अजब गजब

डूब चुके बैंक खरीदने का शौकीन था ये शख्स! 6 खरीदे, एक को चमकाकर पहुंचा दिया ₹40,000 करोड़ तक

Success Story : यह कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की, जो एक गांव में किसान के घर में पैदा हुआ. अच्छी पढ़ाई-लिखाई की और वकील बन गया. मगर उसकी इच्छा थी, गरीबों और किसानों के लिए कुछ खास काम करने की. मौका मिला तो एक डूबते हुए बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली. अपना दिमाग लगाकर उस बैंक को ऐसा चमकाया कि वह साउथ इंडिया का टॉप बैंक बन गया. जिस डूबते हुए बैंक को उनसे खरीदा था, उसकी मार्केट कैप आज 40,000 करोड़ रुपये के आसपास है. व्यक्ति का नाम है कुलांगरा पाउलो होर्मिस (Kulangara Paulo Hormis). उन्हें शॉर्ट में के पी होर्मिस (KP Hormis) के नाम से भी जाना जाता है.

होर्मिस केरल के एक गांव में पैदा हुए थे. उनका परिवार खेती से ही गुजर-बसर करता था. उन्होंने कड़ी मेहनत की और पेरुम्बावूर के मुनिसिस्फ कोर्ट में वकील हो गए. उसी समय त्रावणकोर फेडरल बैंक लिमिटेड (Travancore Federal Bank Ltd) ने कृषि की तरफ अपना फोकस किया, मगर वह सफल नहीं हो पाया. एक समय ऐसा आया कि वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया. केपी होर्मिस चूंकि मिट्टी और किसानी के लिए दिल में जगह रखते थे, तो उसने यह देखा नहीं गया. 1944 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और डूबते हुए बैंक में हिस्सेदारी खरीद ली. यहीं से उनके जीवन की नई यात्रा शुरू हुई.

बैंक संभाला और अपने हाथों लिखी तकदीर
होर्मिस ने इतने शेयर खरीद लिए थे कि बैंक का कंट्रोल उनके हाथ में आ गया था. शेयर कैपिटल भी 5,000 रुपये से बढ़कर 71,000 रुपये हो गई थी. सबसे पहले उन्होंने बैंक की नीदमपुरम ब्रांच से शिफ्ट करके अलुवा (केरल) में खोला. यह सिर्फ नई लोकेशन ही नहीं थी, बल्कि बैंक को एक नया नाम भी मिल गया था. 1945 में इस बैंक के नाम में से त्रावणकोर हटा दिया गया. अब इसका नाम केवल फेडरल बैंक (Federal Bank) रह गया.

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उस समय केरल की बैंकों में करीज़ (Kuries) पॉपुलर होने लगी थी. यह एक ऐसा कार्यक्रम था, जो बोली लगाने वालों को 50 प्रतिशत का डिस्काउंट देकर चिट-फंड में भाग लेने की अनुमति देता था. बोली लगाने वालों को इस ट्रांजेक्शन की आधिकारिक रसीद भी मिलती थी. 1949 में फेडरल बैंक को बैंकिंग लाइसेंस मिला तो केपी होर्मिस ने किसानों के लिए करीज़ शुरू कर दी. मतलब यहां किसान चिट-फंड के जरिए पैसा पा सकते थे.

5 और बैंक भी खरीदे
किसे पता था कि यह आइडिया काम कर जाएगा? केवल होर्मिस ही इस बार में आश्वस्त थे. यह स्कीम चल निकली और फेडरल बैंक भी चल निकला. बैंक ने केरल में अपनी ब्रांच एक से बढ़ाकर तीन कर दीं. करीज़ (चिट-फंड) के खेल में कई और बैंक भी दौड़ रहे थे, मगर वे सब फ्लॉप साबित हुए. झटका इतना तगड़ा था कि वे भी दिवालिया होने लगे. 1968 तक केपी होर्मिस ने ऐसे ही 5 और बैंक खरीद लिए. इन बैंकों में चलाकुडी (Chalakudy), कोचिन यूनियन (Cochin Union), मार्तांमड (Marthandom), सेंट जॉर्ज यूनियन (St. George Union), और द अलेपे बैंक (The Alleppey Bank) के नाम शामिल थे.

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अभी तक जो किसानों और छोटे लोगों के लिए बैंकिंग सेवाएं दे रहा था, वही फेडरल बैंक 1970 में एक शेड्यूल्ड कर्मशियल बैंक में तब्दील हो गया. इसने मुंबई में अपना पहला ऑफिस खोल दिया. फेडरल बैंक ने अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए. बहुत जल्द ही उसने 276 ब्रांच खोल दी. 1977 में इसकी शेयर कैपिटल बढ़कर 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. फिलहाल केपी होर्मिस इस दुनिया में नहीं है. 18 अक्टूबर 1917 को जन्मे होर्मिस 70 साल की आयु में (26 जनवरी 1988) दुनिया को अलविदा कह गए. उनके जाने के बाद भी बैंक के आगे बढ़ने की स्पीड वैसे ही बनी रही.

आईपीओ पर टूटकर पड़े निवेशक
धीरे-धीरे ग्राहक जुड़ते चले गए और बैंक में पैसे जमा होते गए. इस तरह जब बैंक के पास 1000 करोड़ रुपये से अधिक की जमाराशि मौजूद थी, तब आईपीओ लाया गया. आईपीओ को निवेशकों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और इसे 60 गुना सब्स्क्राइब किया गया. फिलहाल कंपनी की मार्केट कैप 39,912.48 करोड़ है. आज (28 मई 2024 को) शेयर 160 रुपये के भाव पर बंद हुआ है. इसी साल अप्रैल में ही इसने अपना लाइफ टाइम हाई (270 रुपये) बनाया था.

2009 आते-आते केपी होर्मिस के फेडरल बैंक ने 600 से अधिक ब्रांच खोल दीं और 50,000 करोड़ रुपये का कुल बिजनेस किया. इसी बैंक ने 2013 में देश में पहली बार ई-पासबुक (electronic passbook) लॉन्च की, जिसका नाम था फेडबुक. 2018 तक बैंक 19 प्रतिशत की सालाना गति से आगे बढ़ा और 1 लाख करोड़ डिपॉजिट का आंकड़ा पार कर लिया. इसी समय तक 2 लाख करोड़ के ट्रांजेक्शन का स्तर भी पार कर लिया.

आज फेडरल बैंक की मौजूदगी पूरे देश में है. 32 राज्यों और यूनियन टैरिटरी में इसकी 1600 से अधिक ब्रांच हैं. बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर दावा किया गया है कि 1 करोड़ 83 लाख से अधिक ग्राहक जुड़े हुए हैं. 1509 बैंकिंग आउटलेट, 1441 एटीएम, और 593 कैश री-साइक्लर हैं. ये पूरी सफलता की कहानी एक गांव में पैदा हुए किसान के बेटे पर टिकी है.

Tags: Business empire, Business news, Success Story, Success tips and tricks, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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