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रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन जारी है जिला प्रशासन आखिर क्यों है मौन

Arvind Jain

छतरपुर। जिला रेत खदानों के लिए मशहूर है। यहां की रेत उप्र के कई जिलों में प्रतिदिन सैकड़ों ट्रालों के माध्यम से भेजी जाती है। इसी कारण छतरपुर जिले में रेत का ठेका आनंदेश्वर एग्रो फूड प्रा. लिमिटेड को 75 करोड़ 99 लाख रुपए में वर्ष 2022 तक के लिए दिया गया था। इस कंपनी ने बीचों बीच रॉयल्टी की राशि जमा न कर अपना ठेका शासन से निरस्त करा लिया। मार्च 2021 से लगातार यह कंपनी बिना रॉयल्टी चुकाए लगातार रेत का अवैध उत्खनन करती रही और जिला प्रशासन मूक दर्शक बना देखता रहा। आखिरकार संचालक खनिज के द्वारा इस कंपनी के ठेके को निरस्त कर दिया गया। उसके बावजूद भी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा इस ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और पूरे जिले में खनिज विभाग एवं पुलिस विभाग की मिली भगत से लवकुशनगर अनुविभग की सभी तहसीलों में रेत का अवैध कारोबार भाजपा के नेताओं और जिला प्रशासन के इशारे पर चलता रहा और आज भी वर्षा जिले में न होने के कारण रेत का खुला व्यापार चल रहा है। जिले के खनिज अधिकारी अमित मिश्रा की टीम इस अवैध रेत के परिवहन को रोकने में पूरी तरह से अक्षम साबित हो रही है। ठेका निरस्त होने के बाद आज दिनांक तक कोई नए ठेकेदार को खदानें नहीं दी गई हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लवकुशनगर अनुविभाग की गौरिहार तहसील एवं चंदला क्षेत्र की तहसील के अंतर्गत एक दर्जनसे ज्यादा खदानों पर अवैध रेत का उत्खनन एवं परिवहन जारी है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस कारोबार मेंं छतरपुर के कई दिग्गज नेता और जिले के चलनियां नेता काम कर रहे हैं। और जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को ख्ुाली चुनौती दे रहे हैं। आखिरकार जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन इन रेत माफियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर पा रहा है। आज दिनांक तक जिले के संवेदनशील कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और पुलिस कप्तान सचिन शर्मा इन रेत खदानों पर आखिर क्यों नहीं जाते । जन शक्ति पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लखनलाल अनुरागी ने खुला आरोप लगाया है कि जिला कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और पुलिस कप्तान सचिन शर्मा के संरक्षण में रेत का अवैध कारोबार चंदला एवं लवकुशनगर क्षेत्र में चल रहा है। इसके एवज में इन दोनों अधिकारियेां को प्रतिमाह रेत माफियों के द्वारा लंबा फीलगुड कराया जाता है। इसी कारण इस क्षेत्र में विभिन्न थानों में पदस्थ होने के लिए थानेदारों की होड़ लगी रहती है। जबकि पहले लवकुशनगर अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले चंदला गौरिहार एवं बारीगढ़, गोयरा में थानेदार जोन से कतराते थे परंतु इस समय इन थानों में पोस्टिंग कराने के लिए जी जान से जुटे रहते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी की प्रति ट्रेक्टर 3 हजार रुपए प्रतिमाह इन  ट्रेक्टरों से पुलिस थानों में दिया जाता है। जिसके चलते न पुलिस इन रेत माफियों पर कार्यवाही करती है और न ही राजस्व विभाग। लवकुशनगर के एसडीएम पियूष भट्ट को इसलिए यहां पदस्थ किया गया कि वह जिला प्रशासन के इशारे पर ही कार्यवाही करते हैं। वे भी रेत माफियों से अपनी सांठगांठ कर मजा मार रहे हैँ। फिलहाल छतरपुर जिले में रेत का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जिसकी शिकायत कुछ जागरुक लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की हे। अब देखना है कि इन रेत माफियों के खिलाफ जिला प्रशासन कब तक कार्यवाही कर पाता है।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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