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Hit and Run पर अब नहीं होगी सजा! केंद्र ने बनाया ऐसा प्‍लान, एक क्लिक में मिलेगा सबको समाधान

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नई दिल्‍ली. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ट्रक चालकों को एक प्रौद्योगिकी प्रणाली का उपयोग करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है, जिससे वे अधिकारियों को दुर्घटना के बारे में सूचित कर सकें ताकि उसे नए कानून के तहत ‘हिट एंड रन केस’ न माना जाए. सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा, ‘यह मामला गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है और इस बारे में वही अंतिम निर्णय लेगा.’

उनकी यह टिप्पणी भारतीय न्याय संहिता के तहत ‘हिट-एंड-रन’ मामलों के कड़े प्रावधानों के विरोध में ट्रक चालकों के हड़ताल पर जाने के कुछ दिनों बाद आई है. हालांकि यह नियम अभी तक लागू नहीं हुआ है. इस सप्ताह की शुरुआत में प्रदर्शनकारी ट्रक ड्राइवर सरकार के साथ बातचीत के बाद फिर से काम पर चले गए हैं. जैन के मुताबिक, ट्रक ड्राइवरों को लगता है कि अगर वे किसी व्यक्ति को टक्कर मारने के बाद पीड़ित की मदद करने के लिए रुकेंगे तो उन्हें वहां मौजूद लोग नुकसान पहुंचा देंगे.

ड्राइवर को क्‍या करना होगा?
उन्होंने कहा, ‘हम इसका समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकी का नवोन्मेषी ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं. हमने सुझाव दिया है कि चालक हादसे के बारे में अधिकारियों को सूचित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रणाली का उपयोग करें ताकि उसे हिट-एंड-रन मामला न माना जाए. उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी प्रणाली पर अधिकारियों को सूचित करने के बाद ड्राइवर दुर्घटनास्थल से 25-50 किलोमीटर के दायरे में पुलिस को हादसे की सूचना दे सकता है.’

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बातचीत से हल निकालना चाहती है सरकार
ट्रक ड्राइवरों के प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के प्रतिनिधियों ने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा था कि नए ‘हिट-एंड-रन’ मामलों से संबंधित दंड प्रावधान को लागू करने का निर्णय एआईएमटीसी प्रतिनिधियों से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा.

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नए कानून में कितनी सजा?
कुछ ट्रक, बस और टैंकर ऑपरेटर ‘कड़े दंड’ प्रावधानों के विरोध में कई राज्यों में तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए थे. भारतीय न्याय संहिता में गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में शामिल चालक के लिए अधिकारियों को सूचित करना जरूरी है. ऐसा न करने वाले चालकों को 10 साल तक की जेल या सात लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. पहले ऐसे मामलों में दो साल की सजा का प्रावधान था.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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