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First Woman Car Driver: दुनिया के कई देशों में अब महिलाएं कार ही नहीं बस, ट्रक, ट्रेन, प्‍लेन उड़ाती हुई दिख जाती हैं. कुछ साल पहले सऊदी अरब ने भी महिलाओं को कार चलाने की इजाजत दे दी थी. भारत में तो बहुत बड़ी तादाद में महिलाएं खुद कार ड्राइव कर ऑफिस, मार्केट या बच्‍चों के स्‍कूल जाती हुई दिख जाती हैं. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि दुनिया की वो महिला कौन हैं, जिन्‍होंने कार चलाई थी. भारत की पहली कार ड्राइवर कौन थीं? भारत की सभी रानियां कार नहीं चला पाती थीं तो वो कहां की रानी थीं, जिन्‍होंने सबसे पहले कार चलाई थी? हम देंगे आपको ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब.

महिलाओं की ड्राइविंग को लेकर काफी कुछ कहा जाता है, लेकिन आज दौड़ती भागती दुनिया में महिलाएं हर काम कर रही हैं. अगर आज महिलाएं दुनियाभर में पूरी आजादी के साथ कार चला पा रही हैं तो इसमें बेर्था बेंज का सबसे बड़ा योगदान है. बेर्था बेंज ही दुनिया की वह पहली महिला हैं, जिन्‍होंने मर्सिडीज बेंज के संस्‍थापक और अपने पति कार्ल बेंज की अनुमति लिए बिना ही कार चलाई थी. पहली बार कार चलाने निकलीं बेर्था बेंज ने 106 किमी की दूरी तक दौड़ाया था. सबसे बड़ी बात इस कार में चार पहिये नहीं थे, बल्कि ये तीन पहियों पर दौड़ने वाली कार थी. कार्ल बेंज ने फोर्ड से काफी पहले काम करने वाली कार बनाई थी.

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बेर्था ने क्‍यों चलाई थी मॉडल-टी कार
फोर्ड ने दुनिया की पहली बड़े पैमाने पर और सस्‍ती कार के तौर पर मॉडल-टी को उतारा था. हालांकि, कार्ल बेंज ने इससे पहले ही काम करने वाली पहली कार के तौर पर पेटेंट-मोटर व्‍हीकल मॉडल-3 बना ली थी. कार बनाने के तीन साल बाद तब इसकी एक भी गाड़ी नहीं बिकी. बेर्था ने कार्ल बेंज से कहा कि अगर नई कार को सड़क पर इस्‍तेमाल करके यानी चलाकर दिखाया जाए तो लोगों को इसके बारे में पता चलेगा और बिक्री होगी. कार्ल बेंज बेर्था के इस विचार से सहमत नहीं हुए. उन्‍होंने कार को पब्लिक के बीच सड़क पर चलाकर प्रदर्शन करने की मंजूरी नहीं दी.

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106 किमी सफर में क्‍या-क्‍या हुआ
बेर्था ने अगस्‍त 1888 में कार्ल बेंज की बनाई उस कार को पति और कंपनी के अधिकारियों की मंजूरी लिए बिना ही खुद सड़क पर उतार दिया. बेर्था ने कार की क्षमता जनता को दिखाने के लिए 106 किमी की दूरी इस तिपहिया वाहन से तय की. इस तरह वह इस कार को चलाने वाली पहली महिला भी बनीं. उन्‍होंने मैनहेम से फोर्जियम तक का सफर किया, जो उस दौर में गैर-कानूनी था. कार से इतनी लंबी दूरी तय करने वाली दुनिया की पहली महिला भी बेर्था ही बनीं. उस समय उनके दो बच्‍चे रिचर्ड और यूजेन भी थे. यात्रा के दौरान बेर्था ने फ्यूल लाइन को साफ करने के लिए अपनी हेड पिन का इस्‍तेमाल किया. वहीं, इंजन को ठंडा करने के लिए पानी डाला.

