Vijayvargiya’s first interview after ticket from Indore-1 | सवाल- आप जैसे दिग्गजों को क्यों उतरना पड़ा, डर है क्या? जवाब- मुझे हारने के लिए थोड़े उतारेंगे

इंदौर30 मिनट पहलेलेखक: अभिषेक दुबे
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इंदौर-1 से टिकट मिलने के बाद कैलाश विजयवर्गीय ने दैनिक भास्कर के इंदौर ऑफिस में चर्चा की।
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने इंदौर सहित पूरे प्रदेश को चौंका दिया है। भाजपा ने इंदौर क्षेत्र क्रमांक-1 से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव में उतार दिया है। कभी इंदौर के महापौर तो कभी मध्य प्रदेश में मंत्री रहे विजयवर्गीय को पार्टी ने संगठन में शिफ्ट किया था। टिकट मिलने के ठीक बाद जब दैनिक भास्कर ने विजयवर्गीय से पूछा कि ये क्या..। वे मुस्कुरा भर दिए। हालांकि, 2023 से एक कदम आगे जाते हुए उन्होंने कह दिया है कि हमारे लिए 2024 बहुत महत्वपूर्ण है। मतलब साफ है कि राज्य से लेकर केंद्र तक की राजनीति के लिहाज से पार्टी ने एक्सरसाइज की है।
आगे विजयवर्गीय ने क्या कुछ कहा, आप भी इंटरव्यू को सिलसिलेवार पढ़िए-
चार पाॅइंट्स में विजयवर्गीय को जान लीजिए
– इंदौर शहर में जहां भी लड़े, उस सीट या पद को लगभग अजेय सा बना दिया। दो नंबर सीट और महू इसके उदाहरण हैं। महापौर पद पर भी वे रहे हैं।
– मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहते एक फोन पर पद छोड़ा और BJP संगठन में काम करने के लिए तत्काल तैयार हो गए।
– भाजपा हाईकमान के बिरले नेता हैं जिन्हें लगातार चार बार राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है।
– पिछले एक साल से किसी राज्य की जिम्मेदारी नहीं दी गई, वे बगैर किसी अधिकृत जिम्मेदारी के मध्य प्रदेश में संगठन को मजबूत करने पर काम करते रहे।
सबसे पहले वो सवाल जो तमाम लोग और कांग्रेस उठा रही है, उसका जवाब…
Q- बीजेपी ने दूसरी सूची में केंद्र की राजनीति करने वाले कई दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा है, क्या पार्टी को मप्र में चुनाव जितने में कोई दिक्कत आ रही है?
चुनाव में कोई दिक्कत नहीं है। अगर दिक्कत होती तो हमें भी पार्टी क्यों चुनाव लड़ाती? बिल्कुल नहीं लड़ाती। हमें भी हारने के लिए थोड़े ही न लड़ा रहे हैं। चुनाव में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। चुनाव बहुत ही आसान है इसलिए हम सबको भी लड़ा रहे हैं।
Q- इंदौर- 1 से आपको पार्टी ने मैदान में उतारा है, आपकी रणनीति क्या होगी?
हर चुनाव में रणनीति हमारी एक तरह की होती है। मैं जहां चुनाव लड़ता हूं, वहां कभी भी मैं नहीं लड़ता। हमारे कार्यकर्ता लड़ते हैं। यह चुनाव भी कार्यकर्ता लड़ेंगे। मुझे तो पूरे प्रदेश में घूमना पड़ेगा। इंदौर के हमारे कार्यकर्ता बहुत दमदार है। खासकर, इंदौर-1 के तो बहुत ही दमदार हैं। चुनाव में मुझे कोई परेशानी नहीं, लेकिन एक बात, चुनाव-चुनाव होता है। एक पूरी प्रोसेस है, जो मेहनत करना पड़ती है, वो तो करना ही है।
Q- दूसरी सूची में कई चौंकाने वाले नाम हैं, पार्टी ने किस तरह की प्लानिंग की है?
