अजब गजब

Share Market Knowledge: गिरते स्टॉक में दिखे ये सिग्नल तो समझो घुस आए हैं बुल, लगा दो पैसा, छाप लो नोट

हाइलाइट्स

टेक्निकल एनालिसिस में कैंडलस्टिक पैटर्न अहम होते हैं.
बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न दो सेशन्स को जोड़कर बनता है.
इसके दिखने के बाद कई बार स्टॉक में तेजी आती है.

Share Market Knowledge : शेयर बाजार बाहर से देखने में जितना आकर्षक लगता है, अंदर घुसने पर उतना ही मुश्किल होता चला जाता है. यही वजह है कि बाजार में ज्यादातर छोटे निवेशक और ट्रेडर पैसा गंवा देते हैं, जबकि 5-10 प्रतिशत लोग ही प्रॉफिट बनाते हैं. तो सवाल उठता है कि शेयर मार्केट में पैसा कमाने वाले किन चीजों को देखकर पैसा लगाते हैं? इस बात का पता चल जाए तो कोई भी पैसा कमा सकता है. शेयर बाजार या किसी भी शेयर की संभावित चाल के बारे में जानने का एक तरीका है टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis). आज हम आपको इसी एनालिसिस की एक अहम चीज के बारे में बता रहे हैं, जो शेयर की चाल के बारे में इंगित कर सकती है.

आज हम टेक्निकल एनालिसिस से जुड़ी जिस अहम चीज की बात कर रहे हैं, वह एक कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern) है. इस पैटर्न का नाम है बुलिश इनगल्फिंग (Bullish Engulfing). नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक बुलिश (शेयर को ऊपर की तरफ ले जाने वाला) पैटर्न है. इसे खोजने के लिए आपको चार्ज पढ़ना आना चाहिए. इन दिनों सभी ब्रोकर डीमैट अकाउंट में चार्टिंग का ऑप्शन देते हैं. उसी ऐप या उसके डेस्कटॉप वर्जन पर आप यह पैटर्न खोज सकते हैं. इसके अलावा कुछ खास ऐप्स सिर्फ चार्टिंग के लिए इस्तेमाल होती हैं, जैसे कि investing.com और tradingview.com.

कैसे बनता है ये बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न?
यहां इसे आसान से आसान भाषा में आपको समझाने की कोशिश की गई है. सबसे पहले आप इन दोनों शब्दों को अलग कर लें. बुलिश + इनगल्फिंग. बुलिश का मतलब तो आप जानते ही हैं, इनगल्फ का मतलब होता है निगल जाना. नीचे तस्वीर में दिख रहे पैटर्न को देखिए.

एक शेयर गिरता चला जा रहा है. कई सारी लाल (ज्यादा) और हरी (कम) कैंडल बनती नजर आ रही हैं. अब, गोले में मार्क की गई हरे रंग की कैंडल को देखिए. इस कैंडल ने पिछले दिन की कैंडल को बिलकुल निगल लिया है अथवा ढक लिया है. यही इनगल्फिंग कैंडल है. छोटी लाल और उसके बाद उसे पूरी तरह ढक लेने वाली हरे रंग की कैंडल को मिलाकर बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न (Bullish Engulfing Pattern) बनता है.

जिरोधा वर्सिटी (Zerodha Versity) के मुताबिक, इस पैटर्न में हमें 2 ट्रेडिंग सेशन को एक साथ देखना होगा. आपको पहले एक छोटी लाल कैंडल देखनी होगी और उसके अगले दिन बड़ी हरी कैंडल. हरी कैंडल पिछली लाल कैंडल को ढक रही हो.

कौन-सा पैटर्न करेगा सबसे बेहतर काम?
मान लीजिए आप एक शेयर को लगातार देखते हैं, और एक दिन आपको चार्ट पर बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न नजर आता है. यहां से आपको समझ लेना चाहिए कि अब शेयर का भाव पलट सकता है. यहां ध्यान रहे कि ये पैटर्न 100 फीसदी कारगर नहीं होते. ये पैटर्न भाव के पलटने की संभावना-भर बताते हैं. एक अच्छा निवेशक ऐसे पैटर्न खोजने के बाद अलर्ट मोड में रहता है.

