The son of the saint whom Amit Shah met is the Congress candidate: Faith card against the royal family, ticket given to Dheeran associated with Anchal Kunddham | जिस संत से मिले शाह, उनका बेटा कांग्रेस उम्मीदवार: अमरवाड़ा में राजघराने के खिलाफ आस्था का कार्ड; आंचल कुंडधाम से जुड़े धीरन लड़ेंगे चुनाव – Madhya Pradesh News

तारीख- 25 मार्च 2023। स्थान- आंचल कुंडधाम, बटकाखापा, हर्रई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यहां 25 प्रमुख लोगों से मुलाकात की थी। इनमें इस धाम से जुड़े सुखराम दास जी महाराज भी शामिल थे। अब इन्हीं सुखराम दास जी महाराज के 35 वर्षीय बेटे धीरन शाह इनवाती
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कांग्रेस उम्मीदवार के नाम का ऐलान होने के साथ ही अमरवाड़ा में त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है। भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए पूर्व विधायक कमलेश शाह को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने यहां से अपने युवा चेहरे देवीराम उर्फ देव रावेन भलावी पर फिर दांव लगाया है।
अमरवाड़ा आदिवासी बहुल सीट है। यहां आदिवासियों का हर्रई राजघराना, गोंगपा और आंचल कुंडधाम तीनों से जुड़ाव है। ऐसे में ये चुनाव दिलचस्प हो गया है। भाजपा, कांग्रेस और गोंगपा के क्या हैं समीकरण, आंचल कुंडधाम को लेकर आखिर आदिवासियों में क्यों है इतनी आस्था…पढ़ें ये रिपोर्ट
जानिए क्यों है, आदिवासियों की आंचल कुंडधाम में आस्था
करीब 200 साल पहले आंचलकुंड धाम की स्थापना धीरन शाह के परिवार के कंगाल दास बाबा ने की थी। आदिवासी परिवार सिंगरामी इनवाती के परिवार में जन्मे कंगाल दास बाबा का परिवार मजदूरी करने नरसिंहपुर जाया करता था।
यहां साईं खेड़ा में दादाजी धूनीवाले का दरबार था। इसी दरबार में कंगाल दास बाबा भी जाकर रहने लगे और पूजा-पाठ करने लगे। इसके बाद उन्होंने दादाजी धूनीवाले को गुरु बनाया और उनकी पूजा-अर्चना आंचल कुंड में करने लगे।
जब कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, तो वे फिर से साईं खेड़ा दरबार पहुंचे और दादाजी धूनीवाले के समक्ष जाकर रोने लगे। उन्होंने दादाजी को अपने साथ आंचल कुंडधाम बुलाने की जिद करने लगे। कहा जाता है कि दादाजी ने कंगाल दास बाबा से कहा कि तुम चलो मैं भी वहीं आता हूं।
कंगाल दास बाबा 15 दिन में 150 किमी की दूरी तय कर जब आंचल कुंड पहुंचे, तो वहां दादाजी और हरिहर बाबा मड़िया में बैठे हुए थे। दादाजी धूनीवाले ने धाम में धूनी जलाते हुए कंगाली बाबा को आशीर्वाद दिया कि हम यहीं पर निवास करेंगे और इसी धूनी से सभी के संकट दूर होंगे। अब तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है।

25 मार्च 2023 को छिंदवाड़ा दौरे पर आए गृहमंत्री शाह आंचल कुंड दरबार भी पहुंचे थे।
कांग्रेस ने आंचल कुंडधाम से जुड़े धीरन शाह को टिकट क्यों दिया
अमरवाड़ा से बीजेपी प्रत्याशी कमलेश शाह हर्रई राजघराने से आते हैं। अब उन्हें मात देने के लिए कांग्रेस ने इसी धाम की आस्था को अपना अचूक अस्त्र बनाया है। उसने धाम के महाराज के बेटे धीरन शाह को प्रत्याशी बनाकर आदिवासी वोटरों को सहेजने का तगड़ा दांव चला है।
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की मजबूत घेराबंदी के बाद भी कांग्रेस अपना ये किला बचाने में सफल रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने कांग्रेस के इस किले में सेंध लगाने के लिए विधायक कमलेश शाह को ही तोड़ लिया। नतीजा ये हुआ कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को यहां से 15 हजार वोटों की लीड मिली।
कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह बटकाखापा सहकारी समिति में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी है। वे अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सामने मुश्किल ये है कि इस क्षेत्र के आदिवासियों में धाम को लेकर गहरी आस्था है। यदि ये आस्था भारी पड़ी तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी।

