मध्यप्रदेश

Big announcement of Madhya Pradesh State Employees Union | मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का बड़ा एलान: मंत्रालय में देंगे ज्ञापन, स्वास्थ्य बीमा और वेतन विसंगति पर उठाएंगे मुद्दे – Bhopal News

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मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ मंत्रालय में ज्ञापन सौंपेगा। संघ के प्रदेश महामंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की समस्याओं की अनदेखी कर रही है। सिंह ने कर्मचारी आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सव

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वे कहते हैं कि सरकार ने आयोग का कार्यकाल पांच साल से बढ़ाकर 31 मार्च 2025 तक कर दिया गया है, लेकिन आयोग ने अब तक कर्मचारी संगठनों से न तो कोई आवेदन लिया और न ही संवाद किया। कर्मचारियों को आयोग के अध्यक्ष के बारे में भी जानकारी तक नहीं है। स्वास्थ्य बीमा योजना का मामला भी लटका हुआ है।

4 जनवरी 2020 को मंत्री परिषद ने सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एमपीईएचआई योजना को मंजूरी दी थी। वित्त विभाग ने 19 फरवरी 2020 को सभी विभागों को कर्मचारियों का डेटा आईएफएमएस पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे। पांच साल बीत जाने के बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। कर्मचारियों को अब तक इसका लाभ नहीं मिल सका है।

मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ ने कई आंदोलन कर उपरोक्त मांगों के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को बार-बार पत्र लिखे। चर्चा के लिए समय भी मांगा, लेकिन सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है। सिंह कहते हैं कि हम सरकार की प्रगतिशीलता को रोकना नहीं चाहते, परंतु सरकार की अपेक्षा हमें प्रदेश बंद करने के लिए प्रेरित कर रही है।

मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ ने निर्णय लिया है कि उपरोक्त मांगों से संबंधित ज्ञापन 11 मार्च को मंत्रालय भोपाल के समक्ष प्रदर्शन कर मांगों का अभिलेख समस्याओं से संबंधित विषय वार अलग-अलग पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कोसौंपेंगे। समस्याओं का निराकरण न होने पर प्रदेश में वृहद आंदोलन किया जाएगा।

अधिकारी-कर्मचारी की समस्याएं एवं मांगें

  • प्रदेश सरकार ने केंद्र की तुलना में 3 प्रतिशत महंगाई भत्ता कम दिया जा रहा है।
  • वर्ष 2016 से पदोन्नति बंद है, जिससे विभागों का संघीय ढांचा प्रभावित हो रहा है। अधिकारियों/ कर्मचारियों के सेवानिवृत्त लगातार बढ़ने से कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बढ़ रहा है। निम्न पद पर रहकर वरिष्ठ पदों पर प्रभारी के रूप में कार्य किया जा रहा है, अनेक विभागों के मुखिया तो संविदा पर कार्य कर रहे हैं। जिससे विभागों की कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है।
  • 9 वर्ष हुए सातवें वेतनमान लागू होने के बाद भी सातवें वेतनमान के अनुसार गृह भाड़ा भत्ता एवं अन्य भत्ते पुनरीक्षित नहीं किए गए हैं।
  • पुरानी पेंशन जैसे मुद्दे का सरकार के द्वारा कोई हल नहीं निकाला गया, जिससे कर्मचारी एनपीएस पर ही सेवानिवृत्ति होना प्रारंभ हो गए हैं और पुरानी पेंशन लागू किए जाने की बाट जोह रहा है।
  • मध्य प्रदेश शासन के निर्णय अनुसार समस्त कर्मचारियों को चौथा समयमान वेतनमान का लाभ दिया गया है, पर शिक्षा विभाग के शिक्षकों को चौथा समयमान वेतनमान के आदेश आज तक नहीं किए गए हैं ।
  • स्थाई कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया है।
  • अध्यापकों को वरिष्ठता का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
  • प्रदेश में कई विभागों में हजारों अनुकंपा नियुक्तियां लंबित है सीपीसीटी/डीएड/टीजीटी परीक्षा का वास्ता देकर प्रदेश में अनुकंपा नियुक्तियों को रोका जा रहा है।
  • नियमित पदों को समाप्त कर संविदा और आउटसोर्स में बदला जा रहा है।
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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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