Why did the country’s first soundproof highway collapse within the guarantee period?Country’s first soundproof highway uprooted during guarantee period 30 years of design but concrete panels disintegrated in 3 years, reason – rain or poor quality | गारंटी पीरियड में ही उखड़ा देश का पहला साउंडप्रूफ हाईवे: 960 करोड़ रुपए की सड़क में दरारें; एक्सपर्ट बोले-खराब कांक्रीट इसकी वजह – Madhya Pradesh News

मध्यप्रदेश में पेंच नेशनल पार्क से लगे नेशनल हाईवे नंबर 44 का 29 किलोमीटर हिस्सा एक बार फिर चर्चा में है। हालांकि, इस बार ये अपनी साउंड प्रूफ और सरपट रफ्तार की खूबियों को लेकर चर्चा में नहीं है बल्कि 960 करोड़ रुपए खर्च कर बनाए गए इस हाईवे में गारंटी
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दैनिक भास्कर ने हाईवे का मेंटेनेंस देखने वाले कंपनी के अथॉरिटी इंजीनियर से ऑन द स्पॉट बातचीत कर समझा कि आखिर हाईवे में दरारें क्यों आईं? ये ज्यादा बारिश की वजह से खराब हुआ है या निर्माण में कोई खामी है। साथ ही हाईवे से गुजरने वाले ट्रक ड्राइवरों, स्थानीय निवासी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों से इसकी वजह समझने की कोशिश की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट….
महाद्वीप का पहला साउंड एंड लाइट प्रूफ हाईवे बताया गया
3 साल पहले 16 सितंबर 2021 को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसका लोकार्पण किया तो इसे देश का पहला ऐसा हाईवे बताया गया था, जो सड़क इंजीनियरिंग के लिए मिसाल है। देश ही नहीं, पूरे एशिया महाद्वीप में इसे पहला साउंड एंड लाइट प्रूफ हाईवे प्रचारित किया गया।
सिवनी को नागपुर से जोड़ने वाले इस नेशनल हाईवे का मोहगांव से खवासा तक 29 किलोमीटर तक का हिस्सा मध्यप्रदेश में आता है। भास्कर रिपोर्टर ने हाईवे के दोनों तरफ पड़ताल की। सीसी सड़क कई जगह से फट गई है। लंबी-लंबी दरारें आ गई हैं। एक साथ कई पैनल खराब भी हो गए हैं। कई जगह तो हाईवे इतना टूटा है कि लोहे के गर्डर भी बाहर दिखाई देने लगे हैं। कई जगह डामर वाली सड़क भी पूरी तरह उखड़ गई।

हाईवे के सीमेंट कांक्रीट के पैनल में इस तरह की दरारें आ चुकी हैं।
घाट वाले क्षेत्र के हिस्से में सड़क सबसे ज्यादा खराब
मोहगांव से कुरई के बीच घाट क्षेत्र वाले हिस्से में सीसी सड़क सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त मिली। जॉइंट में लगे लोहे के एंगल भी क्षतिग्रस्त होकर बाहर आ गए हैं। कई जगह डिवाइडर और साइड में लगे साउंड प्रूफ बैरियर भी टूटे मिले।
घाट वाले एरिया में ही सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होने के निशान भी दिखाई दिए। हालांकि, मेंटेनेंस कंपनी जगह-जगह सुधार का काम कर रही है। क्षतिग्रस्त पैनल बदलने का काम किया जा रहा है।

29 किलोमीटर के हिस्से में 3 बड़ी खामियां…
1. जगह-जगह उखड़ने लगे मेटल रिड्यूसर
हाईवे के दोनों तरफ 1 मीटर का डिवाइडर और 2 मीटर के साउंड प्रूफ मेटल रिड्यूसर लगाए गए थे ताकि हाईवे पर चलने वाले वाहनों की आवाज और हेड लाइट जंगल तक नहीं पहुंचे। अब जगह-जगह लगे साउंड प्रूफ रिड्यूसर भी टूटने लगे हैं। कई जगह तो ये टूटकर हाईवे से नीचे गिर गए हैं। लोगों को कहना है कि एक्सीडेंट की वजह से ही डिवाइडर और मेटल रिड्यूसर टूटे हैं।
2. चेक पोस्ट बंद होने के बाद ओवर लोडिंग व्हीकल बड़ी समस्या
हाईवे इस साल जून के बाद सबसे ज्यादा खराब हुआ है। इसके पीछे की दो बड़ी वजहें मानी जा रही हैं। पहली- ज्यादा बारिश होना और दूसरी- ओवर लोडिंग वाहनों का निकलना। 1 जुलाई से सरकार ने चेक पोस्ट बंद कर दिए हैं। यहां महाराष्ट्र बॉर्डर के पास मेटेवानी पर इंटीग्रेटेड मध्यप्रदेश बॉर्डर चेक पोस्ट था। इस चेक पोस्ट पर ओवर लोडिंग वाहनों की चेकिंग होती थी।
अब ये चेकिंग बंद है इसलिए ओवर लोडिंग को भी सड़क खराब होने का प्रमुख कारण माना जा रहा है। हालांकि, इसी जगह पर परिवहन विभाग ने रोड सेफ्टी एंड इन्फॉर्म एनफोर्समेंट चेक पोस्ट बनाया है। यहां दिन में एक-दो घंटे वाहनों की जांच की जा रही है, लेकिन इस चेक पॉइंट पर ओवर लोडिंग वाहनों की जांच की कोई सुविधा नहीं है।

