B.Ed के बाद किसानी, इस युवा ने नए तरीके से शुरू की खेती, साल भर भरा रहता है खेत, लाखों में कमाई

देवघर (झारखंड). आजकल खेती किसानी की परिभाषा बदल रही है. पहले ग्रामीण इलाकों मे माना जाता था की जो लोग नहीं पढ़ पाते वो खेती करते हैं. लेकिन, अब पढ़े-लिखे युवा भी उच्च स्तर की डिग्रियां हासिल कर खेती-किसानी में रुचि दिखा रहे हैं. यही नहीं, महीने मे लाखों की आमदनी भी कर रहे हैं. देवघर के पदेनबेरा गांव के 31 वर्षीय युवा किसान भी उन्हीं में से एक हैं. बीएड की डिग्री हासिल कर सीजन के अनुसार जैविक विधि से खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
युवा किसान वकील यादव ने Local 18 को बताया कि उन्होंने देवघर से ही 2017 में बीएड किया. पहले पिता जी के साथ खेत जाते थे. इससे उनको भी खेती से लगाव हो गया. लेकिन, वह पिताजी के जैसी परंपरागत खेती नहीं करना चाहते थे. इसके लिए कई जगह जाकर कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया. वकील खेती सीखने के लिए इजरायल भी जा चुके हैं, जहां किसानों को सिखाया गया कि किस तरह से जैविक विधि खेती की जा सके.
4 एकड़ में ककड़ी, 2 एकड़ में कद्दू
किसान वकील यादव ने बताया कि वह साल भर खेती करते हैं. सीजन के अनुसार तरह-तरह की सब्जियों का उत्पादन करते हैं. गर्मी मे कद्दू और ककड़ी, खीरा की डिमांड बढ़ जाती है. इस कारण अभी 4 एकड़ में ककड़ी और 2 एकड़ में कद्दू की खेती कर रहे हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
युवा किसान वकील ने बताया कि किसी भी फसल की उपज में 3-4 महीने का वक्त लगता है. ककड़ी और कद्दू की जुताई दिसंबर के महीने में शुरू हो जाती है. उसके बाद अप्रैल तक ये सब्जी तैयार हो जाती है. इन सब्जियों को उगाने में 15-20 हज़ार की लागत आती है. लेकिन अभी हर रोज 1 क्विंटल से भी ज्यादा ककड़ी और 500 पीस से भी ज्यादा कद्दू तोड़ कर बाज़ारों तक पहुंचाया जा रहा है. बताया कि ककड़ी 20-25 रुपये किलो और कद्दू साइज के हिसाब से 10-15 रुपये में बिकता है. इस तरह फिलहाल महीने में करीब एक लाख रुपये तक कमाई हो जाती है.
हर खेती जैविक विधि से
वकील ने बताया कि किसान जितना अपने खेत में रासायनिक खाद का प्रयोग करेंगे, उतना खेत बंजर होता चला जाएगा, इसलिए ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का प्रयोग कर खेती करने की कोशिश करनी चाहिए. इससे पैदावार भी अच्छी होगी और खेत भी बंजर होने से बचा रहेगा. साथ ही घर पर बनाए कीटनाशक का ही प्रयोग करना चाहिए.
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Tags: Deoghar news, Farmer, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 17:23 IST
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