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ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए 2 साल पहले हुआ था ‘कवच’ का ट्रायल, फिर भी अजमेर में टकरा गई ट्रेनें, जानें वजह

जयपुर. आज से लगभग 2 साल पहले भारतीय रेलवे ने कवच नाम की तकनीक का ट्रायल किया गया था. ट्रायल के दौरान खुद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे. तकनीक का ट्रायल कामयाब रहा था. इस तकनीक का मकसद था एक ही पटरी पर दो ट्रेनों के आमने सामने आ जाने पर उनकी टक्कर को रोकना. लेकिन 18 मार्च को अजमेर के मदार में पैसैंजर ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई. गनीमत रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई. लेकिन सवाल ये है कि आखिर वो कवच कहां है.

कवच तकनीक एक ही पटरी पर दो ट्रेनों के आमने सामने आ जाने पर दोनों को एक निश्चित दूरी पर रोक देती है. इस तकनीक से ये उम्मीद बंधी थी की ट्रेनों की अब आपस में टक्कर नहीं होगी. लेकिन सोमवार को हुए रेल हादसे ने एक बार फिर से सवाल खड़ा कर दिया है. रेलवे से जब इस बाबत पूछा गया कि रेलों में कवच कब लगेगा तो NWR के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण ने बताया कि कवच का काम प्रक्रिया में है.

NWR में 6 रूट पर लगाया जाएगा कवच सिस्टम
कवच का रेडियो सर्वे जारी है. NWR के तहत 1600 किलोमीटर का रूट तय किया गया है. वहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा 6 महत्वपूर्ण रूट हैं जहां सबसे ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं वहां इसे इंस्टॉल किया जाएगा. NWR के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण के अनुसार इस रेलवे जोन में रेवाड़ी से पालनपुर, जयपुर से सवाई माधोपुर, फुलेरा से जोधपुर, पाली से जोधपुर, समदड़ी से भीलड़ी और चितौड़गढ़ से उदयपुर रूट पर कवच का इस्तेमाल किया जाएगा.

…तो शायद अजमेर रेल हादसा नहीं होता
कवच तकनीक का ट्रायल लिए दो साल गुजरने को है. अगर इस डिवाइस का इस्तेमाल समय पर कर लिया जाए तो बहुत से ट्रेन हादसों को रोका जा सा सकता है. अगर ये डिवाइस रेलों में अब तक लगाया जा चुका होता तो अजमेर-मदार रेल हादसा नहीं हुआ होता. उम्मीद है कि कवच को जल्द ही ट्रेनों में लगाया जाएगा जिससे यात्रियों को सुरक्षा को और पुख्ता किया जा सके.

Tags: Indian Railway news, Jaipur news, Rajasthan news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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