कमलनाथ ने 43 साल पहले पदयात्रा निकालकर यहीं से की थी सियासत की शुरुआत
दादा जी दरबार से जुड़े लोग बताते हैं कि कमलनाथ ने जब 1980 में पहला चुनाव लड़ा था उस समय आंचल कुंड के सेवादार रतनदास जी दादा थे। कमलनाथ उस समय दरबार में आए थे। तब यहां सड़क नहीं थी। इस वजह से कमलनाथ बटकाखापा से 5 किमी पैदल आंचलकुंड पहुंचे थे।
दादा जी दरबार में कमलनाथ ने माथा टेका और यहां से भभूत उठाकर माथे पर लगाई थी। इस तरह उन्होंने अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने इस धाम तक पहुंचने के लिए रास्ता बनवाया और मंदिर निर्माण के लिए राशि भी दान की थी।
इस धाम से जुड़े लोगों का कहना है कि छिंदवाड़ा से आंचलकुंड के लिए राज्य परिवहन की बस सेवा भी कमलनाथ के प्रयासों से शुरू हुई थी। इसलिए इस धाम से कमलनाथ का गहरा नाता है।

ये तस्वीर 1980 की है, जब कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से पहला चुनाव लड़ा था। उस समय वे आंचल कुंडधाम पहुंचे थे।
अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर क्यों है त्रिकोणीय मुकाबला
अमरवाड़ा विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तीसरी बड़ी ताकत है। 2003 में GGP के मनमोहन शाह बट्टी इस सीट से चुनाव जीते थे। इसके बाद से GGP इस सीट को जीत तो नहीं पाई, लेकिन हर चुनाव में उसने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया।
2008 में बट्टी इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे तो 2013 के चुनाव में वे तीसरे नंबर पर रहे। 2018 के चुनाव में GGP की वजह से बीजेपी का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा था और मनमोहन शाह बट्टी दूसरे नंबर पर थे।
कोरोना काल में मनमोहन शाह बट्टी के निधन के बाद उनकी बेटी मोनिका शाह बट्टी ने बीजेपी जॉइन की और 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि इस चुनाव में कमलेश शाह ही जीते। GGP से 27 वर्षीय देवीराम उर्फ देव रावेन भलावी ने चुनाव लड़ा और 8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 18 हजार 231 मत पाने में सफल रहे।

गोंगपा की वजह से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली लीड
दरअसल, देव रावेन का अपना वोट बैंक तो है ही आदिवासी बहुल इस सीट पर गोंडवाना का अपना प्रभाव है। इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी बंटी साहू को अमरवाड़ा में बढ़त देव रावेन की वजह से मिली है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा 55 हजार 988 वोट देव रावेन को मिले हैं। इसमें भी 23 हजार 36 वोट अमरवाड़ा विधानसभा में मिले हैं। यदि अमरवाड़ा में GGP को मिले वोट और कांग्रेस को मिले वोटों को जोड़ दें तो ये 1 लाख 1 हजार 509 होते हैं, जो भाजपा को मिले वोटों से लगभग 8 हजार ज्यादा है।
मतलब यहां GGP लड़ाई में न होती तो अमरवाड़ा सीट पर भाजपा को लीड मिलना मुश्किल हो जाता। इस उप चुनाव में भी त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर बन रही है। देवीराम उर्फ देवरावेन भलावी ने 19 जून को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। उनके नामांकन रैली में बड़ी संख्या में आदिवासी युवा शामिल हुए।

शाह राज परिवार का गढ़ माना जाता है अमरवाड़ा
छिंदवाड़ा को जैसे कमलनाथ परिवार का गढ़ माना जाता है। उसी तरह अमरवाड़ा को शाह राज परिवार का गढ़ माना जाता है। कमलेश शाह इस सीट से लगातार तीन बार विधायक बन चुके हैं। इसके पहले उनके दादा राजा उदयभान शाह और मां रानी शैलकुमारी भी कांग्रेस से विधायक रही हैं।
पिता उग्र प्रताप शाह और भाई भूपेंद्र शाह जनपद अध्यक्ष रहे हैं। कमलेश शाह की छोटी बहन कामिनी शाह पहले से भाजपा में हैं। वे महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी बड़ी बहन जिला पंचायत सदस्य केशर नेताम भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।
2019 लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ को सबसे ज्यादा वोट और लीड अमरवाड़ा विधानसभा से ही मिली थी। यही कारण है कि जब कमलेश शाह भाजपा में शामिल हुए तो नाथ परिवार को सबसे अधिक धक्का लगा था।
नकुलनाथ ने तब कमलेश शाह पर विश्वासघाती होने का आरोप लगाया था। इस बार के लोकसभा चुनाव परिणाम से भी साबित होता है कि अमरवाड़ा में आज भी कमलेश शाह का दबदबा कायम है।


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