CBI was listening to the inspector and principal for 4 months | 4 महीने से इंस्पेक्टर-प्रिंसिपल की बात सुन रही थी CBI: कार्रवाई इतनी गोपनीय कि सरकारी वकील भी दिल्ली से लाए; 2.33 करोड़ रुपए जब्त – Madhya Pradesh News

शनिवार, 18 मई की रात को मध्यप्रदेश पुलिस और सीबीआई के अफसर जब दफ्तर से छुट्टी के मूड में अपने घरों के लिए रवाना हो रहे थे, तब भोपाल की पॉश प्रोफेसर कॉलोनी में सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज के घर दिल्ली सीबीआई सोने के बिस्किट और नकदी गिन रही थी। किसी क
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अगले दिन रविवार को सीबीआई ने इंस्पेक्टर राहुल के घर से 7.80 लाख रुपए और सोने के बिस्किट बरामद कर दावा किया कि ये पैसे और सोना राहुल राज ने नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत के रूप में लिया है। राहुल राज के साथ ही सीबीआई ने 2 और लोगों को गिरफ्तार किया।
जब इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, तब एमपी के अफसरों को इस छापामार कार्रवाई की भनक लगी। अफसर कुछ समझते उससे पहले ऐसी ही कार्रवाई रतलाम में भी की गई। अब तक सीबीआई इस मामले में 2 इंस्पेक्टर सहित 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। सीबीआई ने इंदौर, भोपाल, रतलाम और जयपुर में 31 ठिकानों पर छापा मारकर 2.33 करोड़ रुपए 4 गोल्ड के बिस्किट और 36 मोबाइल जब्त किए हैं।
अहम सवाल ये है कि दिल्ली सीबीआई को एमपी में आकर इतने गुपचुप काम करने की जरूरत क्यों पड़ी? दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिए थे।
सीबीआई ने 17 जनवरी 2024 को बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के सामने आने पर इस पर सवाल उठे। ये भी पता चला कि रिपोर्ट के बाद ही इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर के फोन सीबीआई ने सर्विलॉन्स पर डाल दिए थे। चार महीने तक कॉल रिकॉर्डिंग की, जब अधिकारियों और नर्सिंग कॉलेज संचालकों के साठगांठ के पुख्ता सबूत मिले तो छापा मार कार्रवाई कर रिश्वत के इस खेल को उजागर किया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
पहले जानिए हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट से क्यों उठे सवाल
17 जनवरी को सीबीआई ने बंद लिफाफे में हाईकोर्ट के सामने जो रिपोर्ट पेश की उसमें कॉलेजों की 3 कैटेगरी थी। सूटेबल, डिफिशिएंट और अनसूटेबल। सीबीआई ने प्रदेश के कुल 308 में 169 कॉलेज को सूटेबल बताया था। यानी इन्हें क्लीन चिट दी थी।
इनमें से 73 कॉलेजों को डिफिशिएंट बताया गया था यानी इनमें सुधार की जरूरत थी। 66 कॉलेजों को अनसूटेबल बताया था यानी इन्होंने नॉर्म्स का पालन ही नहीं किया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इस पर सवाल उठ गए।
नर्सिंग घोटाले से जुड़े व्हिसिल ब्लोअर रवि परमार कहते हैं कि जब ये रिपोर्ट बाहर आई तो पता चला कि सीबीआई ने इसमें कई ऐसे कॉलेजों को भी सूटेबल बता दिया था, जिसमें खामियां थी। परमार का तर्क है कि उन्होंने 15 अप्रैल को भोपाल सीबीआई को इसकी शिकायत भी की थी।
इस शिकायत में बिलखिरिया के मलय नर्सिंग कॉलेज, एम्स के पास एपीएस एकेडमी, जहांगीराबाद में महको नर्सिंग कॉलेज और इंदौर के आरडी नर्सिंग कॉलेज को सूटेबल बताए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी। इसके पक्ष में उन्होंने तर्क भी दिए थे।
शिकायत पर ध्यान देने के बजाय भोपाल सीबीआई अपने रोजमर्रा के दूसरे काम में जुटी रही। भोपाल की सीबीआई ब्रांच के प्रमुख डीआईजी प्रमोद कुमार मांझी का फोकस आर्थिक गड़बड़ियों से जुड़े दूसरे मामलों पर था। उन्हें अपने ही दफ्तर के जांबाज इंस्पेक्टर्स पर कोई संदेह नहीं था।

दिल्ली सीबीआई की इंटरनल विजिलेंस टीम को कैसे लगी रिश्वत की भनक
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 7 कोर टीम और 5 सहायक टीम का गठन किया था। इनमें सीबीआई अधिकारियों के साथ पटवारी और मप्र के नर्सिंग कॉलेजों द्वारा नामित किए अधिकारी शामिल थे।
जब सीबीआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की और इस पर सवाल उठे तो सीबीआई की इंटरनल विजिलेंस टीम ने इस पर नजर रखना शुरू किया। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही विजिलेंस टीम को पता चल गया कि इंस्पेक्टर राहुल राज रिश्वत लेकर नर्सिंग कॉलेज की रिपोर्ट में फेर बदल कर रहे हैं।

