अजब गजब

50 की उम्र में ऊषा देवी के हौसले देख कहेंगे वाह! कारोबार से मिली एक नई पहचान

फर्रुखाबाद:  बदलते समय के साथ किसी भी कारोबार को बढ़ाना काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे समय पर 50 वर्ष की ऊषा देवी सभी के लिए मिसाल बन गई हैं. बड़े परिवार और रोजगार का साधन न होता देख उषा देवी ने घर पर ही कागज को खरीद कर लिफाफा बनाने का कार्य शुरू किया. धीरे-धीरे बाजार भर में उनकी एक अलग पहचान बन गई. अब जिले में ऊषा देवी के हाथों से बने हुए लिफाफे इस्तेमाल होते हैं. इससे उषा देवी को अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है.

अब घर पर रहकर ही ऊषा हजारों की कमाई कर रही हैं. जिलेभर में लिफाफा वाली दादी के नाम से आज एक अलग पहचान बन गई है. देश में पॉलीथिन पर पाबंदी के बाद से इनके धंधे में रौनक आई है. इस कार्य के द्वारा ऊषा देवी प्रतिमाह घर के कई सदस्यों के साथ मिलकर पचास हजार रुपये तक की कमाई कर रही हैं.

फर्रुखाबाद के कमालगंज क्षेत्र के मोहनपुर रोड पर रहने वाली ऊषा देवी जो की घर की जिम्मेदारियां संभालने के साथ-साथ अब घरेलू कारोबार भी कर रही हैं. बाजार से 30 रुपये किलो की दर से कागज खरीदती हैं और उनसे लिफाफा तैयार करने के बाद 60 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री कर देती हैं. इससे प्रतिदिन लगभग दो से तीन हजार की बचत हो जाती है. ऊषा देवी के इस कार्य में परिजन भी उनका सहयोग करते हैं जिससे उनका यह कार्य भी अच्छे से चल रहा है.

Local18 को ऊषा देवी ने बताया कि वह पिछले 22 वर्षों से यह काम कर रही हैं. उनका सपना था कि वह भी जीवन में आगे बढ़ें और अपनी पहचान बनाएं. इसी हौसले के साथ उन्होंने घर पर रहकर ही घरेलू कारोबार शुरू किया. अब इनको हर महीने में लगभग 50,000 की बचत हो जाती है.

लिफाफा बनाने का क्या है तरीका
लिफाफा बनाने के लिए मुख्य रूप से साइज को ध्यान में रखकर कागज की कटिंग की जाती है. इस दौरान किनारों को विशेष आकार पर मोड़ा जाता है. और किनारों पर चिपचिपा पदार्थ लेई लगाई जाती है. फिर तैयार लिफाफों को धूप में सुखाया जाता है. ऐसे लिफाफा बनकर तैयार हो जाता  है.

Tags: Farrukhabad Latest News, Local18


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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