामिल हैं। रिचेकिंग और पुनर्मूल्यांकन के माध्यम से नंबर बढ़ाने का खेल वर्षों से चल रहा हैं। मेडिकल के छात्र टीचर को पैसे देकर नंबर बढ़वाते हैं तो वहीं राजनेता भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नंबर बढ़वाते हैं। आवश्यकता हैं कि हर क्षेत्र में शुचिता हो। एडवोकेट जयेश बदनानी ने कहा कि उच्च शिक्षा की परीक्षा में पेपर लीक कराना एक तरह की एजुकेशन स्मगलिंग हैं, ऐसे अधिकारियों के लिए कठोर आर्थिक दण्ड और कठोर कानूनी सजा दोनों के प्रावधान हैं। मध्यप्रदेश में भी ऐसे कानून न केवल बने बल्कि उनको प्रभावी तरीके से लागू भी किया जाए ताकि कोई अपराधि इस तरह के अपराध नहीं कर सके।
परिचर्चा में विचार रखती एक वक्ता।
64 पेपर लीक हुए जो शिक्षा व्यवस्था पर कलंक
एडवोकेट कुणाल भंवर ने कहा कि बीते वर्षों में 64 पेपर लीक हुए जो शिक्षा व्यवस्था पर कलंक हैं। अगर स्कूली परिक्षाओं में इस विसंगती को समाप्त कर दें, तो उच्च शिक्षा परिक्षा में पेपल लीक नहीं होंगे। साइबर एक्सपर्ट सन्नी वाधवानी ने मोबाइल और लैपटॉप पर डैमो देकर बताया कि किसी भी पेपर की पीडीएफ फाइल को ओपन किया जा सकता हैं। भले ही उसका पासवर्ड कितना भी कठिन क्यूं न हो, इसलिए जागरुक होना जरूरी हैं।

परिचर्चा में शामिल शहर के प्रबुद्धजन।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं व्यवसाय बन गईं
शिक्षाविद डाॅ. रुपेश कुंभज ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हैं, लेकिन आज ये व्यवसाय बन गई हैं। शिक्षा का निजीकरण बंद करना होगा और सरकारी कॉलेजों को बढावा देना होगा। शिक्षाविद डाॅ. जितेन्द्र तलरेजा ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को स्वायेत्ता मिलना चाहिए ताकि वे अपना पाठ्यक्रम बना सके, ताकि वे अपना सिलेबस बना सके। हर छात्र की पढाई का मकसद केवल नौकरी नहीं होकर स्वयं का रोजगार भी होना चाहिए। पर्यावरणविद डाॅ. ओपी जोशी ने कहा कि पहले पेपर आउट होते थे अब लीक होते हैं। जिन परिक्षाओं में लाखों कि संख्या में छात्र शामिल होते हैं। उन्हें विभिन्न स्तरों पर आयोजित किया जाना चाहिए। एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कठोर कानून होंगे, तो विसंगतियां कम होंगी। छात्रा ग्रीष्मा त्रिवेदी ने कहा कि वेलफेयर सर्विस के नाम पर फीस लेना छात्रों के साथ अन्याय हैं।
कार्यक्रम में अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, वैशाली खरे, डाॅ. मनीषा गौर, शफी शेख, अशोक कोठारी, प्रवीण जोशी, श्याम पांडे, हरेराम वाजपेयी, पी सी शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। परिचर्चा का संचालन डाॅ. पल्लवी आढाव और डाॅ. स्वप्निल व्यास ने किया। आभार माना मालासिंह ठाकुर ने।
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