खवासा के पास महाराष्ट्र बॉर्डर पर बना चेक पोस्ट 1 जुलाई से बंद है। नया चेक पोस्ट ओवर लोडिंग वाहनों की जांच नहीं करता।
3. 29 किलोमीटर में 50 टर्निंग पॉइंट, हो रहे हादसे
हाईवे पर मोहगांव से लेकर खवासा तक 29 किलोमीटर के हिस्से में 50 टर्निंग पॉइंट हैं। भास्कर की टीम के सामने ही कुरई गांव में एक्सीडेंट हो गया। हाईवे पर 24 घंटे में अलग-अलग जगह पर तीन क्षतिग्रस्त ट्रक दिखाई दिए। ड्राइवरों से जब भास्कर रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने बताया कि हादसे की बड़ी वजह हाईवे पर ज्यादा टर्निंग पॉइंट होना है। रिफ्लेक्टर भी उखड़ गए हैं। यहां पर गाड़ियां अक्सर बेकाबू हो जाती हैं।
दरअसल, पेंच टाइगर रिजर्व एरिया की वजह से पूरा हाईवे जंगल से होकर गुजरता है। वन विभाग ने जिस जमीन पर सड़क बनाने की मंजूरी दी, उसी हिसाब से इसे बनाया गया है।

29 किलोमीटर के हिस्से में 50 टर्निंग पॉइंट हैं, जहां वाहन बेकाबू हो जाते हैं।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर बोले- किसी भी तरह की जांच कराने तैयार
भास्कर टीम ने नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजीव शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा- बारिश के बाद 1.6 किलोमीटर हिस्से में 147 पैनल खराब हो गए हैं। मेंटनेंस वर्क किया जा रहा है। क्वालिटी के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे इसकी देश के किसी भी राष्ट्रीय संस्थान से जांच कराने के लिए तैयार हैं।
कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर बोले- ये रूटीन प्रक्रिया
इस हाईवे का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन ने किया है। भास्कर की टीम ने कंपनी के इंजीनियर एनके वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि इस हाईवे में लगभग 3 लाख 1 हजार 700 से अधिक पैनल है। 147 पैनल क्रेक हुए हैं। जो पैनल खराब होते हैं. उनको हम बदलने का लगातार काम कर रहे हैं। इससे पहले भी कई पैनल खराब हुए हैं, जिन्हें बदला गया है।
उनसे पूछा कि हाईवे पर क्रेक आने की क्या वजह रही तो उन्होंने कहा- इसकी कोई एक वजह नहीं होती है। यह एक इन्वेस्टिगेशन एक्सपर्ट ही बता सकता है कि इसके पीछे क्या वजह रही है? एक्सपर्ट ही बताते हैं कि चुनिंदा जगह पर क्रेक आने के पीछे की वजह क्या है? एक्सपर्ट से जो सुझाव मिलते हैं, उन्हें हम भविष्य के प्रोजेक्ट पर अप्लाय करते हैं।

कंपनी के पास चार साल का मेंटेनेंस, उसके बाद NHAI देखेगी
वर्मा ने बताया कि एग्रीमेंट में भी इस बात का प्रावधान है कि हाईवे को बनाने के बाद 4 साल तक कंपनी मेंटेनेंस का काम करेगी। साल 2021 में इस हाईवे का निर्माण पूरा हो गया था। 2025 तक 4 साल का मेंटेनेंस पीरियड हमारे पास है। इस दौरान अगर इस हाईवे में कोई टूट-फूट होती है तो उसे सुधारने का काम हमारा है। उसके बाद एनएचएआई मेंटेनेंस का काम देखेगी।
उनसे पूछा कि घाट वाले एरिया में सड़क के ज्यादा डैमेज होने की क्या वजह है तो वर्मा ने कहा- घाट वाले क्षेत्र में ट्रैफिक के लोड का नेचर अलग होता है। यहां स्लो स्पीड में ओवरलोड वाहन चढ़ते हैं और फिर हाई स्पीड में नीचे उतरते हैं।

क्वालिटी कंक्रीट नहीं होना और ओवर लोडिंग क्रेक की मुख्य वजह
दैनिक भास्कर ने रोड एंड सेफ्टी के एक्सपर्ट मैनिट के प्रोफेसर सिद्धार्थ रोकड़े से बात की। उन्होंने बताया कि यह हाईवे 2021 में बना था। मेंटेनेंस टाइम के अंदर ही इस तरह के क्रेक आने के पीछे कुछ कमियां जरूर होंगी।
जो सड़क अभी अपनी सर्विस लाइफ ही पूरा नहीं कर पाई, उस पर क्रेक आना हैरानी वाला विषय है। नेशनल हाईवे को 30 सालों के लिए डिजाइन किया जाता है। इन्वेस्टिगेशन के बाद ही पता चलता है कि सड़क में दरार आने की वजह क्या रही? इसमें दो मुख्य कारण लग रहे हैं। पहला- क्वालिटी कंक्रीट का इस्तेमाल न होना और दूसरा ओवरलोडिंग वाहनों का गुजरना।

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