सबसे कीमती है ज्ञान, ‘श्रीकांत’ जन्म से नहीं देख पाए दुनिया, पर खोली लोगों की आंखें, पढ़ाई से जीती जिंदगी की जंग

Success Story: ज्ञान और हुनर ऐसी चीज है जिसे कोई छीन नहीं सकता, चुरा नहीं सकता. ये बातें भले ही किताबी लगती हो लेकिन असल जिंदगी में युवा उद्यमी श्रीकांत बोल्ला ने यह साबित कर दिखाया है. बोलैंट इंडस्ट्रीज के फाउंडर श्रीकांत बोल्ला जन्म से अंधे हैं लेकिन अपने ज्ञान की बदौलत उन्होंने जिंदगी में बहुत ही बड़ा मकाम हासिल किया है. श्रीकांत जीवन में कई संघर्षों से जूझे लेकिन हिम्मत नहीं हारी. श्रीकांत बोल्ला की कहानी करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. यही वजह है कि बॉलीवुड ने उनकी जिंदगी पर फिल्म ‘श्रीकांत’ बना दी है जिसमें एक्टर राजकुमार राव, श्रीकांत बोल्ला के किरदार में नजर आ रहे हैं. यह फिल्म 10 मई को रिलीज होगी.
आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के सीतारमपुरम में जन्मे श्रीकांत बोल्ला जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं. आंखों की रोशनी नहीं होने की वजह से उन्हें शुरुआत में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनके हौसले और माता-पिता के अटूट समर्थन ने उन्हें हर चुनौती का सामना करने और अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम बनाया.
पढ़ाई में दिया मुंहतोड़ जवाब
श्रीकांत बोल्ला ने कई चुनौतियों को पार करते हुए पढ़ाई की. हालांकि, उन्हें उस वक्त विरोध का सामना करना पड़ा जब उन्होंने क्लास 10th के बाद विज्ञान विषय के अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त की. लेकिन, नियमों का हवाला देकर स्कूल ने उनसे कहा कि नियमों के अनुसार दृष्टिबाधित छात्र विज्ञान विषय की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. लेकिन, श्रीकांत ने सांइस पढ़ने की ठान ली और इस नियम को कोर्ट में चुनौती दी. कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उन्हें साइंस विषय से पढ़ाई की मंजूरी मिली. श्रीकांत ने अपनी प्रतिभा 12वीं क्लास में साबित की जब उन्होंने बोर्ड परीक्षा में 98 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप किया.
श्रीकांत बोल्ला का सपना आईआईटी-जेईई एग्जाम पास करना था. लेकिन, एक बार फिर उन्हें इस प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग ज्वाइन करने से वंचित कर दिया गया. लेकिन, उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एक सीट हासिल कर ली. श्रीकांत बोल्ला मैनेजमेंट साइंस का अध्ययन करने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेत्रहीन छात्र बन गए.
अच्छी खास नौकरी ठुकराकर लौटे देश
पढ़ाई के बाद उन्हें विदेश में अच्छी जॉब ऑफर की गई. लेकिन, श्रीकांत बोल्ला ने कुछ अलग करने की ठान ली और भारत लौट आए. 2012 में बोलैंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की. यह कंपनी सुपारी-आधारित उत्पादों का निर्माण करती है और विकलांग व्यक्तियों को रोजगार के अवसर देती है. श्रीकांत बोल्ला की कंपनी तेजी से आगे बढ़ी. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बोल्ला की कंपनी को देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा से भी फंडिंग मिली है.
श्रीकांत बोल्ला ने 2011 में विभिन्न प्रकार की विकलांगता से ग्रस्त बच्चों के लिए समन्वय सेंटर की स्थापना की. इसके जरिए उन्होंने विकलांग छात्रों की सहायता के लिए ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की. इस सामाजिक पहल से उन्हें और पहचान मिली. 2017 में श्रीकांत बोल्ला को फोर्ब्स अंडर 30 के प्रभावशाली लोगों में शामिल किया गया.
.
Tags: Business news in hindi, High net worth individuals, Success Story
FIRST PUBLISHED : April 14, 2024, 07:13 IST
Source link