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कलेक्टर के आदेश पर खनिज अधिकारी ने जब्तशुदा दो ट्रेक्टर छोड़े: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को किया दरकिनार

छतरपुर। छतरपुर जिले में रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन को रोकने के लिए बीते रोज दिनांक 11 अगस्त को खनिज विभाग की टीम ने गायत्री मंदिर के पास से लगभग एक दर्जन से ज्यादा ट्रेक्टरों को पकड़ा था। उनके खिलाफ कार्यवाही करते हुए वाहनों को जब्त किया था। जिसमें से पांच ट्रेक्टर चालकों के खिलाफ सिटी कोतवाली के द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी जिसमें कई ट्रेक्टर चालक जेल में पहुंच चुके हैं। वहीं आज दूसरी ओर छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह के आदेश पर दो ट्रेक्टरों को बिना एफआईआर करे छोड़ दिया गया है। जिसको लेकर जिला कलेक्टरकी कार्यशैली को लेकर सवालिया निशान लग रहे हैँ।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार छतरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उच्च न्यायालय खंड पीठ इंदौर के द्वारा एमसीआरसी क्रमांक 49340/19 दीपेश विरुद्ध म.प्र. राज्यपारित आदेश दिनांक 11.05.2020 के परिपालन में छतरपुर खनिज अधिकारी को एक पत्र दिनांक 18.11.2020 को जारी किया था। जिसमें उल्लेख किया गया था कि अवैध उत्खनन परिवहन में जब्त वाहन और रेत के प्रकरणों को धारा 379, 414 के तहत मामला दर्ज किया जाए। इस आदेश का पालन पूरे प्रदेश स्तर पर शुरु किया गया था और छतरपुर कलेक्टर के द्वारा भी जनसंपर्क विभाग से एक विज्ञप्ति जारी कर यह प्रेस नोट जारी की गई थी कि रेत का अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ अब चोरी की रिपोर्ट दर्ज होगी। परंतु अभी हाल ही में जिन 13 ट्रेक्टर वालों के खिलाफ खनिज विभाग ने अवैध उत्खनन परिवहन का केस बनाया था उसमें से दो लोगों के वाहन क्रमांक एमपी 16 एडी 0954 एवं एमपी 16 एसी 7873 को कलेक्टर के आदेश पर खनिज अधिकारी ने दिनांक 8.10 को छोड़ दिया है। वहीं दूसरी ओर अन्य 11 ट्रेक्टर वालों के खिलाफ खनिज की कार्यवाही जारी है। जिसको लेकर कलेक्टर एवं खनिज अधिकारी पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं। यही नहीं जब्तशुदा ट्रेक्टरों के मालिकों ने सीजेएम न्यायालय में एक आवेदन भी लगा दिया है कलेक्टर के द्वारा दोहरी कार्यप्रणाली अपनाने के कारण कई ट्रेक्टर मालिक अच्छे खासे परेशान हैं।

इस संबंध में खनिज अधिकारी अमित मिश्रा का कहना है कि जो दो ट्रेक्टर छोड़े गए हैं वह कलेक्टर के आदेश पर छोड़े गए हैं और अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की नई गाइड लाइन आई है उसके तहत इन ट्रेक्टर को छोड़ा गया है।

वहीं दूसरी ओर यातायात प्रभारी माधवी अग्रिहोत्री से दूरभाष पर चर्चा हुई तो उनका कहना है कि कलेक्टर महोदय के आदेश पर दोनों ट्रेक्टर छोड़े गए हैं और बकायदा रोज नामचा में लिखा गया है। उसके बावजूद भी दोनों ट्रेक्टर के मालिकों से यह लिखवा लिया गया है कि यदि कोर्ट उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराती है तो उन्हें ट्रेक्टर वापस मय माल के थाने में लाना पड़ेगा।

फिलहाल यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है और अभी भी 11 ट्रेक्टर मालिक खनिज और न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैँ। वहीं दूसरी ओर जिला कलेक्टर से दूरभाष पर चर्चा करनी चाही तो उनका मोबाइल रिसीव नहीं हुआ। पीडि़त पक्ष के लोगों के वकील विजय निगम ने बताया कि माननीय सीजेएम के आदेश का पालन छतरपुर कलेक्टर के द्वारा नहीं किया जा रहा है और अपनी मनमर्जी से ट्रेक्टरों को छोड़ा जा रहा है। खनिज अधिकारी के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाही गई परंतु वह जानकारी नहीं दे रहे हैं। यही हाल यातायात पुलिस कार्यालय का है। कुल मिलाकर 11 ट्रेक्टरों के मालिक अब इस संबंध में न्यायालय की शरण में जा रहे हैं। 

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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