पुलिस एवं खनिज विभाग की मिली भगत से चल रहा है रेत का अवैध परिवहन, ओवरलोड रेत के वाहनों से जनता है त्रस्त

छतरपुर। जिले में नदियों से रेत निकालने पर कलेक्टर द्वारा 30 जून के बाद से प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर छतरपुर में 46 रेत खदानों का ठेका लेने वाली कंपनी पुष्पा इंटरप्राइजेज का ठेका भी 30 जून को समाप्त हो चुका है। खनिज विभाग के द्वारा माइनिंग कार्पोरेशन के द्वारा अगली रेत की ठेका देने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है परंतु छतरपुर जिले में रेत का व्यापार अवैध रूप से धड़ल्ले से चल रहा है। सृूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज भी रेत से भरे सैकड़ों ट्रेक्टर प्रतिदिन गायत्री मंदिर के पास खउ़े मिल जाएंगे। इन ट्रेक्टर चालकों के पास न तो किसी प्रकार की कोई टीपी होती है ओर न ही कोई ठेकेदार का दिया हुआ पास। गुप्त रूप से खेतों पर डंप की गई रेत की सप्लाई सुबेरे कर दी जाती ह।ै रेत बेचने वाले शाम से ही जहां काम चल रहे हैं वहां के मकान मालिक के रेत का ऑडर ले लेते हैं। 15 से 17 हजार रुपए में रेत का ट्रेक्टर बेचा जा रहा है।इन ट्रेक्टरों केपास न तो कोई स्थाई ड्राइवर होता है और न ही कोई गाड़ी के कागजात, पुलिस विभाग इनको आखिरकार क्यों नहीं पकड़ता। खनिज विभाग भी कभी रेत मंडी में छापामार कार्यवही नहीं करते। रेत से कारोबार करने वालों का कहना है कि तीनों थानों पर पुलिस विभाग से सेटिंग है जिसके चलते वह धड़ल्ले से रेत का कारोबार कर रहे हैं। पुलिस विभाग भले ही दो पहिया वाहन की चैकिंग करने के नाम पर तीनों थानों के पास चैकिंग अभियान चलाती है किंतु इन रेत से भरे ट्रेक्टरों को कभी भी पकडक़र इनसे पूंछतां द नहीं करती है। पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह काम खनिज विभाग का है। परंतु खनिज विभाग के अधिकारी कहते हैं कि स्टाफ की कमी होने के कारण हर जगह कार्यवही करना संभव नहीं फिलहाल जुलाई के माह में रेत की मांग अधिक होने के कारण पूरे रेत बाजार में रेत का अवैध कारोबार धडल्ले से चल रहा है।