किताबों में कम कम्प्यूटिंग में ज्यादा था मन, 50 साल आगे की सोची, फिर दुनिया को दी तकदीर बदलने वाली तकनीक

हाइलाइट्स
जेफ्री हिंटन पिछले कई दशकों में एआई तकनीक में सबसे उल्लेखनीय काम किया है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी उनकी मेहनत का नतीजा है.
जेफ्री हिंटन ने कई वर्षों तक न्यूरल नेटवर्क पर अपनी रिसर्च को लगातार जारी रखा.
Godfather of AI : दुनियाभर में धूम मचा रही आर्टिफिशियल इंटेलीजेस तकनीक के विकास में एक व्यक्ति का अहम रोल रहा है और वे हैं जेफ्री हिंटन, जिन्हें विज्ञान जगत में एआई का गॉडफादर कहा जाता है. क्योंकि जेफ्री हिंटन लंबे समय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के डेवलपमेंट को लेकर काम किया. डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क पर अपने शानदार काम के लिए जाने जाने वाले हिंटन का एआई तकनीक को विकसित करने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी में अपार योगदान के बावजूद जेफ्री हिंटन सादगी पसंद शख्सियत हैं, जो सुर्खियों से दूर रहते हैं और अपनी कामयाबी व सफलता को लेकर पब्लिक के सामने आना पसंद नहीं करते हैं. आइये जानते हैं आखिर कैसे जेफ्री हिंटन ने जिंदगी यह मुकाम पाया.
बचपन से रही साइंस और मैथ्स में रूचि
जेफ्री हिंटन का जन्म 6 दिसंबर 1947 को विंबलडन, लंदन, यूनाइटेड किंगडम में हुआ था और वे वोकिंगम शहर में पले बढ़े. विज्ञान और गणित में उनकी रुचि कम उम्र में ही हो गई थी. खासकर मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली ने उन्हें विशेष रूप से आकर्षित किया. इस रुचि ने आखिरकार उन्हें कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया.
जेफ्री हिंटन ने 1978 में एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में पीएचडी पूरी की. यहीं से उन्होंने प्रैक्टिकल सायकोलॉजी में ग्रेजुएशन किया. पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद, हिंटन ने कई वर्षों तक पिट्सबर्ग के कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में काम किया. इस दौरान उन्होंने न्यूरल नेटवर्क पर अपना काम जारी रखा. इसमें उन्होंने जटिल प्रणालियों को प्रशिक्षित करने और मानव मस्तिष्क के कामकाज की नकल करने वाले एल्गोरिदम बनाने की दिशा में काम किया.
न्यूरल नेटवर्क पर तेजी से किया काम
जेफ्री हिंटन ने आने वाले वर्षों में न्यूरल नेटवर्क पर अपनी रिसर्च को जारी रखा और इन प्रणालियों को स्थापित करने के लिए नए तरीकों की तलाश की. हिंटन विशेष मुख्य रूप से डिप लर्निंग में रुचि रखते थे. इस विषय पर उन्होंने 2006 में एक रिसर्च पेपर का सह-लेखन किया.
जेफ्री हिंटन को 2010 की शुरुआत में व्यापक रूप से एआई में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में मान्यता दी गई. डीप लर्निंग पर उनके शानदार काम ने एआई सिस्टम के विकास के लिए नई संभावनाएं खोलीं. इस सेक्टर में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 2018 में प्रतिष्ठित ट्यूरिंग अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिले.
जेफ्री हिंटन एआई के गॉडफादर कहे जाते हैं, क्योंकि वह युवावस्था से ही कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग के प्रति जुनूनी थे और उनके इस शौक ने उन्हें AI में अभूतपूर्व काम करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने न्यूरल नेटवर्क और डीप लर्निंग तकनकी को विकसित करने में मदद की. 2012 में जेफ्री हिंटन ने Google ज्वाइन किया, जहां उन्होंने एआई शोधकर्ताओं की एक नई पीढ़ी के लिए संरक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं और अपनी रिसर्च पर काम करना भी जारी रखा. 11 साल गूगल के साथ काम करने के बाद हिंटन ने इस संस्थान को अलविदा कह दिया.
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Tags: Artificial Intelligence, Google, Scientist, Technology
FIRST PUBLISHED : May 02, 2023, 18:52 IST
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