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इस तरह के पैटर्न चार्ट पर कई जगहों पर बनते रहते हैं. कई बार शेयर का भाव धीमी गति से ऊपर जा रहा होता है और उसी में यह पैटर्न बन जाता है. कभी-कभी शेयर जब अपने हाई पर होता है, तब भी यह पैटर्न बन जाता है. मगर ये पैटर्न आमतौर पर काम नहीं करते. बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न जब चार्ट में एक लम्बी गिरावट के बाद बनता है, तब इसके काम करने के चांस अधिक होते हैं. मतलब, चार्ट में बीच में बनने वाले पैटर्न पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए. चार्ट में एक लंबी गिरावट के बाद बने इस पैटर्न को देखते ही समझ लेना चाहिए कि भाव पलट सकता है.

बुलिश इनगल्फिंग पैटर्न के पीछे का लॉजिक
जब एक शेयर गिर रहा होता है तो कहा जाता है कि वह बेयर्स (Bears) की गिरफ्त में है और वे भाव को लगातार नीचे ले जा रहे हैं. ऐसे में आपको लाल रंग की कैंडल्स ज्यादा देखने को मिलेंगी. बीच-बीच में हरे रंग की छोटी कैंडल्स भी दिखेंगी. एक समय ऐसा भी आता है, जहां बुल्स (Bulls) को लगने लगता है कि भाव काफी गिर चुका है, इसलिए यहां से खरीदा जा सकता है. जब बुल्स खरीदारी पर उतरते हैं तो उनकी चाल बड़ी-बड़ी हरी कैंडल्स में नजर आने लगती है. जहां बहुत सारे बुल्स को एकसाथ लगता है कि शेयर को खरीदा जाना चाहिए, तो वे भर-भरकर खरीदने लगते हैं और बड़ी और हरी कैंडल बनने लगती हैं. साथ ही नीचे दिखाई देने वाले वॉल्यूम बार भी सामान्य से ऊंचे बनने लगते हैं.

बुलिश इनगल्फिंग कैंडल उस दिन बनती है, जब भाव पिछले दिन के मुकाबले नीचे खुला हो, मगर बंद होने तक भाव पिछले दिन की ओपनिंग से ज्यादा हो जाए. उदाहरण के लिए कल एक शेयर 100 रुपये पर बंद हुआ था, लेकिन खुला था 105 रुपये पर. मतलब 5 रुपये गिरकर बंद हुआ. आज वही शेयर 98 रुपये पर (कल के क्लोजिंग भाव से 2 रुपये नीचे) खुला. यहां बुल्स आए और उन्होंने खरीदारी शुरू की, और बाजार बंद होते-होते उसे 110 रुपये पर ले गए. मतलब पूरी गिरावट को साफ करके बुल्स ने यह दिखाने की कोशिश की, कि वे आ चुके हैं और अब बेयर्स (Bears) की चलने नहीं देंगे.

ऐसी कैंडल खोजने के लिए आपको डेली कैंडल (एक दिन की एक कैंडल) वाला चार्ट देखना चाहिए. वीकली या मंथली भी देख सकते हैं, मगर 1 दिन से कम कैंडल वाले चार्ट को नहीं देखना चाहिए. फिर से ध्यान दें कि बुलिश इनगल्फिंग कैंडल पैटर्न बनने का मतलब यह नहीं है कि भाव वहां से उलटा चल ही पड़ेगा. यह एक इंडिकेटर है, जबकि इसके साथ कुछ और चीजों को देख-समझकर ही निवेश का निर्णय लिया जाता है. यदि आप टेक्निकल एनालिसिस में पारंगत नहीं है तो आपको किसी पंजीकृत निवेश सलाहकार से परामर्श करना चाहिए.

(Disclaimer: यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है. यदि आप किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

Tags: Earn money, Share market, Stock market


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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