देश/विदेश

‘बच्‍चे का ह‍ित सर्वोपर‍ि है…’ आख‍िर क्‍यों CJI चंद्रचूड़ ने भरे सुप्रीम कोर्ट में अपना पुराना आदेश ले ल‍िया वापस?

नई द‍िल्‍ली. 14 साल की नाबालिग रेप पीड़िता लड़की के गर्भपात की अनुमति देने का मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्‍ट‍िस डीवाई चंद्रचूड़ ने गर्भपात कराने की अनुमति देने का अपना पुराना आदेश वापस लेते हुए कहा बच्चे का हित सर्वोपरि है.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर माता-पिता दोनों से बात करने के बाद आदेश को पलट दिया. सीजेआई ने कहा क‍ि नाबालिग लड़की के माता-पिता ने अपनी बेटी को घर वापस ले जाने और बच्चे को जन्म देने की इच्छा व्यक्त की जिसके बाद कोर्ट ने अपना गर्भपात कराए जाने का दिया हुआ आदेश वापस ले लिया. सीजेआई ने कहा क‍ि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर माता-पिता दोनों से बात करने के बाद आदेश वापस लेते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

22 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की की गर्भावस्था को तत्काल चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने का आदेश दिया था, क्योंकि उसने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गर्भपात से इनकार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति देने के लिए ‘पूर्ण न्याय’ करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया और कहा कि लड़की पहले से ही 30 सप्ताह की गर्भवती थी और उसे अपनी स्थिति के बारे में बहुत देर से पता चला.

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं, जिनमें बलात्कार पीड़िताएं, और अन्य कमजोर महिलाएं, जैसे विशेष रूप से सक्षम और नाबालिग शामिल हैं, को 24 सप्ताह तक गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है. पहले की मेडिकल बोर्ड जांच में कहा गया था कि यदि लड़की गर्भपात कराती है, तो बच्चा जीवित पैदा होगा और उसे नवजात देखभाल इकाई में भर्ती करने की आवश्यकता होगी, जिससे बच्चे और लड़की दोनों को खतरा होगा.

मामले के विवरण के अनुसार, लड़की फरवरी 2023 में लापता हो गई थी और तीन महीने बाद राजस्थान में एक व्यक्ति द्वारा यौन उत्पीड़न के बाद गर्भवती पाई गई थी. हाईकोर्ट ने यह चिंता व्यक्त करते हुए गर्भपात की अनुमति को अस्वीकार कर दिया था कि जबरन प्रसव के परिणामस्वरूप संभावित विकृति वाले अविकसित बच्चे का जन्म हो सकता है.

Tags: CJI, Supreme Court


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!