अजब गजब

इस किसान ने एक खेत से उगा दिए 16 किस्म के गेहूं! पहले ही साल हुई 20 लाख की कमाई, PM मोदी हैं मुरीद

सागर: खेती में लगातार प्रयोग हो रहे हैं. सागर के एक युवा किसान आकाश चौरसिया भी विलुप्तप्राय 16 किस्म के गेहूं की खेती कर रहे हैं. उन्होंने जिससे एक तो इनके बीजों का संरक्षण किया जा रहा है. ताकि इन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके. दूसरा यह बीज मिट्टी, पर्यावरण और इंसान की सेहत के लिए भी अनुकूल है. तो तीसरा इनकी खेती कर अच्छी कमाई भी हो रही है. साथ ही इनमें कई शुगर फ्री हैं. कोई ग्लूटेन से युक्त है. किसी में भरपूर प्रोटीन है. किसी में फाइबर भी है. साथ ही इनकी कीमत 7000 से लेकर 14 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिलती है.

इन 16 किस्म के देसी गेहूं की खेती
आकाश करीब 12 एकड़ खेत में जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं. जिसमें वह काली मूछ, सोना-मोती या पीतांबरा, खपली, कठिया, बंशी, बसंती, प्रताप, सर्जना, मालविका बसंती, सरवती, मोतीबासीं, हंसराज, श्री, खैरा, नीलांबर शामिल है. इनको बढ़ाने वह किसानों के लिए बीज देते हैं. बीज बनाने की विधि सिखाते हैं. और इसका डेमो दिखाने के लिए अपने एक खेत में सभी प्रजातियों का गेहूं भी लगाए हुए हैं.

प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं सम्मानित 
आकाश चौरसिया के द्वारा मल्टी लेयर फार्मिंग का मॉडल भी तैयार किया गया था. इन्हें इस मॉडल का जनक कहा जाता है. साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इन्हें युवा मित्र सम्मान से नवाजा गया था. आकाश बताते हैं कि देसी बीज भारतीय कृषि की विरासत हैं. पिछले 50 से 60 वर्षों से इन बीजों की खेती में इस्तेमाल घटता गया है.  जिसके कारण आज ये लुप्त होने की कगार पर हैं. इन बीजों में कुदरती गुण होते हैं, जो हमारे स्वास्थ के लिये अत्यंत लाभकारी होते हैं. इनमें मौजूद गुण शरीर को संपूर्ण पोषण देते हैं और बीमारियों से दूर रखते हैं.

विलुप्तप्राय गेहूं की यह है खासियत
आकाश के द्वारा गेहूं की जिन 16 प्रजातियों पर काम किया जा रहा है. उसमें चावल काठी या काली मूछ जिसकी 3 पानी में 15 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज होती है और लगभग 7000 रुपए प्रति क्विंटल बाज़ार मूल्य होता है. यह प्रजाति ग्लूटेन फ्री होती, फ़ाइबर अधिक होता है क़ब्जियत के लिए सबसे उपयुक्त प्रजाति है.

सोना मोती या पीतांबरा जिसकी 4 पानी में 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज होती है और लगभग 8000 से 14000 रुपए प्रति क्विंटल बाज़ार मूल्य है. यह प्रजाति शुगर फ्री होती है. इसमें मैग्निशियम और आयरन भरपूर होता है. डाइबिटीज के पेसेंट के लिये उपयुक्त प्रजाति है.

खपली गेहूं जिसकी 3 पानी में 14 से 16 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती है और बाज़ार में कीमत लगभग 9000 से 13000 रुपए क्विंटल तक होती है. यह प्रजाति फ़ाइबर, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर है. इसमें ग्लैसेमिक इंडेक्स होता है जो शुगर लेवल को घटाता है.

बंशी गेहूं जिसकी 3 पानी में 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती और बाज़ार मूल्य लगभग 6000 से 7000 रुपए प्रति क्विंटल है. यह प्रजाति फ़ाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन से भरपूर है. साथ ग्लूटेन बहुत कम होता है, जो पाचन में बहुत मदद करता है.

कठिया गेहूं जिसकी केवल 2 पानी में 15 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती है और बाज़ार मूल्य लगभग 5000 से 7000 रुपए प्रति क्विंटल होती है. यह प्रजाति दलिया स्पेशल होती है. इस प्रजाति में बीटाकेरोटीन होता है. विटामिन ए बनाता है और साथ में प्रोटीन भी अधिक होता है.

बसंती गेहूं जिसकी 4 पानी में 20 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज होती है. बाज़ार मूल्य लगभग 4000 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल है. यह प्रजाति ग्लूटेन से भरपूर होती है. यह प्रजाति ब्रेड, सिमएया आदि बनाने में उपयुक्त होती है. इनके अलावा बसंती, प्रताप, सर्जना, मालविका बसंती, सरवती, मोती बासीं, हंसराज, श्री, खैरा, नीलांबर गेहूं भी औषधि गुना से भरपूर है. इनको भी काफी अच्छे रेट मिलते हैं.

Tags: Agriculture, Local18, Mp news, Sagar news, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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