अजब गजब

150 कमाते, मां को देते थे 100 रुपये, ₹50-50 बचाकर शुरू किया काम, अब 3300 करोड़ का कारोबार, घमंड एक पैसे का नहीं

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Success Story: भारत में अरबपति कारोबारियों की कमी नहीं है. देश में एक से बढ़कर एक उद्योगपति हैं, जिनकी नेटवर्थ अरबों-खरबों में है. इनमें से कुछ बिजनेसमैन ऐसे हैं जिन्हें पैसा और व्यापार विरासत में मिला जबकि कुछ सेल्फ मेड बिजनेसमैन हैं जिन्होंने अपना मुकद्दर खुद बनाया. इन्हीं सेल्फ मेड बिजनेसमैन्स में से एक हैं ए वेलुमणि, जो मेडिकल फर्म थायरोकेयर के फाउंडर हैं. 3300 करोड़ की कंपनी के इस मालिक के पूरे घर की कमाई किसी जमाने में 50 रुपये हुआ करती थी. लेकिन, वक्त ने ऐसी करवट ली कि ए वेलुमणि आज करोड़ों में खेल रहे हैं. हालांकि, इसके लिए उन्होंने जो मेहनत की है वह लाखों युवा उद्यमियों को प्रेरणा देने वाली है. ए वेलुमणि ऐसी शख्सियत हैं जो अपनी मेहनत और लगन के साथ-साथ अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं. करोड़ों रुपये की कंपनी के मालिक होने के बावजूद वह हमेशा सादगीपूर्ण जीवन बीताना पसंद करते हैं.

डीएन की रिपोर्ट के अनुसार, ए वेलुमणि ने 1982 में 500 रुपये से अपनी यह बिजनेस यात्रा शुरू की. अब उनकी कंपनी थायरोकेयर की वर्थ करीब 3300 करोड़ रुपये है. हालांकि, मामूली नौकरी से करोड़ों की कंपनी को खड़ा करने का यह सफर उनके लिए इतना आसान नहीं रहा. इस दौरान उन्होंने कई परेशानियों और संघर्षों का सामना किया.

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19 साल की उम्र में शुरू किया काम
महज 19 साल की उम्र में ग्रेजुएशन करने के बाद ए वेलुमणि ने एक केमिस्ट के तौर पर नौकरी करना शुरू किया. इस दौरान उन्हें बतौर सैलरी 150 रुपये मिलते थे इसमें से वे 100 रुपये अपने घर भेज देते थे. इस प्राइवेट नौकरी के दौरान उन्होंने मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्ट सेंटर में नौकरी के लिए आवेदन किया. BARC में उनका सिलेक्शन हो गया और फिर सैलरी के तौर पर 800 रुपये महीने मिलने लगे. इतना ही नहीं जॉब के साथ-साथ उन्होंने अतिरिक्त आय के लिए बच्चों को ट्यूशन तक पढ़ाई.

नौकरी के बाद आजमाया बिजनेस में हाथ
नौकरी और कोचिंग से उन्हें जितनी भी कमाई होती थी उसका अधिकांश हिस्सा वो मां को भेज देते थे. नौकरी के साथ-साथ ए वेलुमणि ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की. 15 साल तक भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में काम करने के बाद ए वेलुमणि ने 1995 में थायरोकेयर की शुरुआत की. उनके पास डायग्नोस्टिक्स रिसर्च और बिजनेस में 35 वर्षों से ज्यादा का अनुभव है.

सैलरी से बचाए पैसे और पीएफ से कुछ रकम निकालकर ए वेलुमणि ने करीब 1 लाख रुपये में मुंबई में थाइरोकेयर पहली टेस्टिंग लैब खोली. इसके बाद धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों में सैंपल लैब खोले गए. इस बिजनेस में उन्होंने पहले तीन महीने में उन्होंने मुनाफा बनाना शुरू कर दिया. अब उनका यह कारोबार पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है.

Tags: Billionaires, High net worth individuals, Success Story

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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