अजब गजब

किसी दूसरी कंपनी की घड़ी की मांग को बनाया अपना हथियार, टाइटन ने ऐसे जमाए पैर, बन गई छठी सबसे बड़ी घड़ी निर्माता

हाइलाइट्स

टाइटन ब्रांड 1987 में लॉन्च किया गया था.
1986 में टाइटन की घड़ियां बनना शुरू हुई थीं.
टाइटन ने 1996 में तनिष्क की शुरुआत की थी.

Success Story Of Titan: क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि एक कंपनी के किसी प्रोडक्ट की मांग खूब हो और इसी मांग का फायदा उठाकर कोई कंपनी आगे निकल जाए. यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन टाटा ग्रुप की टाइटन (Titan) कहानी कुछ ऐसे ही है. 60 से 80 के दशक में घड़ियों की मार्केट में अचानक उछाल देखने को मिला. कई कंपनियां मैदान में उतरी. इनमें से एक थी एचएमटी. यह कंपनी उस समय भारत में घड़ियों की बादशाह थी. लेकिन यही बात इसके खिलाफ भी गई.

कहा जाता है कि टाइटन ने एचएमटी की घड़ियों की जबरदस्त मांग का फायदा उठाया. टाइटन की स्थापना 1984 में हुई थी. तब एचएमटी की घड़ियां अपने शीर्ष पर थीं. मांग इतनी ज्यादा था कि एचएमएटी घड़िया डिलीवर करने में नाकाम हो रही थी. टाइटन ने इसी मौके का फायदा उठाया और बाजार में जबरदस्त क्वालिटी वाली घड़ियां उतार दी. टाइटन के प्रोडक्ट को लोगों ने हाथों-हाथ लिया और उसके बाद फिर कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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किसने रखी नींव
टाइटन भले ही टाटा ग्रुप की कंपनी मानी जाती हो लेकिन इसकी शुरुआत अकेले टाटा ने नहीं की थी. इसके लिए Tata Industries ने Tamilnadu Industrial Development Corporation के साथ हाथ मिलाया. 1984 में कंपनी की नींव रखी गई और 1986 में प्रोडक्शन शुरू हुआ. 1987 में टाइटन ब्रांड का जन्म हुआ. टाइटन का जनक ज़र्क्सेस देसाई को माना जाता है. वह कंपनी के पहले एमडी थे. टाइटन ने कई सालों तक घड़ियों के बाजार में धूम मचाने के बाद ज्वेलरी के मार्केट में कदम रखा और 1996 में तनिष्क की स्थापना की गई.

कैसे पड़ा टाइटन नाम
इसका नाम टाटा और तमिलनाडु इंस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के नाम से मिलकर बना है. इसका पहला कारखाना 1987 में तमिलनाडु के होसुर में लगाया गया था. आज टाइटन में टाटा की करीब 22 फीसदी और टीआईडीसी की 28 फीसदी हिस्सेदारी है. टाइटन पर दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का भी खूब भरोसा रहा. उनके पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा टाइटन के शेयरों में था. टाइटन आज दुनिया की छठी सबसे बड़ी घड़ी निर्माता है. ये फास्ट्रैक ब्रांड से स्पोर्ट्स वॉच भी बनाती है.

Tags: Business news, Business news in hindi, Success Story, Tata


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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