कमाल की मुस्कान! जगह नहीं थी तो तार पर किताबें डाल शुरू की लाइब्रेरी, यहां से मिली प्रेरणा

भोपाल. वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमां, हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है’. बिस्मिल अज़ीमाबादी की इस शायरी को सच कर दिखाया है राजधानी भोपाल की दुर्गा नगर बस्ती में रहने वाली 18 वर्षीय मुस्कान अहिरवार ने. भोपाल की यंगेस्ट लाइब्रेरीयन और बाल पुस्तकालय की रचनाकार मुस्कान ने 9 साल की उम्र से दुर्गा नगर बस्ती में लाइब्रेरी की शुरुआत की थी. उनका कहना है कि उसे समय उनके पास पर्याप्त जगह नहीं थी. इसके बाद उन्होंने कपड़े सुखाने वाले तार पर हुक टांगना शुरू किया और देखते ही देखते आज उनकी लाइब्रेरी में 3000 से ज्यादा किताबें हैं.
मिल चुका है सम्मान
मुस्कान की ये काबिलियत देख माधवराव सप्रे संग्रहालय में उन्हें इस सराहनीय कार्य के लिए महेश गुप्ता सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, एमसीयू के कुलपति के. जी. सुरेश, संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजय दत्त श्रीधर और निदेशक डॉक्टर मंगला अनुजा समेत कई लोग मौजूद रहकर सम्मानित किया.
पापा से मिली लाइब्रेरी तैयार करने की प्रेरणा
मुस्कान ने बताया कि उन्हें दुर्गानगर बस्ती में लाइब्रेरी तैयार करने की प्रेरणा पापा से मिली. उन्होंने हमेशा से एक सीख दी थी कि सभी का भला करना है. इसीलिए बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए मैंने यह कदम उठाया. पढ़ने का हक हर किसी को है, इसलिए मेरी लाइब्रेरी हर किसी के लिए खुली है. 12वीं कक्षा में पढ़ रही मुस्कान ने बताया कि आगे चलकर वह प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती है, ताकि समाज की सेवा कर सकें.
FIRST PUBLISHED : July 27, 2024, 18:53 IST
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