Mp High Court After Death Of Husband Wife Fought A Legal Battle – Amar Ujala Hindi News Live

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
– फोटो : अमर उजाला
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लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग में पदस्थ संविदा कर्मचारी ने सेवा से पृथक किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की मौत हो गयी थी, जिसके बाद पति की कानूनी लड़ाई पत्नी ने जारी रखी। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए पाया कि सुनवाई के अवसर दिये बिना कर्मचारी को सेवा से पृथक किया गया था। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल घगट ने सेवा समाप्ति का आदेश निरस्त करते हुए सुनवाई का अवसर प्रदान करने निर्देष जारी किये है।
भोपाल निवासी दीपेश मालवीय की तरफ से साल 2021 में दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह विगत 14 सालों से लोक स्वास्थ्य एव परिवार कल्याण विभाग में संविदा कर्मचारियों के रूप में कार्यरत है। वह विगत पांच सालों से सुल्तानिया महिला चिकित्सालय में अनमोल पोर्टल में मदर तथा चाइल्ड डाटा एंट्री का कार्य कर रहा था। जननी सुरक्षा योजना के तहत एक महिला की डाटा एंट्री नहीं करने के आरोप में मुख्य कार्यपालन अधिकारी गांधी मेडिकल कॉलेज ने उसे सेवा से पृथक कर दिया। याचिका में कहा गया था कि जननी सुरक्षा योजना के तहत डाटा एंट्री के कार्य का दायित्व उसके पास नहीं था। इसके बावजूद भी बिना सुनवाई का अवसर दिये उसे सेवा से पृथक कर दिया गया।
याचिका की सुनवाई के दौरान 23 मार्च 2021 को याचिकाकर्ता की मृत्यु हो गयी, जिसके बाद उसकी पत्नी दीपा मालवीय ने पति की सेवा समाप्ति की कानूनी लड़ाई जारी रही। चार साल की लम्बी लड़ाई के बाद एकलपीठ ने पाया कि सुनवाई के अवसर दिये बिना कर्मचारी को सेवा से पृथक किया गया है। एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने पैरवी की।
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