डीईओ ऑफिस से लापरवाही और भ्रष्टाचारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है

छतरपुर। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लापरवाहियों और दलाली व भ्रष्टाचार के लिए वैधानिक कार्यों को लटकाने की पुरानी परंपरा है। यह परंपरा नवागत जिला शिक्षा अधिकारी हरिश्चन्द्र दुबे और नवागत कलेक्टर संदीप जी आर के कार्यकाल में भी खत्म नहीं हो रही है। विभाग अपने ही कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताडि़त कर रहा है। जिन कर्मचारियों ने विभाग में नौकरी करते हुए अपनी जान गंवाई उनके बच्चों को मिली अनुकम्पा नियुक्ति भी तीन साल बाद संविलियन की बाट जोह रही है। इस प्रताडऩा से कई कर्मचारी मानसिक रूप से सदमे में हैं।
5 हजार रूपए में 20 किमी दूर पढ़ाने जा रहे कुंवर सिंह केवट
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर शासकीय हाईस्कूल रामपुर ढिला में पदस्थ प्रयोगशाला सहायक कुंवर सिंह केवट को लगभग 5 हजार रूपए मासिक वेतन में प्रतिदिन 20 किमी दूर पढ़ाने जाना पड़ रहा है। इसका कारण है कुंवर सिंह केवट का संविलियन न होना। दरअसल वर्ष 2017 में कुंवर सिंह केवट को अनुकम्पा नियुक्ति के रूप में संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 प्रयोगशाला सहायक के रूप में विभाग ने स्थान दिया था। नियम के मुताबिक तीन वर्ष बाद उन्हें अध्यापक संवर्ग में संविलियन मिल जाना चाहिए था। 28 मार्च 2020 को उनके तीन वर्ष की परिवीक्षा अवधि पूर्ण होने के बावजूद संविलियन का लाभ नहंी मिला है। यदि संविलियन के बाद प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिलती तो शायद उनका वेतन 25 हजार के आसपास होता। कुंवर सिंह केवट इतनी कम वेतन में मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताडि़त हो रहे हैं। कई बार विभाग को निवेदन पत्र देकर संविलियन की मांग कर रहे हैं लेकिन विभाग में कोई सुनने वाला नहीं है।
आवेदन देकर थक गए
इसी तरह के एक और मामले में संविदा शाला शिक्षक वर्ग 3 प्रयोगशाला सहायक दीपकराज अहिरवार भी प्रताडि़त हैं। उन्हें वर्ष 2017 में ही अनुकम्पा नियुक्ति मिली थी। उन्हें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टटम में प्रयोगशाला सहायक बनाया गया था। 30.08.2020 को उनकी भी परिवीक्षा अवधि पूर्ण हो गई लेकिन संविलियन करते हुए प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति नहीं मिली। दीपक राज अहिरवार ने बताया कि अवधि गुजरने के लगभग दो वर्ष बाद भी उन्हें संविलियन का लाभ नहीं मिला है। विभाग में कई बार आवेदन दिए लेकिन हर बार समिति आवेदनों की जांच के नाम पर मामले को लटका देती है। वे अब थक चुके हैं।
विभाग में बाबू राज, दलाली के लिए पेंडिंग पड़े मामले
शिक्षा विभाग में संविलियन, अनुकम्पा नियुक्ति और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ से जुड़े अनेक शिक्षकों के कार्य वर्षों से लंबित पड़े हैं। सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग के कुछ बाबू वर्षों से यहां की चुनिंदा शाखाओं पर कब्जा जमाए बैठे हैं। दलाली और भ्रष्टाचार के बगैर इन बाबुओं के द्वारा कोई वैधानिक कार्य की फाइल भी आगे नहीं बढ़ाई जाती। पूर्व डीईओ संतोष शर्मा के कार्यकाल में भी इस तरह के आरोप लगते रहे और अब हरिश्चन्द्र दुबे के कार्यकाल में भी इन्हीं बाबुओं का बोलबाला है। कुछ बाबू लोकायुक्त की नजर में हैं जिन पर आगामी दिनों में शिकंजा कसा जा सकता है।
डीईओ बोले अभी परीक्षा में उलझे हैं
इस मामले में जब दोनों आवेदनों के आधार पर डीईओ हरिश्चन्द्र दुबे से जानकारी ली गई तो उक्त दोनों मामले विभाग की आतंरिक परीक्षण समिति के पास पड़े हैं। इन मामलों को आंतरिक समिति तीन महीने में नहीं जांच पायी। नए डीईओ भी इसी समिति के भरोसे हैं। उनका कहना है कि फिलहाल विभाग परीक्षा के काम में उलझा है जल्द ही इन मामलों को दिखवाकर कार्यवाही करेंगे।