आरजीपीवी में सीएसई की कटऑफ रैंक 8082 गिरी, इंदौर के डीएवीवी और ग्वालियर के एमआईटीएस से भी नीचे | CSE cutoff rank 8082 fell in RGPV, even below DAVV of Indore and MITS of Gwalior

भोपाल17 मिनट पहले
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बीटेक में एडमिशन के लिए तकनीकी शिक्षा संचालनालय (डीटीई) की प्रवेश समिति ने गुरुवार को सीट अलॉटमेंट कर दिया है।
बीटेक में एडमिशन के लिए तकनीकी शिक्षा संचालनालय (डीटीई) की प्रवेश समिति ने गुरुवार को सीट अलॉटमेंट कर दिया है। पिछले साल की अपेक्षा प्रमुख इंस्टीट्यूट का कटऑफ नीचे आया है। फर्स्ट राउंड में जेईई मेन की मेरिट के आधार पर प्रदेशभर के कॉलेजों में 22,992 स्टूडेंट्स को सीट अलॉट की गई है। प्रदेश की एक मात्र टेक्निकल यूनिवर्सिटी आरजीपीवी (राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) के कैंपस में संचालित यूआईटी (यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के हाल ठीक नहीं हैं।
इंदौर एसजीएसआईटी, आईईटी-डीएवीवी और ग्वालियर के एमआईटीएस की कटऑफ रैंक यूआईटी आरजीपीवी की अपेक्षा हाई है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) के लिए यूआईटी-आरजीपीवी में स्टेट कटऑफ रैंक 89161 रही। पिछले साल की तुलना में यह 8082 रैंक नीचे आई है। साथ ही यूआईटी-आरजीपीवी की सीएसई की कटऑफ रैंक इंदौर के आईईटी-डीएवीवी की कटऑफ से 42,372 रैंक नीचे आई है।
आरजीपीवी जो एक टेक्निकल यूनिवर्सिटी हैं। इसके बाद भी जेईई में अच्छी रैंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स इसकी अपेक्षा इंदौर के परंपरागत विवि के कैंपस में संचालित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आईईटी में एडमिशन लेना पसंद करते हैं। वहीं जीएसआईटीएस और एमआईटीएस आरजीपीवी से संबद्ध कॉलेज हैं। आरजीपीवी द्वारा क्वालिटी एजुकेशन के कई दावे किए जाते हैं। लेकिन, वो अपने संबद्ध कॉलेजों से आगे नहीं जा पा रहा है। इसके अलावा बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी का यूआईटी तो परफॉर्मेंस भी बहुत खराब है।

जिनमें एनबीए की मान्यता उनमें भी रैंक नहीं बढ़ी…
आरजीपीवी ने यूआईटी की 4 ब्रांच को नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) से मान्यता मिली है। ये ब्रांच इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग हैं। इनमें भी कटआफ रैंक पिछले साल की अपेक्षा गिरी है। इससे पहले आरजीपीवी नैक से ए ग्रेड प्राप्त यूनिवर्सिटी भी रही है, लेकिन अन्य कॉलेजों की तुलना में टॉपर्स स्टूडेंट्स को आकर्षित नहीं कर पा रही है।
रैंक गिरने वाले कॉलेज ध्यान दें…
“इस बार की कटऑफ लिस्ट देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कॉलेजों का कटऑफ नीचे आया है। इसका एक कारण यह है कि इस बार जोसा काउंसलिंग पहले ही कंप्लीट हो चुकी है। इसके बाद मप्र के कॉलेजों में सीट आवंटित की गई है। इससे रैंकिंग में गिरावट दिख रही है। यदि किन्हीं कॉलेजों की रैंकिंग कम हुई है, तो उन्हें अपने शैक्षणिक स्तर को सुधारने की ओर ध्यान देना होगा।”
-डॉ. सुबोध पाण्डेय, डिप्टी डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा
“हम क्वालिटी एजुकेशन के लिए लगातार काम कर रहे हैं। हाल ही में 4 ब्रांच को एनबीए से मान्य मिली है। स्टूडेंट्स भोपाल की अपेक्षा इंदौर के इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेना अधिक पसंद करते हैं। सुधार के लिए काम करेंगे ताकि टॉपर्स स्टूडेंट्स यूआईटी-आरजीपीवी में प्रवेश लें। स्टूडेंट्स यूआईटी आरजीपीवी को प्राथमिकता क्यों नहीं देते, इसके अन्य कारण भी हैं, जिनकी विवेचना की जाएगी है।”
-प्रो. एसएस भदौरिया, डायरेक्टर यूआईटी आरजीपीवी
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