सीबीआई ने इंस्पेक्टर के मोबाइल को सर्विलॉन्स पर रखा
मामले के पुख्ता सबूत जुटाने के लिए विजिलेंस टीम ने राहुल राज और कॉलेज प्रिंसिपल और चेयरमैन के फोन कॉल्स को सर्विलॉन्स पर रखा। इनकी बातचीत से जब ये साफ हो गया कि राहुल राज रिश्वत लेकर और भी कॉलेजों को सूटेबल बताने की तैयारी कर रहे हैं, तो शुक्रवार को दिल्ली से 2 टीम भोपाल पहुंच गई। इसमें दस से ज्यादा अधिकारी शामिल थे।
पहली टीम ने भोपाल में मोर्चा संभाला और दूसरी टीम रतलाम रवाना हुई। भोपाल की टीम ने इंस्पेक्टर राहुल राज और मलय नर्सिंग कॉलेज के चेयरमैन और उनकी प्रिंसिपल पत्नी के साथ मीडिएटर सचिन जैन को गिरफ्तार किया।

सुमा भास्करन मलय नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल हैं। उनके पति अनिल भास्करन इस कॉलेज के चेयरमैन हैं। उन्हें भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।
रतलाम से सीबीआई इंस्पेक्टर सुशील मजोकर गिरफ्तार
रविवार को दूसरी टीम ने रतलाम से दूसरे इंस्पेक्टर सुशील मजोकर और उन्हें 2 लाख रुपए की रिश्वत देने वाले रतलाम नर्सिंग कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल जुगल किशोर शर्मा और भाभा कॉलेज भोपाल के प्रिंसिपल जलपना अधिकारी को भी गिरफ्तार कर लिया।
कोर्ट ने इन आरोपियों को 10 दिन की रिमांड पर सीबीआई को सौंपा है, लेकिन दिल्ली सीबीआई इस मामले में एमपी पुलिस और सीबीआई से दूरी बनाए हुए है। सीबीआई ने आरोपियों को एक सरकारी गेस्ट हाउस में रखा है। वहीं इनसे पूछताछ की जा रही है। दिल्ली सीबीआई को आशंका है कि दोनों इंस्पेक्टर्स ने कई कॉलेजों को रिश्वत लेकर सूटेबल बताया है।

भोपाल की भाभा यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल जलपना अधिकारी को सीबीआई ने रतलाम से गिरफ्तार किया है।
एंटी करप्शन विंग के सीनियर अफसर बोले- यही है CBI
सीबीआई ने अपने जिस अधिकारी राहुल राज को गिरफ्तार किया है उसे 2023 में जांच में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित किया गया है। उनके साथ 15 और अधिकारियों को सम्मानित किया गया था।
सीबीआई के एंटी करप्शन विंग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यही सीबीआई है। इसे आप ऐसे मत देखिए कि सीबीआई का कोई इंस्पेक्टर करप्ट है। इसे ऐसे देखने की जरूरत है कि सीबीआई सिर्फ बाहर ही नहीं अपने सिस्टम के भीतर भी उतनी ही पैनी नजर रखती है।
सीबीआई ने दिल्ली में रहते हुए अपने ही डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर्स को ट्रेप कर लिया। फिर भोपाल आकर उन्हें रंगे हाथों दबोच भी लिया।

सीबीआई की गिरफ्त में आए इंस्पेक्टर राहुल राज को 2023 में उत्कृष्ट जांच के लिए प्रतिष्ठित केंद्रीय गृह मंत्री पदक से सम्मानित किया गया था।
रिश्वतखोर अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब आगे क्या?
इंस्पेक्टर राहुल और सुशील ने जिन कॉलेजों को सूटेबल बताया है, वो संदेह के दायरे में है। यहां एडमिशन भले ही शुरू हो गए हैं, लेकिन रिश्वत प्रकरण के बाद अब ये पहले की तरह सामान्य नहीं रह गया है।
रिमांड के दौरान सीबीआई इन दोनों अधिकारियों और कॉलेज के चेयरमैन और प्रिंसिपल से बारी-बारी से पूछताछ करेगी, ताकि ये समझ आ सके कि किन-किन कॉलेजों ने रिश्वत देकर खुद को सूटेबल बताया है। इसके बाद हाईकोर्ट भी इस पर संज्ञान लेगा कि जांच एजेंसी ने उन्हें गलत रिपोर्ट दी है।
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एमपी नर्सिंग घोटाले की जांच में रिश्वतकांड में खुलासा:लेन-देन के लिए ‘छाछ का गिलास’ जैसे कोडवर्ड यूज करते थे आरोपी

मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच में जुटे सीबीआई के 2 इंस्पेक्टर समेत 13 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कई खुलासे हो रहे हैं। आरोपी रिश्वत के लेन देन में छाछ गिलास, अचार की बरनी जैसे विशेष कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे। पैसा उठाने वाले को कैरियर, लाखों रुपए को अचार की बरनी और रुपयों की गिनती किलो आम कहते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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