कभी ₹8000 में करते थे नौकरी, आज 50 लाख टर्नओवर वाली फैक्ट्री के हैं मालिक, इस बिजनेस ने बदल दी किस्मत

दीपक कुमार/बांका: कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, बस इसे पूरी मेहनत के साथ करने की जरुरत होती है. साथ ही किसी तरह शुरुआत करने की जरूरत होती है. बांका के युवा मदन कुमार झा ने इसी सोच के साथ अपने घर पर चार मशीनों से अलग-अलग ड्रेसेस बनाने का काम किया. इसमें सफलता मिली तो अब 25 मशीन लगाकर ढाई दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं. फिलहाल लोकल मार्केट में ही कपड़े की सप्लाई करते हैं. मार्केट की परख और बेहतर प्रबंधन के चलते मदन ने बेहद कम समय में अपने कपड़े के कारोबार को व्यापक पैमाने पर लेकर गए. आलम यह है कि मदन ने अपनी मेहनत और लगाना से इस कपड़े के उद्योग को सालाना 50 लाख टर्नओवर तक पहुंचा दिया है.
मदन कुमार झा ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. किसी तरह इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली कमाने के लिए चले गए. दिल्ली के कपड़ा फैक्ट्री में 8 हजार की मासिक सैलरी पर डेढ़ साल तक काम किया. इससे घर और खुद का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा था. कपड़ा फैक्ट्री में काम करने के दौरान ही मन में ख्याल आया कि क्यों ना गांव जाकर इसी धंधे को शुरू किया जाए. 2022 में घर लौटकर आने के बाद चार मशीन से अलग-अलग ड्रेस बनाने का काम शुरू किया. जब डिमांड बढ़ने लगी तो अधिक मशीनों की जरूरत पड़ी. इसके लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से 10 लाख लोन लेकर 25 मशीन और लगाई. इससे काम में भी तेजी आई और 25 से अधिक लोगों को रोजगार भी मिला. ड्रेस तैयार करने वाले इन कारीगरों को 15 से 18 हजार तक की सैलरी दी जाती है. सभी कारीगर पूरी तरह से दक्ष हैं. मदन ने बताया कि यहां मुख्य तौर पर हाफ पैंट, पजामा, शर्ट टी-शर्ट, ट्राउजर, लूजर, जैकेट और जींस तैयार करते हैं. जिसकी क्वालिटी बेहतरीन रहती है. यहां सबसे कम कीमत पर हाफ पेंट बनाई जाती है, जो बाजार में 70 रुपए में बिकती है.
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सालाना 50 लाख से अधिक का है टर्नओवर
मदन ने बताया कि यहां 1700 से लेकर 2000 तक की जींस तैयार की जाती है. सभी कारीगर मिलकर एक दिन में डेढ़ सौ से अधिक कपड़े की सिलाई कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि कपड़े बनाने के लिए रॉ मैटेरियल दिल्ली, लुधियाना, कोलकाता और भागलपुर से मंगवाते हैं. कपड़े की क्वालिटी जबरदस्त रहती है. यही वजह है कि स्थानीय बाजार में भी डिमांड जबरदस्त है. उन्होंने बताया कि यहां तैयार होने वाले कपड़े बांका, मुंगेर, भागलपुर सहित झारखंड के गोड्डा, देवघर, साहबगंज जिला के विभिन्न बाजारों में सेल होते हैं. उन्होंने बताया कि इस कपड़ा उद्योग का सालाना टर्नओवर 50 लाख से अधिक है.
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FIRST PUBLISHED : March 31, 2024, 12:45 IST
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