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लोकसभा स्पीकर पद को लेकर होगा घमासान, विपक्ष उतारेगा अपना प्रत्याशी! जानें क्‍यों यह पद इतना महत्‍वपूर्ण

नई द‍िल्‍ली, लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजर लोकसभा स्‍पीकर के चुनाव पर है. क्‍योंक‍ि वहीं तय होगा क‍ि सरकार और विपक्ष पर क‍ितनी शक्‍त‍ि है. पहले माना जा रहा था क‍ि शायद विपक्ष लोकसभा स्‍पीकर के चुनाव में साथ नजर आए और सर्व सम्‍मत से लोकसभा अध्‍यक्ष चुना जाए. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष की रणनीत‍ि कुछ और ही है. इंडिया गठबंधन अपना प्रत्‍याशी उतारने के बारे में विचार कर रहा है. अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा स्‍पीकर के चुनाव में घमासान देखने को मिल सकता है.

दरअसल, एक दिन पहले सरकार ने सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष यानी प्रोटेम स्‍पीकर नियुक्त किया गया है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने यह जानकारी दी. प्रोटेम स्‍पीकर ही सांसदों को शपथ द‍िलाएंगे. उनकी मदद करने के ल‍िए एक पैनल बनाया गया है, जिसमें कांग्रेस नेता के. सुरेश, द्रमुक नेता टीआर बालू, भाजपा के राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय शामिल हैं.

क‍िस बात से नाराज
विपक्ष के सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को लेकर सरकार के रुख से विपक्ष नाराज है. ऐसे में स्पीकर पद को लेकर विपक्ष द्वारा उम्मीदवार उतारा जाना लगभग तय है. अगर विपक्ष अपना उम्‍मीदवार उतारता है, तो लोकसभा में शक्‍त‍ि परीक्षण की नौबत आएगी. क्‍योंक‍ि मतदान कराना होगा और तब पता चलेगा क‍ि सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के पास क‍ितनी ताकत है.

पहले भी खेला दांव
लोकसभा चुनाव के बाद से ही विपक्ष लोकसभा स्‍पीकर पद को लेकर लगातार दांव चल रहा है. इंडिया गठबंधन के नेताओं ने जदयू प्रमुख व बिहार के नीतीश कुमार और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से अपील की क‍ि वे खुद अपना लोकसभा स्‍पीकर बनाने के ल‍िए दबाव बनाएं. लेकिन जब ये दांव नहीं चला, दोनों दलों की ओर से साफ कर द‍िया गया क‍ि एनडीए का जो भी प्रत्‍याशी होगा, वे उसका समर्थन करेंगे, इसके बाद से विपक्ष अपना प्रत्‍याशी उतारने के बारे में विचार करने लगा है.

क्‍यों यह पद इतना महत्‍वपूर्ण
लोकसभा स्‍पीकर के पास असीमित शक्‍त‍ियां होती हैं. उनके पास यह तय करने का अधिकार है कि कौन सा सदस्य संसद को संबोधित कर सकता है या सदन में सवाल उठा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह किसी कानून को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं जिसे सरकार धन विधेयक के रूप में पारित करना चाहती है. सबसे अहम बात, बहुमत परीक्षण के समय उनकी भूमिका काफी महत्‍वपूर्ण हो जाती है. ऐसे में अगर विपक्ष का स्‍पीकर हो, तो सदन का कामकाज चलाना काफी मुश्क‍िल हो जाता है.

Tags: BJP Congress, Lok Sabha Speaker


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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