मध्यप्रदेश

Mp News: Private Schools Are Making Syndicates To Run The Business Of Fake Books, Increasing Fees Even If Ther – Amar Ujala Hindi News Live


जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सख्त है। इसका रुख जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना की निजी स्कूलों की मनमानी से ही साफ हो गया है। जबलपुर की कार्रवाई के बाद प्रदेश सरकार ने सभी जिलों को निजी स्कूलों की किताबों-फीस को लेकर पूरी जानकारी लेने को कहा है। दीपक सक्सेना जैसे अधिकारियों की पहल और सरकार के सख्त रवैये का फायदा आम जनता को मिलने की उम्मीद है। अमर उजाला ने दीपक सक्सेना से उनकी कार्रवाई को लेकर बातचीत की।

आपने कार्रवाई कैसे शुरू की, यह सब लंबे समय से चल रहा था।

सक्सेना- मुख्यमंत्री ने निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर चिंता व्यक्त की थी। उसके बाद ही हम कार्रवाई के लिए सक्रिय हुए। हमारे पास कोई शिकायत नहीं थी। बच्चे की पढ़ाई प्रभावित होने के डर से अभिभावक सामने नहीं आते थे। इसको लेकर मैंने एक वाट्सअप नंबर शेयर किया। साथ ही मैसेज दिया कि इसमें शिकायत गोपनीय रखी जाएगी। एक दिन में ही हमें 300 से ज्यादा शिकायत मिल गईं। इसके बाद समझ आया कि यह बहुत गंभीर मामला है। फिर हमने इस पर काम शुरू किया।

किस प्रकार की शिकायत आपकों मिलीं

सक्सेना- अधिकतर अभिभावकों की दो ही शिकायत थी। पहली फीस और दूसरी किताबों की।

ये शिकायतें तो लंबे समय से उठ रही हैं, लेकिन होता कुछ नहीं

सक्सेना- अभिभावकों का विश्वास जीतने के लिए हमने पुस्तक मेला लगाया। इससे उनको विश्वास हुआ कि हम उनकी शिकायतों को लेकर गंभीर हैं। फिर हमारी जांच में हमें कई गड़बड़ियां मिलनी शुरू हुईं।

आपकी जांच में किस प्रकार की गड़बड़ी सामने आई

सक्सेना- देखिए, हमारी जांच में हमें इनपुट मिला कि नकली किताबों का पूरा गोरखधंधा चल रहा है। यह सिंडीकेट बनाकर किया जा रहा है। हमने इनपुट के आधार पर तीन से चार बुक स्टोर पर छापे मारे। इसमें 25 हजार से ज्यादा नकली किताबें मिलीं। इन पर आईएसबीएन नंबर ही नहीं था। जिनको मनमानी कीमत पर अभिभावकों को बेचा जा रहा था। दूसरा फीस बढ़ाने की पात्रता नहीं होने के बावजूद स्कूलों ने फीस बढ़ा दी। यह बड़ी गड़बड़ियां सामने आईं।

फीस को लेकर किस प्रकार की गड़बड़ी को आपने पकड़ा

सक्सेना- निजी स्कूल के फीस बढ़ाने के लिए नियम हैं। पहला तो स्कूल का खर्चा का सरप्लस 15 प्रतिशत से कम होने पर ही फीस बढ़ाने के लिए पात्र हैं। इसमें नियम है कि उनको ऑडिट रिपोर्ट जमा करना होगी, फीस में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करने पर कलेक्टर को सूचना देनी होगी और 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी करने पर अनुमति लेनी होगी। स्कूलों ने ना तो ऑडिट कराया और ना सूचना दी, न अनुमति ली। यह सीधे-सीधे आईपीसी की धारा 420 और 409 का अपराध है। इसी प्रकार फर्जी पुस्तकों को मनमानी कीमत पर बेचना भी धोखाधड़ी है।

आपने कितने स्कूलों की जांच की है। कितनी फीस की गडबडी मिली है

सक्सेना- अभी हमारी जांच चल रही है। हमने 11 स्कूलों का 2018 से 2024 तक की फीस का कैलकुलेशन कराया है। इसमें 80 करोड़ 30 लाख रुपए अधिक वसूले गए हैं। यदि इसके आधार पर जिले के आधे स्कूलों का भी अनुमान लगाएं तो यह करीब 250 करोड़ रुपए के आसपास बनता है।

अब आगे क्या कार्रवाई की जाएगी

सक्सेना- हमने स्कूलों से अभिभावकों से वसूली अधिक राशि वापस करने को कहा है। अभी देखना है कि उन्होंने क्या निर्णय लिया है।

कानून होने के बावजूद स्कूलों की मनमानी पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती

सक्सेना- 2018 में मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस एवं अन्य विषयों का विनियमन आया। इसके नियम 2020 में बने। इसके बाद कोरोना आ गया। इसके बाद स्कूल खुले तो शिकायतें आईं, लेकिन एक्ट के तहत कार्रवाई ही नहीं हुई। अब इसके तहत कार्रवाई हो रही है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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