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दुनिया का पहला पेट्रोल पंप कहां है
बेर्था ने 106 किमी की इस यात्रा के दौरान एक केमिस्‍ट शॉप पर रुककर ईंधन भी लिया था. इस तरह वह केमिस्‍ट शॉप दुनिया का पहला पेट्रोल पंप कहलाई. बेर्था ने यात्रा पूरी होने के बाद अपनी सफलता की जानकारी देने के लिए एक टेलीग्राम भी किया. वह कार्ल बेंज को यह साबित करना चाहती थीं कि ऑटोमोबाइल बहुत ही अहम अविष्‍कार है. इसका कारोबार उन्‍हें बड़ी आर्थिक सफलता दिला सकता है. बता दें कि बेर्था की यात्रा के बाद बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ. बाद में कार्ल बेंज ने डेमलर गॉटलीब के साथ मर्सिडीज बेंज की स्‍थापना की. दोनों ने मिलकर इस कंपनी को खड़ा करने के लिए बड़ा निवेश किया. साल 2008 में इस 106 किमी लंबे रास्‍ते को ‘बेर्था बेंज मेमोरियल रूट’ नाम दिया गया.

बेर्था ने जिस रास्‍ते पर कार चलाई थी, उसे 2008 में ‘बेर्था बेंज मेमोरियल रूट’ नाम दिया गया. (Image : Youtube)

किसने बनाई दुनिया की पहली कार
कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज बेंज आज भी कहती है कि बेर्था बेंज सभी को रास्‍ता दिखाने के लिए खुद आगे का रास्‍ता बनाया. बता दें कि दुनिया की पहली कार कार्ल बेंज ने नहीं बनाई थी. दुनिया की पहली कार 1769 में निकोलस जोसेफ नॉट ने बनाई थी. उन्‍होंने पहली सेल्‍फ प्रोपेल्‍ड कार बनाई थी. इस कार पर स्‍टीम इंजन लगाया गया था. हालांकि, ये साफ कर दें कि कार्ल बेंज ने ही दुनिया पहली काम करने वाली कार बनाई थी. इसके बाद फोर्ड ने ऐसी कार बनाई, जिसका उत्‍पादन बहुत बड़े पैमाने पर किया गया. ये उस समय की सस्‍ती कार के तौर पर पहचानी गई.

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कौन थीं पहली भारतीय महिला कार ड्राइवर
भारत के कुछ इलाकों में आज भी महिलाएं कार नहीं चला पाती हैं. फिर भी आज महिलाओं की काफी बड़ी आबादी है, जो रोजमर्रा के जीवन में कार का इस्‍तेमाल करती है. देश में पहली बार कार चलाने वाली महिला टाटा परिवार से थीं. सुजैन टाटा फ्रांसीसी थीं और रतनजी दादाभाई टाटा की पत्‍नी थीं. उन्‍होंने 1905 में पहली बार कार चलाई थी. इसके बाद उन्‍हें भारत की पहली महिला कार ड्राइवर के तौर पर पहचाना जाने लगा. सुज़ैन ने शादी के बाद अपना नाम बदलकर सोओनी टाटा रख लिया था. उन्‍होंने शादी के बाद ईसाई धर्म से बदलकर पारसी धर्म अपना लिया था. सुजैन का निधन लंदन में हुआ.

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होलकर राजघराने की महारानी चंद्रावती होलकर भारत की पहली महिला कार ड्राइवर थीं.

होलकर परिवार से थीं पहली कार चलाने वाली रानी
होलकर राजघराने को लेकर बहुत से किस्‍से कहे-सुनाए जाते हैं. इसी राजघराने की महारानी चंद्रावती होलकर उस दौर में कार चलाने को लेकर आम लोगों के बीच चर्चा में रहती थीं. उनकी शादी महाराज तुकोजीराव होलकर तृतीय से 1895 में हुआ था. उस दौर में कार केवल राजा-महाराजाओं के पास होती थी. तब होलकर राजघराने को अपनी लग्जरी गाड़ियों के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता था. होलकर राजघराने के काफिले में उस समय मर्सिडीज, बैंटले, डेलैग डी-8 और रॉल्स रॉयस की कारें शामिल थीं. यही नहीं, यूरोप और अमेरिका की कार कंपनियां होलकर राजाओं के ऑर्डर पर खासतौर पर कारें डिजाइन करती थीं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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