मामा-भांजे की जोड़ी: कभी करते थे मजदूरी, कोरोना में गई नौकरी, लोन लेकर लगा दी फैक्ट्री, आज 25 लाख का टर्नओवर

राजकुमार सिंह/वैशाली: वैश्विक महामारी कोरोना ने असंख्य लोगों की जीवन को पूरी तरह बदल दिया था. किसी के लिए कोरोना अभिशाप बन गया तो किसी के जीवन के लिए खुशहाली का सबब बन गया. वैशाली जिला के भगवानपुर के मामा-भांजे को कोरोना महामारी ने मजदूर से मालिक बना दिया. कभी मुंबई में सिलाई का करने वाले मामा-भांजे आज कपड़ा फैक्ट्री के मालिक बन गए हैं. दरअसल, भगवानपुर के सारंगी गांव निवासी नीतीश कुमार अपने भांजे मुकेश के साथ 2004 में काम की तलाश में मुंबई गए. जहां दोनों एक कपड़ा फैक्ट्री में सिलाई का काम करने लगे.
वहीं, 2020 में कोरोना महामारी आई, जिससे घबराकर दोनों अपना बसा-बसाया आशियाना छोड़कर मुंबई से वापस अपने घर लौट आए. यहां आने के बाद दोनों को काम की जरूरत थी, तभी एक अखबार से पीएम मुद्रा लोन योजना की जानकारी मिली. फिर क्या था मामा-भांजे ने मिलकर मुद्रा योजना से 10 लाख लोन लिया और घर पर ही कपड़ा फैक्ट्री खोलने की योजना बनाई. यह योजना सफल भी हो गई और आज नीलम इंटरप्राइजेज के नाम से वैशाली जिले में अपनी एक अलग पहचान कायम कर ली.
सालाना 25 लाख से अधिक का है टर्नओवर
आलम यह है कि आज इस कंपनी का कपड़ा ना सिर्फ वैशाली जिले में बल्कि मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर सहित आस-पास के कई जिलों में सप्लाई होता है. नितेश बताते हैं कि कपड़े की अच्छी डिमांड मिल रही है. जिस कारण फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर 25 लाख से अधिक हो गया है. उन्होंने बताया कि यहां लोअर, टीशर्ट, हाफ पैंट के अलावा स्कूल ड्रेस भी बनाई जाती है. आधा दर्जन से अधिक जिलों में तैयार कपड़ों की सप्लाई की जाती है. सबसे खास बात यह है कि इस फैक्ट्री में 20 से 25 लोग काम भी करते है. जिससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और लोग घर के पास रहकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने कोरोना के कारण घर लौटे मामा-भांजे की तकदीर को बदल कर रख दिया.
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रोजगार उपलब्ध करा रही मामा-भांजे की जोड़ी
इस फैक्ट्री में काम करने वाले अमित बताते हैं कि यहां काम करने से पहले 18 साल से त्रिपुरा में सिलाई का काम कर रहे थे. त्रिपुर जाने और आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब अपने गांव में ही रोजगार मिल रहा है. महीने में 15 से 17 हजार रुपए आराम से कमा लेते हैं. वहीं, रूबी कुमारी ने बताया कि महाराष्ट्र में 7 साल काम किया, लेकिन बचत नहीं हो पाती थी और हर महीने होने वाली तंगी के चलते परेशानी होती थी. सबसे अधिक परेशानी पानी की किल्लत को लेकर होती थी. पीने के लिए पानी बहुत दूर से लाना पड़ता था. अब घर के पास ही काम मिल रहा है. खास बात यह कि महीने भर लगातार काम मिल रहा है और 15 हजार तक आराम से कमा लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 4, 2024, 10:33 IST
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