Success Story: घर के उपयोग के लिए महिलाएं बनाती थी पंजा दरी, विदेशों की डिमांड से बन गईं लखपति

हाइलाइट्स
पंजा दरी को ऊन और रेशम के धागों से बनाया जाता है.
इसकी बुनाई बहुत ही जटिल होती है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पैटर्न और रंगों का उपयोग किया जाता है.
भोपाल. मध्यप्रदेश के सीधी स्थित सिंहावल के ग्राम हटवा खास का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी हो रहा है. हटवा खास का यह नाम यहां की महिलाओं द्वारा बनाई गई पंजा दरी की वजह से है. इसी दरी की वजह से महिलाएं लखपति हो गई हैं. उनकी कामयाबी को देखते हुए सरकार ने भी पंजा दरी को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया है.
हटवा खास एवं आसपास के गांव में आजीविका मिशन से जुड़ी 40 महिलाएं एवं उनके परिवार सीधे तौर पर पंजा दरी के कार्य से जुड़े हैं. शिल्पी स्व-सहायता की सदस्य निशा बताती हैं कि हम अपने कार्य को आजीविका मिशन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला नई दिल्ली, सूरजकुंड व्यापार मेला हरियाणा और भोपाल हाट मेला में अपने उत्पाद को प्रदर्शित कर चुके हैं. जनता ने इस उत्पाद की काफी तारीफ की है. देशभर में लगने वाले मेलों में इन उत्पादों की अच्छी खासी मांग रहती है. इसके चलते कारोबार का टर्नओवर एक करोड़ प्रतिवर्ष के आंकड़े को छू रहा है.
शुरुआत में पंजा दरी खुद के घर के लिए बनती थी
हटवा खास में पंजा दरी बनाने की परंपरा 20 साल पुरानी है. यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं द्वारा विरासत में मिली है. शुरुआत में, यह दरी केवल घरेलू उपयोग के लिए बनाई जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और यह एक व्यवसाय बन गया.
मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु से आ रहे हैं ऑर्डर
स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं बताती है कि उनके पास समूह के पास फ्रीडम एम्पोरियम मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु से लगातार मांग आ रही है. वे कहती हैं कि आजीविका मिशन की मदद से सभी लखपति क्लब के सदस्य के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं.
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Tags: Mohan Yadav, MP BJP, MP News Today, Sidhi News
FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 13:52 IST
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