बचपन में नहीं मिला पढ़ाई का माहौल, DIOS बन रमेश अब इस जिले की संवार रहें शिक्षा

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: बचपन मेरा आजमगढ़ में बीता और उस दौरान वहां पढ़ाई का माहौल नहीं था. ये शब्द हैं बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश सिंह के. आज वह छात्रों के लिए एक मिसाल हैं. कैसे उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर आज जिले की शिक्षा को संवार रहे हैं. आइए जानते हैं.
बलिया जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश सिंह ने बताया कि वह आजमगढ़ जिले के छतौना गांव का रहने वाले हैं. उनका परिवार संपन्न था, लेकिन पढ़ाई लिखाई का माहौल उस समय बिल्कुल नहीं था. केवल स्कूल जाना और फिर वापस घर आना ही पढ़ाई का मतलब था. उनकी पढ़ाई- लिखाई भी साधारण स्तर पर शुरू हुई थी. कक्षा पांच तक की पढ़ाई उन्होंने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से की. उसके बाद यूपी बोर्ड से ही उद्योग विद्यालय इंटर कॉलेज कोयलसा आजमगढ़ से 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की. वर्ष 1989 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से MA किया.
असफलता के बाद भी नहीं मानी हार
उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए. उन्हें तीन बार असफलता मिली. लेकिन, उन्होंने प्रयास करना नहीं छोड़ा. काफी हिम्मत जुटाने के बाद उन्होंने फिर से तैयारी की. अंतत: उन्हें सफलता मिलने लगी. उन्होंने सब इंस्पेक्टर, अग्निशमन द्वितीय अधिकारी और बैंक पीओ जैसी तमाम परीक्षाओं को पास कर किया.
PCS का एग्जाम किया पास
उन्होंने वर्ष 1995 में पीसीएस की परीक्षा पास की और 1997 में बीएसए (BSA) यानी बेसिक शिक्षा अधिकारी बन गए. बीएसए के तौर पर उन्हें एटा, इलाहाबाद, बस्ती, गोरखपुर और शिक्षा निदेशालय में उप शिक्षा निदेशक के पद पर तैनाती मिली. चित्रकूट के बाद अब वह बलिया जनपद में जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर तैनात हैं.
‘कोशिश करने वालों की कभी नहीं होती हार’
आगे उन्होंने बताया कि सफलता कहां बैठकर इंतजार कर रही है, यह किसी को पता नहीं होता. हार कभी नहीं माननी चाहिए. इसका जीता जागता उदाहरण मैं हूं. अगर तीन बार असफलता के बाद हार मान गया होता तो शायद मुझे इतनी बड़ी सफलता नहीं मिल पाती. प्रयास हर समय करना चाहिए. सफलता कहीं न कहीं अवश्य इंतजार कर रही होती है.
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Tags: Ballia news, Local18
FIRST PUBLISHED : April 12, 2024, 10:22 IST
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