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18 से पहले ही ब्याह दी जाती हैं बेटियां, भारत का पड़ोसी तो एशिया में नंबर वन, तो विश्व में सबसे आगे कौन देश?

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बांग्लादेश बाल विवाह, लैंगिक असमानता, हिंसा और लड़कियों के लिए सीमित अवसरों की उच्च दर से जूझ रहा है. एक हालिया वैश्विक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ.

बाल विवाह में कौन-सा देश नंबर वन?

ढाका. दुनिया में आज भी बाल विवाह की समस्या विश्व के विभिन्न हिस्सों में गंभीर बनी हुई है. खासकर थर्ड वर्ड जैसे देशों में. भारत भी अछूता नहीं है. भारत में 20 से 24 वर्ष की आयु की लगभग 1.56 करोड़ महिलाएं ऐसी थीं जिनकी शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी, मगर हाल में छपी एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाली खुलासा की है. इसके अनुसार, एशिया में बांग्लादेश बाल विवाह में नंबर वन देश है, जबकि नाइजर पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है.

इस रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘गर्ल्स गोल्स: व्हाट हैव चेंजेज फॉर गर्ल्स? एडोलसेंट गर्ल्स राइट्स इन 30 इयर्स.’ यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यूनिसेफ, संयुक्त राष्ट्र महिला और प्लान इंटरनेशनल की ओर से जारी की गई. रिपोर्ट में बताया गया कि एशिया में बाल विवाह की सबसे अधिक दर बांग्लादेश में है, जहां 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी जाती है. यह चिंताजनक आंकड़ा बांग्लादेश को इस खतरनाक प्रथा से जूझ रहे विश्व के शीर्ष देशों में शामिल करता है.

हालत में हुआ सुधार
किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए निवेश के महत्व पर जोर देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह के निवेश से न केवल व्यक्ति सशक्त बनते हैं, बल्कि समुदायों और राष्ट्रों के आर्थिक विकास और स्थायित्व में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलता है. रिपोर्ट में 1995 के बीजिंग घोषणापत्र के बाद से देशों द्वारा की गई प्रगति का आकलन किया गया. इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सहित विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति को स्वीकार किया गया.

बदलाव की जरूरत
हालांकि रिपोर्ट में बांग्लादेश में किशोरियों के सामने आने वाली लगातार चुनौतियों, विशेष रूप से असमानताओं, हिंसा, सीमित शैक्षिक और आर्थिक अवसरों के संबंध में चिंता व्यक्त की गई. बांग्लादेश में यूनिसेफ की प्रतिनिधि राणा फ्लॉवर्स ने बदलाव की तत्काल जरुरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “देश में किशोर लड़कियां एक समृद्ध बांग्लादेश में योगदान देना चाहती हैं, जहां वे अवसरों को अपना सकें और अपने देश को आगे बढ़ने में मदद कर सकें. फिर भी, भेदभाव और बाधाएं उन्हें और उनके देश को पीछे धकेलते रहती हैं.”

बाल विवाह बनी श्राप
रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में किशोरियों के लिए माध्यमिक विद्यालय पूरा करने की दर 59.22 प्रतिशत है. अध्ययन में यह भी बताया गया कि बांग्लादेश उन सात देशों में से एक है जहां डिजिटल कौशल वाली किशोरियों और युवा महिलाओं का अनुपात 2 प्रतिशत या उससे कम है, जिससे उनके अवसर और सीमित हो गए हैं. रिपोर्ट कुछ सकारात्मक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है, जिसमें कहा गया कि 15 वर्षीय किशोर लड़कियों की वैश्विक जीवन प्रत्याशा बढ़कर 79.1 वर्ष हो गई, जो 4.5 वर्ष के सुधार को दर्शाती है. ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन अभियान जैसी पहलों ने लाखों बांग्लादेशी लड़कियों को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश में महिलाओं के बीच मृत्यु का एक प्रमुख कारण है.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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