अजब गजब

पग-पग पर मिली लड़की होने की सजा, नहीं हारी हिम्‍मत, ₹10 हजार से शुरू किया काम, बना दी 36000 करोड़ की कंपनी

हाइलाइट्स

किरण मजूमदार शॉ ने कभी बिजनेस करने का नहीं सोचा था. वे ब्रूवर की नौकरी करना चाहती थी, जो उन्‍हें नहीं मिली. बिजनेस के लिए उन्‍हें महिला होने के कारण लोन भी नहीं मिला.

नई दिल्‍ली. बायोकॉन लिमिटेड की फाउंडर, किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) की गिनती भारत के टॉप बिजनेस टायकून में होती है. आज उन्‍हें हर कोई जानता है. लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने में उन्‍होंने जितनी मेहनत की और मुश्किलें झेली, उसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. किरण को लड़की होने के कारण पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. पहले तो उन्‍हें लड़की होने की वजह से उनकी पसंद की जॉब नहीं मिली. इसके बाद जब उन्‍होंने खुद का बिजनेस शुरू करने की सोची तो कोई बैंक उन्‍हें लोन देने को तैयार नहीं हुआ. लेकिन, किरण ने हार नहीं मानी. दस हजार रुपये लगाकर गैराज से अपना काम शुरू किया. अपनी मेहनत और जूनून के दम पर उन्‍होंने बायोकॉन लिमिटेड को खड़ा किया है जिसका बाजार पूंजीकरण आज 36.90 हजार करोड़ रुपये है.

अपनी मेहनत, लगन और सुझबूझ से किरण ने यह साबित कर दिया महिलाएं भी बहुत अच्‍छे से बिजनेस कर सकती हैं. किरण को फोर्ब्‍स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की लिस्‍ट में भी जगह मिल चुकी है. Hurun ने अपनी Global Rich List 2021 मे किरण मजूमदार शॉ को देश की सबसे अमीर महिला उद्यमी बताया था फोर्ब्‍स के अनुसार, उनकी नेट वर्थ (Kiran Mazumdar Shaw Net worth) 290 करोड़ डॉलर है.

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ऑस्‍ट्रेलिया में ली उच्‍च शिक्षा
किरण मजूमदार शॉ का जन्म 23 मार्च 1953 को कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था. उन्‍होंने बेंगलुरु विश्वविद्यालय से साल 1973 में बीएससी (जूलॉजी ऑनर्स) की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने वैलेरेट कॉलेज, मेलबर्न यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया से ‘मॉल्टिंग और ब्रूइंग’ में उच्च शिक्षा हासिल की.

नहीं मिली पसंदीदा नौकरी
किरण ने चार साल तक कार्लटन एंड यूनाइटेड ब्रूवरीज में ट्रेनी ब्रूवर (ब्रूवर यानी जो शराब बनाते हैं) के तौर पर काम किया. इसके बाद उन्‍होंने कोलकाता की स्थित जूपिटर ब्रुअरीज लिमिटेड में तकनीकी सलाहकार के तौर पर भी काम किया. किरण ने बेंगलुरु या दिल्ली में ब्रवर की जॉब करने चाहती थी. दोनों ही जगह कंपनियों में ये कहकर मना कर दिया कि ब्रूवर का काम आदमी करते हैं, औरत नहीं. ये वो समय था जब भारत की शराब कंपनी में महिला को ब्रू-मास्टर के तौर जॉब नहीं दी जाती थी.

पहुंच गई आयरलैंड
ब्रुमास्‍टर की जॉब ढूंढ़ रही किरण की मुलाकात आयरिश बिजनेसमैन लेस ऑचिंक्लॉस से हुई. उन्‍होंने किरण को बिजनेस शुरू करने की सलाह दी. यह राय किरण को जरा भी न सुहाई. ऑचिंक्‍सलॉस ने उन्‍हें ऑफर दिया कि वे आयरलैंड में बायोकॉन बायो केमिकल्‍स में काम सीख लें. अगर उन्‍हें बिजनेस पसंद नहीं आए तो छह महीने बाद वे उन्‍हें ब्रवर की नौकरी दिला देंगे. इसके बाद किरण ने कंपनी में ट्रेनी मैनेजर के तौर पर काम शुरू किया.

गैराज से शुरू की कंपनी
कुछ महीने बॉयोकोन में काम करने के बाद किरण भारत लौट आईं. उनका मन बदल चुका था. वे बिजनेस में हाथ आजमाना चाहती थीं. भारत में किरण बायोटेक्‍नोलॉजी से जुड़ा बिजनेस करना चाहती थीं. चाहती थीं. परंतु दिक्‍कत यह थी कि बायोटेक्‍नोलॉजी उस वक्‍त बिल्‍कुल नया सब्‍जेक्‍ट था. दूसरा, किसी महिला के भी बिजनेस संभाल पाने पर भी लोगों को संशय था. इन्‍हीं वजहों से उन्‍हें बिजनेस शुरू करने के लिए लोन नहीं मिला. 1978 में आयरलैंड की बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड के साथ मिलकर अपनी कंपनी की स्थापना की. उन्होंने मात्र 10 हजार रुपए से एक गैराज में अपनी कंपनी शुरू की थी.

पपीते के रस से बनाया एंजाइम
किरण की कंपनी ने शुरूआत में पपीते के रस से एंजाइम बनाया. यह काफी हिट रहा और किरण का बिजनेस शुरुआती साल में ही गति पकड़ गया. बॉयोकोन ने अपना प्रोडक्‍ट अमेरिका और कई यूरोपिय देशों में निर्यात करना शुरू कर दिया. इसके बाद बायोकॉन ने इसिंग्लास का एक्‍सट्रेक्‍शन शुरू किया. इसका उपयोग बीयर को साफ करने के लिए किया जाता है. इसके बाद तो किरण ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज बॉयोकोन भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है.

Tags: Business news, Success Story, Successful business leaders, Successful businesswoman, Womens Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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