यह पार्टी की प्लानिंग है, 2024 भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पार्टी को फिर नए लोगों को भी उतारना है, वहीं पुराने लोगों को भी नया काम देना है। यह पार्टी की प्रकिया है जो चलती रहती है।
Q. आपको कब पता चला कि टिकट मिलने वाला है
एक दिन पहले ही बताया गया था कि आपको कुछ काम दिया जाएगा, मना नहीं करना है। हम पार्टी के सिपाही हैं पार्टी जो आदेश देगी, हम उसके लिए तैयार रहते हैं। एक नंबर से जब टिकट मिला तो मैं खुद भी चौंक गया। भारतीय जनता पार्टी दो तिहाई बहुमत के साथ आगे बढ़ चुकी है। अब और कितनी सीटें बढ़ती हैं, यह तो समय बताएगा।

चौथी बार महासचिव बनाने पर पूछा तो नड्डा ने संकेत दिए थे
विजयवर्गीय के विधानसभा चुनाव लड़ने के मायने प्रदेश की लीडरशिप के लिहाज से भी कई तरह के सवाल जन्म दे रही है। दैनिक भास्कर से बातचीत में विजयवर्गीय ने खुद कहा था कि जब उन्हें चौथी बार राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था तो उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से पूछा था कि चौथी बार क्यों। तब जवाब मिला था कि बनाना तो कुछ और चाहते थे, पर अभी ये ठीक है। गौरतलब है कि विजयवर्गीय पिछले करीब एक साल से पूरे मध्य प्रदेश में लगातार सक्रिय देखे जा रहे हैं।
कैलाश विजयवर्गीय ने पहली बार 1990 में लड़ा था विधानसभा चुनाव
कैलाश विजयवर्गीय को पहली बार बीजेपी ने 1990 में इंदौर 4 से मैदान में उतार था। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय 1993 में 2 नंबर से मैदान में उतरे। वह इंदौर 2 से 1998 और 2003 का चुनाव भी लड़े। वहीं 2008 और 2013 का चुनाव कैलाश विजयवर्गीय महू से लड़े और जीते। अब उन्हें पार्टी ने इंदौर 1 से उम्मीदवार बनाया है।
चुनाव नहीं लड़़ूंगा, पर जोड़ देते थे कि फिर पार्टी का जो भी आदेश हो..
विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर अक्सर यहीं कहते है कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते और अपनी इच्छा संगठन को बता चुके है, लेकिन संगठन ने किसी क्षेत्र की जिम्मेदारी दी तो वे पीछे भी नहीं हटेंगे और संगठन ने उन्हें एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया।
बेटे के टिकट पर स्थिति अब संशय में
भाजपा परिवारवाद के खिलाफ बयान देते आ रही है। विजयवर्गीय के बेटे आकाश खुद इंदौर की ही तीन नंबर सीट से विधायक हैं और दावेदार भी। ऐसे में विजयवर्गीय के टिकट के बाद उनकी दावेदारी पर संकट हो सकता है। दरअसल, आकाश का टिकट इसी रास्ते से खुला था कि विजयवर्गीय संगठन में शिफ्ट हो गए थे। आकाश विजयवर्गीय के चुनाव लड़ने पर कहा कि इस पर मैं अभी कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह पार्टी निर्णय करेगी।
C- ग्रुप वाली सीट से उतारा गया है
पार्टी ने मध्य प्रदेश चुनाव में सीटों को चार ग्रुप में डाला था। D ग्रुप की 39 सीटों के उम्मीदवार घोषित हो चुके थे, दूसरी सूची में 39 और सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इंदौर में क्षेत्र क्रमांक 1 सीट कांग्रेस के पास हैं। यहां संजय शुक्ला विधायक हैं। पार्टी के अंदरुनी सर्वे में था कि पार्टी दम लगाएगी तो इस सीट को कांग्रेस से छीना जा सकता है। यही वजह है कि पार्टी ने इस सीट पर इंदौर का अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है। ऐसे में मामला रोचक हो गया है।
दरअसल, मामला रोचक इसलिए है कि संजय शुक्ला का परिवार भी बीजेपी बैकग्राउंड से जुड़ा रहा है। विजयवर्गीय जहां कथा, भजन और धार्मिक आयोजन के लिए जाने जाते हैं तो शुक्ला भी अयोध्या जैसे धार्मिक स्थल की यात्राएं कराते रहे हैं। हालांकि विजयवर्गीय को उतारकर भाजपा ने शुक्ला के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
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