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दिल्ली अस्पताल हादसा: शिकायतों की बार-बार अनदेखी की क्या थी वजह? पीड़ितों की मदद के क्या हैं नियम?

नई दिल्ली. दिल्ली के अस्पताल में आग लगने से हुई बच्चों की मौत के मामले ने एक बार फिर व्यवस्था की सारी खामियों को उजागर कर दिया है. आग से बचाव के जो नियम हैं, उसकी किस तरीके से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. रिहायशी इलाके में संचालित हो रहे इस अस्पताल की बसावट कई घरों के बीच में थीं. सरसरी निगाह से उस इलाके में नजर डालने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वो भी एक घर ही है, जिसमें लोग रहते हैं. आसपास के लोगों ने अस्पताल की कई बार संबधित एजेंसियों को शिकायत की थी कि नियमों का पालन नहीं हो रहा है. उन शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

इलाके के लोगों ने अपनी शिकायतों में कहा था कि रिहायशी इलाके में लगातार गाड़ियों की आवाजाही से शोर होता है. गाड़ियों को लोगों के घरों के सामने पार्क कर दिया जाता है, कम चौड़े रास्ते को लगातार अस्पताल की गाड़ियों और अस्पताल स्टाफ द्वारा घेरा जाता है. अस्पताल के भीतर हमेशा सिलेंडर स्टोर करने और भरने का सिलसिला रिहायशी इलाके में जारी रहता था. आसपास के लोगों का दावा है कि आए दिन संबधित एजेंसियों को इस बारे में जानकारी दी जाती रही लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

करीब आधा दर्जन ऐसे लोग हैं, जिनके घरों को अस्पताल में आग लगने की वजह से नुकसान पहुंचा है. नियमों के मुताबिक इलाके के एसडीएम के पास वो अपने क्षतिग्रस्त मकानों का विवरण पेश कर मुआवजे का दावा कर सकते हैं. ये मुआवजा 10000 से लेकर 2 लाख तक का हो सकता है. अब बात करते हैं कि हादसे में मृतकों और घायलों को दिए जाने वाले मुआवजा की. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बाद पहले ही ट्वीट कर मृतकों को को ₹200000 प्रधानमंत्री राहत कोष से देने का ऐलान किया है. इसके अलावा राज्य सरकार यानी कि दिल्ली सरकार स्थिति का आकलन कर रही है और जल्द ही मृतकों और घायलों के परिवार को मुआवजे का ऐलान करेगी.

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कुल मिलाकर अस्पताल में आग लगने वाली इस घटना ने पूरी व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. किन परिस्थितियों में रिहायशी इलाके में ऐसे अस्पताल के संचालन की अनुमति दी गई? क्या आग लगने से निपटने के इंतजाम का अस्पताल में पालन किया जा रहा था? क्या ऑक्सीजन सिलेंडर जो अस्पताल में भरे जा रहे थे, उनमें माप नियम के मुताबिक था? आसपास के लोगों द्वारा शिकायत किए जाने के बाद उसे पर क्या कार्रवाई की गई? मृतकों और घायलों के आश्रितों को कब तक मुआवजा मिलेगा? ऐसी घटना फिर ना हो क्या इसके लिए दोबारा पुख्ता रणनीति या नीति बनाई जाएगी? इस पर सबकी नजरें आने वाले दिनों में रहेंगी.

Tags: Delhi Fire, Delhi Hospital, Fire brigade, Fire incident


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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